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राजस्थान में बच्चों का भविष्य अधर में... नहीं मिल रहा RTE का लाभ, हाई कोर्ट में चल रहा केस

RTE के तहत संविधान के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है. लेकिन सरकार की ओर से पुनर्भरण ना मिल पाने के कारण निजी स्कूल बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं.

राजस्थान में बच्चों का भविष्य अधर में... नहीं मिल रहा RTE का लाभ, हाई कोर्ट में चल रहा केस

Rajasthan News: 6 साल की तनुश्री स्कूल नहीं जा पा रही है. वह घर में ही पढ़ती है. क्योंकि स्कूल ने एडमिशन लेने से मना कर दिया है. इसलिए वह स्कूल जाकर नहीं पढ़ सकती. दो साल पहले पिता की मौत हो गई. इसके बाद दादी ही आसरा है. दादी घरों में बर्तन धोने का काम करती है. उसके अलावा घर में कमाई का कोई और जरिया नहीं है. यह कहानी केवल तनुश्री की नहीं है. राइट तो एजुकेशन के तहत निजी स्कूलों में दाखिले की चाह रखने वाले सैकड़ों बच्चे शिक्षा से वंचित है. वजह है, सरकार और स्कूलों के बीच फीस के पुनर्भरण को लेकर चल रहा विवाद.

सरकार और निजी स्कूल के बीच चल रहा केस

RTE के तहत संविधान के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है. लेकिन सरकार की ओर से पुनर्भरण ना मिल पाने के कारण निजी स्कूल बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं. इसको लेकर सरकार और निजी स्कूलों के बीच हाई कोर्ट में केस चल रहा है.  निजी स्कूल प्री प्राइमरी कक्षाओं में एडमिशन नहीं ले रहे हैं. इसके चलते बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं 

तनुश्री की मां मैना कोटिया बताती हैं कि मैं यही कहती हूं कि मेरी बच्चियां तो पढ़ ले. मेरे पति दो साल पहले चल बसे. मैं सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही हूं. शायद नौकरी लग जाएं. अभी मेरी सास लोगों के घरों में बर्तन धोने का काम करती है. उसी से हमारा घर चलता है. मेरी सरकार और शिक्षा मंत्री से यही मांग है कि हमारे बच्चों को एडमिशन दिलवा दीजिए. उनका जो अधिकार है उन्हें मिल जाए.

नितेश के एडमिशन पर कोर्ट का स्टे

ये केवल तनुश्री की कहानी नहीं है. 7 साल का नितेश भी घर में रहकर ही पढ़ाई कर रहा है. वह स्कूल नहीं जा पा रहा है. स्कूल ने कह दिया है कि एडमिशन पर कोर्ट का स्टे है. अगर एडमिशन के लिए आदेश आ जाएंगे तो बुला लेंगे. उनके पिता अब जब स्कूल में जवाब मांगने जाते हैं तो उन्हें अंदर जाने से भी रोक दिया जाता है. नितेश के पिता धर्मेंद्र मीणा प्राइवेट काम करते हैं, मां अंजू मीणा सिलाई करती है. 

मां का कहना है कि बच्चा जब दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देखता है. उनको वैन लेने आती है तो पूछता है कि मैं कब स्कूल जाऊंगा. मेरे पास उसके सवालों का जवाब नहीं है. 

विभाग ओर से 9 अप्रैल को लॉटरी जारी की गई थी. लॉटरी निकलने के 4 महीने बाद भी बच्चों को प्रवेश नहीं मिला है. इसके बाद अभिभावक शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से मिलने भी गए. उन्होंने एडमिशन का आश्वासन दिया. लेकिन बच्चों को अभी तक प्रवेश नहीं मिल पाया है. 

बच्चों को प्रवेश दिलाने का आश्वासन 

संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन ने बताया कि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 7 दिन में बच्चों को प्रवेश दिलाने का आश्वासन दिया था. लेकिन अभी तक कोई समाधान होते नजर नहीं आ रहा है. यदि बच्चों को प्रवेश नहीं मिला तो 11 अगस्त से हम सभी अभिभावक जयपुर में शिक्षा संकुल के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठ जाएंगे. एक बड़ा आंदोलन करेंगे. 

वहीं, निजी स्कूलों के प्रतिनिधि दामोदर गोयल ने बताया कि मामला कोर्ट में पेंडिंग है. हाइकोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है. इसलिए स्कूल एडमिशन से मना कर रहे हैं. 2020 तक सरकार सभी कक्षाओं के लिए पुनर्भरण देती थी. लेकिन 2020 के बाद RTE के तहत प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए फीस का पुनर्भरण देना बंद कर दिया. जब सरकार हमें पुनर्भरण नहीं दे रही तो हमें प्रवेश देने के लिए बाध्य करना गलत है. 

वहीं, हमनें जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों से इस बारे में बात करने की कोशिश की तो वे बचते नजर आए. इस सरकारी उदासीनता से बच्चे अपने हक से वंचित रह जा रहे हैं और अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

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