Khatushyamji : राजस्थान के सीकर जिले में रिंगस कस्बे के खाटूश्याम में आज यानी सोमवार को शरद पूर्णिमा का पर्व बड़े ही उत्साह और भक्तिभाव के साथ मनाया जा रहा है. इस विशेष अवसर पर बाबा श्याम का अद्वितीय और मनमोहक श्रृंगार किया जाएगा, जिसके दर्शन के लिए हजारों भक्त उमड़ेंगे.
श्वेत फूलों और परिधानों से होगा श्रृंगार
शरद पूर्णिमा के उपलक्ष्य में, बाबा श्याम का श्रृंगार पूरी तरह से श्वेत (सफेद) थीम पर आधारित होगा. उन्हें सफेद फूलों की विशेष मालाओं और शुभ्र (सफेद) परिधानों से सजाया जाएगा. यह श्वेत श्रृंगार चांदनी रात में बाबा के स्वरूप को और भी दिव्य और आकर्षक बना देगा. इसके अलावा बाबा श्याम को चांदी और रत्न जड़ित श्वेत मुकुट भी बाबा को पहनाया जाएगा.
रात 12 बजे लगेगा खीर का भोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणें अमृत बरसाती हैं. इसी विशेष रात्रि को, ठीक रात 12 बजे बाबा श्याम को खीर का विशेष भोग लगाया जाएगा. यह खीर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है, जिसे भक्तजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे.
बाबा श्याम का पूरा गर्भ गृह श्वेत होता है
बाबा श्याम के इस विशेष श्रृंगार और भोग के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है, जिसके लिए प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। भक्तजन रात भर बाबा श्याम की भक्ति में लीन रहेंगे. आपको बता दें कि शरद पूर्णिमा के अवसर पर साल में एक ही बार बाबा का श्वेत श्रृंगार होता है. इस दिन बाबा श्याम का पूरा गर्भ गृह श्वेत हो जाता है.
कौन है बाबा खाटूश्याम
हारे के सहारे बाबा श्याम को भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है. महाभारत युद्ध के दौरान भीम के पौत्र बर्बरीक कौरवों की तरफ से युद्ध में शामिल होने जा रहे थे. बर्बरीक के पास तीन ऐसी तीर थे, जो पूरे युद्ध को पलट सकते थे. इसी को लेकर भगवान कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप में आए और उनसे शीश दान में मांग लिया. बर्बरीक ने भी बिना संकोच किया भगवान कृष्ण को अपना शीश दान में दे दिया. तब भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को कहा कि ‘बर्बरीक तुम्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजा जाएगा, तुम्हें लोग मेरे नाम से पुकारेंगे और तुम अपने भक्तों के हारे का सहारा बनोंगे'.
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