ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह: दुनिया के सबसे बड़े डेग में एक बार में पकता है 4800 KG चावल

बड़ी डेग में एक बार में 120 मन यानी 4800 किलोग्राम चावल एक साथ पकाए जाते हैं. ऐसी ही एक डेग और भी है जो छोटी डेग के नाम से जानी जाती हैं. इसमें एक बार में 60 मन यानी 2400 किलोग्राम चावल पकाए जाते हैं.

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गरीब नवाज की दरगाह में दुनिया की सबसे बड़ी डेग
Ajmer:

विश्व विख्यात अजमेर की सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में दुनिया की सबसे बड़ी डेग (बड़ा बर्तन) मौजूद है. इस डेग को मुगल बादशाह अकबर ने अपने बेटे के जन्म होने के बाद खुशी से दरगाह को भेंट की थी. बताया जाता है कि बड़ी डेग में एक बार में 120 मन यानी 4800 किलोग्राम चावल एक साथ पकाए जाते हैं. ऐसी ही एक डेग और भी है जो छोटी डेग के नाम से जानी जाती हैं. इसमें एक बार में 60 मन यानी 2400 किलोग्राम चावल पकाए जाते हैं.

मन्नत पूरी होने पर बादशाह अकबर ने भेंट की थी डेग

दरगाह के खादिम हाजी शेख जादा इस्तेखार चिश्ती ने बताया कि दरगाह में बुलंद दरवाजे के समीप लंगर पकाने का दो  बर्तन मौजूद है, जिसमें भारी मात्रा में लंगर पकाया जाता है. उन्होंने बताया कि उनमें एक बड़ी और दूसरी छोटी डेग है. छोटी डेग को जहांगीर ने बनवाया था. बड़ी डेग मुगल बादशाह अकबर ने औलाद की मन्नत पूरी होने पर दरगाह में भेंट की थी. बड़ी डेग को दुनिया का सबसे बड़ा बर्तन बताया जाता है.

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इतिहास में दर्ज है कि मुगल बादशाह अकबर की ख्वाजा गरीब नवाज में गहरी आस्था थी. औलाद की मन्नत पूरी होने के बाद वो आगरा से अजमेर तक पैदल चलकर आए थे, और अपने साथी लोगों का खाना बनाने के लिए बड़ी डेग भी साथ लाए थे और उसी दौरान अकबर ने पुत्र होने की खुशी में दरगाह में यह बड़ी डेग भेंट की थी.

क्षमता अनुसार डेग में लंगर पकाते हैं जायरीन

वर्षों से यह पम्परा है कि ख्वाजा गरीब नवाज से मन्नत पूरी होने पर जायरीन अपनी आस्था और क्षमता के अनुसार डेग में भोजन पकवाते हैं और लंगर तकसीम करते है. जायरीन डेगों में हीरे जेवरात, रुपया, पैसा, जेवर, शक्कर, चावल, मेवे अपनी श्रद्धा के अनुसार डालते हैं ताकि लंगर में उनका भी सहयोग हो सके. वहींं, कई लोग पूरी डेग ही पकवाते हैं, और इसके लिए आवश्यक सामग्री मंगवाकर भेंट करते हैं. इसका ठेका हर साल दिया जाता है.

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