Khairthal-Tijara Name Change: खैरथल-तिजारा का नाम बदलने पर सरकार पर लगा आरोप, कांग्रेस ने कहा- मनमानी है

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भंवर जितेंद्र सिंह ने इस निर्णय का विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला जनता से राय लिए बिना लिया गया है और यह सरकार की राजशाही मानसिकता को दर्शाता है.

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Bhartruhari Nagar: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने बीते गुरुवार (7 अगस्त) को खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलने का बड़ा फैसला लिया, इसके साथ ही इस जिले का नाम भर्तृहरि नगर कर दिया गया है. इस प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद से प्रदेश में सियासत भी तेज हो गई है. बता दें, कांग्रेस ने जो 17 नए जिले बनाए थे उनमें इस जिले का नाम भी शामिल था. लेकिन भजनलाल सरकार ने जहां नए जिलों में 9 को खत्म कर दिया, वहीं अब बचे हुए जिलों के नाम बदलने का काम कर रही है. सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने मनमानी और राजशाही होने का आरोप लगाया है. बताया जा रहा है कि सरकार ने नाम बदलने से पहले जनता की राय नहीं ली और फैसला कर दिया.

राजस्थान में खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलने के सरकार के फैसले को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भंवर जितेंद्र सिंह ने इस निर्णय का विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला जनता से राय लिए बिना लिया गया है और यह सरकार की राजशाही मानसिकता को दर्शाता है.

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सरकार के फैसले से लोग आहत

भंवर जितेंद्र सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार ने जैसे रात को सपना देखा और सुबह नाम बदल दिया. उन्होंने कहा कि खैरथल-तिजारा का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया. वहां के लोग इस फैसले से आहत हैं और विरोध जता रहे हैं.

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राजनीतिक लाभ के लिए लिया फैसला

कांग्रेस नेता ने मांग की कि नाम बदलने जैसे अहम निर्णय लेने से पहले स्थानीय जनता की राय, जनप्रतिनिधियों की सलाह और ऐतिहासिक तथ्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी. उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय केवल राजनीतिक लाभ के लिए लिया गया है न कि जनहित में.

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किसके नाम पर खैरथल-तिजारा का नाम रखा भर्तृहरि

दरअसल, भर्तृहरि मंदिर अलवर जिले में सरिस्का के पास स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. यह मंदिर पारंपरिक राजस्थानी शैली में बना हुआ है और पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो इसे एक सुंदर प्राकृतिक वातावरण प्रदान करता है. अलवर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर उज्जैन के राजा भर्तृहरि से जुड़ा हुआ है, जिनके नाम पर यह मंदिर स्थापित है. कहा जा रहा है कि भर्तृहरि धाम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर भर्तृहरिनगर रख दिया है.

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