Kavach 4.0: मंगलवार को कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा प्रणाली का सवाई माधोपुर में सफल ट्रायल किया गया. 130 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चल रही ट्रेन कवच तकनीक की मदद से लाल बत्ती देख अपने आप ही रुक गई. इस दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कवच सिस्टम से लैस ट्रेन में सफर करके निरीक्षण का किया. रेल मंत्री ने कहा कि कवच 4.O के तहत लोको पायलट अपनी कैब में ही 10 किलोमीटर दूर का सिग्नल देख सकता है. अगर ट्रेन रेड सिग्नल के पास पहुंच रही है और ड्राइवर ध्यान नहीं दे रहा है, तो कवच अपने आप ब्रेक लगा देगा.
सवाई माधोपुर से कवच 4.0 की शुरुआत
रेल मंत्री ने कहा कि कवच सिस्टम को बारिश, पहाड़ी इलाकों, तटीय इलाकों के अनुरूप विकसित किया गया है. अगले 5-6 सालों में पूरा नेटवर्क कवच से कवर हो जाएगा. कवच 4.0 की शुरुआत भारत में पहली बार सवाई माधोपुर से हुई है. इस क्षेत्र में कवच लगाने का काम पूरा हो चुका है, यह तो बस शुरुआत है, आने वाले सालों में 10 हजार इंजनों को कवच से कवर किया जाएगा और 9 हजार किलोमीटर अतिरिक्त कवच का काम किया जाएगा.
कवच 4.0 से लैस देश का पहला रेलवे ट्रैक
बता दें कि कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा प्रणाली के तहत सवाईमाधोपुर से कोटा के बीच रेलवे ट्रैक को कवच लैस किया गया है. सवाई माधोपुर से कोटा के बीच 108 किलोमीटर लंबा देश का पहला रेलवे ट्रैक है, जहां कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा प्रणाली को लागू किया गया है. कवच सिस्टम पूरी तरह से भारत में विकसित ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम है. इससे लोको पायलट के ब्रेक लगाने में फेल होने की स्थिति में ऑटोमेटिक रूप से ब्रेक लग जाता है. खराब मौसम के दौरान ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में भी ये तकनीक मददगार है.
कवच 4.0 वर्जन जुलाई में मिला था अप्रूवल
मई 2022 में अश्विनी वैष्णव ने रेल हादसे रोकने के लिए इंजनों को सुरक्षा कवच पहनाने की घोषणा की थी. इसके अलावा रेल मंत्री ने इसी साल 24 जुलाई को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि 16.07.2024 को कवच 4.0 वर्जन को अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा अप्रूव किया गया. यह भारतीय रेलवे के लिए सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
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