खाटूश्‍यामजी का अनोखा भक्‍त: ना कोई चाह, न मन्‍नत कीलों पर लेटकर 17KM की यात्रा कर पहुंचा खाटू

Khatushyamji: खाटूश्‍यामजी का भक्‍त अजय कुशवाहा ने कहा क‍ि सोशल मीड‍िया पर नुकीले क‍ीलों पर यात्रा करते देखा था, उसके बाद हमारे मन में आया.

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नुकीले कीलों पर लेटकर खाटूश्यामजी पहुंचा भक्त.

Khatushyamji: बाबा श्याम के जितने नाम, उतने ही भक्तों की आस्था के स्वरूप हैं. कोई डीजे की धुनों पर नाचता और गाता खाटू पहुंचता है , तो कोई हाथों में केसरिया निशान लिए पदयात्रा करते हुए खाटू आता है, तो कोई पेट पलायन करते हुए खाटू पहुंचता है. ऐसा ही उत्‍तर प्रदेश के दतिया का भक्त अजय कुशवाहा नुकीले कीलों पर लेट करके खाटू धाम पहुंचा.

7 घंटे में 17KM की यात्रा पूरी की 

रींगस से खाटू तक की 17 क‍िलोमीटर की यात्रा अजय ने नुकले कीलों पर लेट करके पूरी की. उसने 7 घंटे में अपनी यात्रा पूरी. सबसे बड़ी बात है क‍ि अजय की कोई मन्‍नत और चाहत नहीं है. स‍िर्फ बाबा के भक्‍त‍ि में उसने ऐसा क‍िया. उसने कहा क‍ि उसकी कोई मांग नहीं है. वह देश में अमन-चैन और खुशहाली के लिए यात्रा कर रहा है.

सोशल मीडिया से हुआ प्रेरित

जिस तरह देश में भाईचारा खत्म हो रहा है, और बैर भाव बढ़ रहा है. लोग एक-दूसरे को हमेशा शक की दृष्टि से देखते हैं. इन सब चीजों से और देश के युवाओं को बुरे व्यसनों से मुक्ति मिले. देश खुशहाल रहे और आगे बढ़े, इसलिए उसने आज नुकीले कीलों पर यात्रा की है. उसने यह भी बताया कि एक भक्त को उसने एक बार सोशल मीडिया पर नुकीले कीलों पर यात्रा करते हुए देखा था.

कनक दंडवत करके पहुंचा भक्त 

एक भक्‍त कनक दंडवत करके खाटू श्‍यामजी पहुंचा. कनक दंडवत को साष्टांग दंडवत भी कहा जाता है. एक प्रकार का प्रणाम है, जिसमें व्यक्ति जमीन पर लेटकर, शरीर के आठ अंगों (दोनों हाथों, दोनों घुटनों, दोनों पैरों, छाती और सिर) को जमीन से स्पर्श करके, अपने आराध्य, भगवान या किसी पूजनीय व्यक्ति को सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करता है. यह एक गहरी विनम्रता और समर्पण का भाव दर्शाता है.

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कनक दंडवत करते खाटूश्यामजी पहुंचा श्याम भक्त.

कनक दंडवत अहंकार को त्याग कराता है 

यह प्रणाम व्यक्ति के अहंकार को त्यागकर, भगवान या पूजनीय व्यक्ति के प्रति पूर्ण समर्पण और विनम्रता का प्रतीक है. कनक दंडवत एक गहरी भक्ति और श्रद्धा का भाव व्यक्त करता है, जो व्यक्ति को भगवान या अपने गुरु के प्रति समर्पित करता है.  कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस प्रकार का प्रणाम शरीर और मन को शुद्ध करने में भी मदद करता है.

कनक दंडवत करने का तरीका

  • जमीन पर सीधे लेट जाएं, पेट के बल.
  • दोनों हाथों को जोड़कर सिर के ऊपर रखें.
  • दोनों घुटनों, दोनों पैरों, छाती और सिर को जमीन से स्पर्श करें.
  • इस स्थिति में कुछ देर रहें और फिर उठकर प्रणाम करें.   

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