Lok Sabha Election 2024: हाल ही में 4 महीने पहले संपन्न विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में करोली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं का मिजाज विधानसभा चुनाव के मिजाज जैसा ही है. फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार भाजपा मोदी की गारंटी यानी मोदी मैजिक के भरोसे दमखम ठोक रही है, तो कांग्रेस विधानसभा चुनाव के जाति समीकरण और लोकल मुद्दों के भरोसे करौली धौलपुर संसदीय क्षेत्र से जीत के प्रति आश्वस्त है. इसकी एक वजह यह है कि, विधानसभा चुनाव में धौलपुर जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में से भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई थी. धौलपुर, राजाखेड़ा और बसेड़ी से कांग्रेस विजय रही थी, वहीं बाड़ी से बहुजन समाज पार्टी ने बाजी मारी थी.
वहीं करौली जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों में करौली और सपोटरा पर बीजेपी और हिंडौन सिटी औ टोड़ाभीम पर कांग्रेस विजई रही है. लेकिन लोकसभा चुनाव में हर बार समीकरण विधानसभा चुनाव के विपरीत रहे हैं इस बार भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र से एक ही जाति के प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारकर जो दांव चला है, उससे जाति समीकरण के गणित में कांग्रेस भारी पड़ रही है.
भाजपा मोदी के भरोसे, कांग्रेस उठा रही स्थानीय मुद्दे
भाजपा राष्ट्रीय मुद्दे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी को लेकर चुनावी समर में मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है तो वहीं कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को उठाकर भाजपा को घेरने की कोशिश की रही है. बहुजन समाज पार्टी चुनावी समर में अभी तक ज्यादा असर नहीं छोड़ सकी है. कांटे का मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच तय माना जा रहा है. करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है. तीनों प्रत्याशी जाटव समाज से हैं.
लड़ाई कांग्रेस बनाम भाजपा
करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र के चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी इंदु देवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी योजना और राष्ट्रीय मुद्दों को साथ लेकर मतदाताओं के दिलों पर असर छोड़ने की कोशिश कर रही है. वहीं कांग्रेस के भजनलाल जाटव सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा चिकित्सा आदि लोकल मुद्दों को उठाकर आम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी विक्रम सिंह सिसोदिया का अभी तक चुनाव में कुछ ज्यादा असर दिखाई नहीं दिया है. लेकिन भाजपा और कांग्रेस की नाकामियों को गिनाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. राजनीति के जानकारों की माने तो सीधा मुकाबला भाजपा की इंदु देवी एवं कांग्रेस के भजन लाल जाटव के बीच माना जा रहा है.
विगत दो लोकसभा चुनाव में विपरीत रहा समीकरण
करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र के चुनावी गणित की बात की जाए तो साल 2014 और 2019 में विपरीत रहा है. विधानसभा चुनाव में समीकरण कांग्रेस के पक्ष में गए थे. लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी. इन दोनों चुनाव में भाजपा के डॉक्टर मनोज राजोरिया दो बार लगातार विजयी रहे थे. सियासत के मर्मज्ञ पंडितों की माने तो लोकसभा चुनाव में आम मतदाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को अधिक वरीयता देता है. हालांकि क्षेत्रीय बुनियादी मुद्दे करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र की जटिल समस्या है.
बगावत की संभावना दोनों तरफ
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों को भीतरघात और बगावत का सामना करना पड़ सकता है. भाजपा की तरफ से वर्तमान सांसद डॉ मनोज राजोरिया समेत दर्जन भर से अधिक नेता टिकट दावेदारी की कतार में खड़े थे. लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा आलाकमान ने इंदु देवी जाटव को टिकट देकर सबको चौंका दिया. ऐसे में जिन दावेदारों का टिकट कटा है, उनके द्वारा भाजपा को भीतरघात की फिक्र सता रही है. यही हालत कांग्रेस में देखे जा रहे हैं. बाहरी प्रत्याशी भजनलाल जाटव को टिकट देकर स्थानीय नेताओं के अंदर के विरोध का सामना करना पड़ सकता है.
19 लाख 71 हजार 144 मतदाता करेंगे मतदान
करौली धौलपुर संसदीय क्षेत्र से 19 लाख 71 हजार 144 मतदाता 19 अप्रैल को प्रत्याशियों के भाग का फैसला ईवीएम के पिटारे में कैद करेंगे. इन मतदाताओ में 10 लाख 61 हजार 927 पुरुष एवं 9 लाख 9 हजार 217 महिला वोटर शामिल है.
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