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राजस्थान में बढ़ा जंगल, लेकिन देश ने 18 गुना ज्यादा हरियाली खो दी, IIT की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

IIT बॉम्बे की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने 2015 से 2019 के बीच जितना जंगल बढ़ाया, उससे 18 गुना ज्यादा जंगल गंवा दिए. राजस्थान में भले ही कुछ हरियाली बढ़ी, लेकिन देशभर में जंगलों का बुरा हाल है.

राजस्थान में बढ़ा जंगल, लेकिन देश ने 18 गुना ज्यादा हरियाली खो दी, IIT की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
भारत ने 2015 से 2019 के दौरान जितना वन क्षेत्र प्राप्त किया, उससे अधिक खो दिया: आईआईटी स्टडी

Rajasthan News: अगर आपको लगता है कि देश में हरियाली बढ़ रही है, तो ये खबर आपको चौंका सकती है. IIT बॉम्बे की ताजा स्टडी में बड़ा खुलासा हुआ है कि साल 2015 से 2019 के बीच भारत ने जितना जंगल बढ़ाया, उससे 18 गुना ज्यादा जंगल गंवा दिया. यानी कागजों पर भले ही जंगल बढ़े हों, जमीन पर सच्चाई उलटी है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 56.3 वर्ग किमी जंगल बढ़ा, लेकिन 1,032.89 वर्ग किमी जंगल खत्म हुआ. सबसे ज्यादा तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में जंगलों का नुकसान हुआ.

जंगल बढ़ाने में राजस्थान का योगदान

सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि रेतीले राजस्थान ने कुछ हद तक जंगल बढ़ाने में योगदान दिया है. स्टडी के मुताबिक, देशभर में जितना जंगल बढ़ा, उसका लगभग आधा हिस्सा आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और राजस्थान में ही देखने को मिला. बावजूद इसके, ये बढ़ोतरी भी बिखरे हुए और छोटे-छोटे हिस्सों में हुई है, जो पर्यावरणीय रूप से ज्यादा कारगर नहीं मानी जाती. क्योंकि इससे वन्यजीवों का मूवमेंट और जीवित रहना मुश्किल हो जाता है.

टाइगर जैसे जानवरों के लिए खतरा

नया जंगल ज्यादातर 'आइलैंड्स' यानी टुकड़ों में उगा, जिसका बायोडायवर्सिटी पर कम असर होता है. रिपोर्ट बताती है कि जैसे-जैसे जंगल टुकड़ों में बंटते हैं, वैसे-वैसे जानवरों और पेड़-पौधों की प्रजातियों को नुकसान होता है. बाघ जैसे जानवरों को शिकार, प्रजनन और सुरक्षित रहने के लिए बड़े और जुड़े हुए जंगल चाहिए. छोटे-छोटे जंगलों में वो इंसानों से टकरा जाते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ता है.

FSI और IIT बॉम्बे की रिपोर्ट में फर्क क्यों?

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) और इस रिपोर्ट में बड़ा अंतर है. FSI का डेटा कहता है कि जंगल बढ़ रहे हैं, लेकिन IIT की रिपोर्ट दिखा रही है कि असल जंगल कम हो रहे हैं. इसका कारण है कि दोनों संस्थाएं जंगल मापने के लिए अलग-अलग मापदंड और तकनीकें इस्तेमाल करती हैं. IIT बॉम्बे ने कोपरनिकस ग्लोबल लैंड सर्विस (CGLS) के डेटा का इस्तेमाल किया है, जो दुनिया भर में वैध और सटीक माना जाता है.

विशेषज्ञ बोले- सिर्फ पेड़ लगाने से काम नहीं चलेगा

IIT के प्रो. राज रामसंकरण और उनकी टीम ने सुझाव दिया है कि जंगल बढ़ाने की नीतियों में सिर्फ पेड़ लगाने से काम नहीं चलेगा, अब जंगलों के आपस में जुड़े रहने को भी प्राथमिकता देनी होगी. तभी पर्यावरण को असल में फायदा मिलेगा.

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