किरोड़ी लाल मीणा की है यह 4 नाराजगी, इस्तीफे के बाद बीजेपी कर सकती है उन्हें दरकिनार!

किरोड़ी लाल मीणा ने भले ही इस्तीफा देकर अपने वचन पर खड़े उतरने की बात को साबित किया है. लेकिन इस्तीफे की वजह उनकी नाराजगी है.

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Kirodi Lal Meena: राजस्थान की सियासत में किरोड़ी लाल मीणा हमेशा से सुर्खियों में रहे हैं. प्रदेश में जब बीजेपी विपक्ष में था तो किरोड़ी लाल मीणा ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. उन्होंने सरकार के खिलाफ दर्जनों धरणा प्रदर्शन किया. वहीं, सरकार बनने के बाद किरोड़ी लाल मीणा कैबिनेट में जगह मिली. लेकिन अब उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. वैसे तो किरोड़ी लाल मीणा ने अपने वचन के लिए इस्तीफा दिया है, जो उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान कन्हैयालाल मीणा की हार को लेकर लिया था. लेकिन यह साफ है कि सियासत में हमेशा एक तीर से दो निशाने साधे जाते हैं. इस्तीफा के जरिए मीणा ने ऐसा ही सियासी तीर चला है. हालांकि उनका इस्तीफा अब तक मंजूर नहीं किया गया है. लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि उन्हें शीर्ष कमान से ज्यादा तवज्जो भी नहीं  मिलने वाली है. क्योंकि पहले ही कई बड़े नेता राजस्थान की राजनीति से दरकिनार किये जा चुके हैं.

किरोड़ी लाल मीणा ने भले ही इस्तीफा देकर अपने वचन पर खड़े उतरने की बात को साबित किया है. लेकिन इस्तीफे की वजह उनकी नाराजगी है. कहा जा रहा है कि किरोड़ी लाल मीणा तब से ही नाराज बताए जा रहे हैं जब दौसा सीट पर टिकट को लेकर बीजेपी में उलटफेर हुआ था.

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दौसा सीट पर टिकट को लेकर नाराजगी

किरोड़ी लाल मीणा की नाराजगी इस बात से है कि बीजेपी ने दौसा लोकसभा सीट पर उनके भाई जगमोहन मीणा को टिकट नहीं दिया. बल्कि उनकी जगह पर कन्हैयालाल मीणा को टिकट दिया गया. वहीं कन्हैयालाल चुनाव हार गए. ऐसे में किरोड़ी लाल मीणा दौसा सीट पर टिकट को लेकर उलटफेर से उनकी नाराजगी पार्टी में शुरू हो गई.

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सीएम और डिप्टी सीएम का चुनाव

किरोड़ी लाल मीणा शायद इस बात से भी नाखुश थे, जब बीजेपी ने राजस्थान के बड़े नेताओं को दरकिनार कर नए चेहरे को सीएम और डिप्टी सीएम का पद दिया.

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किरोड़ी लील मीणा का कद उन सभी नेताओं से काफी अधिक है. जो 6 बार के विधायक, दो बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा सांसद रहे. इसके अलावा राजस्थान में गहलोत सरकार के खिलाफ मुखर होकर लड़ाई लड़ रहे थे. वहीं सीएम और डिप्टी सीएम पद के लिए राज्य के नेताओं से राय तक नहीं ली गई. 

मंत्री पद के लिए भी नाराजगी

किरोड़ी लाल मीणा को कैबिनेट में जगह दी गई. उन्हें कृषि विभाग की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग नहीं दिया गया.

अब तक परंपरागत रूप से यह सभी विभाग किसी एक मंत्री को दी जाती थी. लेकिन किरोड़ी लाल मीणा को केवल कृषि विभाग दिया गया.

मदन दिलावर से तकरार

किरोड़ी लाल मीणा पहले ही केवल कृषि मंत्रालय मिलने से नाराज थे. जबकि ग्रामीण विकास र पंचायती राज विभाग मदन दिलावर को दिया गया. जिन्हें शिक्षा विभाग भी दिया गया. वहीं कृषि विभाग द्वारा दिया गए निर्देशों को पंचायती राज विभाग द्वारा मानने से इनकार कर दिया गया.

हाल ही में कृषि विभाग में इंजीनियरों के तबादले कर उन्हें जिला परिषद और पंचायत समितियों में नियुक्ति दी थी. इस आदेश को कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के निर्देशों पर जारी हुए थे. लेकिन मीणा के विभाग के तबादलों के आदेश पर पंचायती राज मंत्री मदन लाल दिलावर ने रोक लगा दी. कृषि विभाग की ओर से किए गए आदेशों को ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग ने मानने से इनकार कर दिया.

बीजेपी किरोड़ी लाल मीणा को कर सकती है दरकिनार

राजस्थान के कई बड़े नेताओं को बीजेपी नेतृत्व ने हाल में दरकिनार किया है. इसमें वसुंधरा राजे का नाम तक शामिल हैं. क्योंकि वसुंधरा राजे को दरकिनार कर ही भजनलाल शर्मा को सीएम घोषित किया गया. इसके अलावा मेवाड़ के दिग्गज नेता गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बना कर प्रदेश की राजनीति से दूर कर दिया गया. इसके बाद सतीश पुनिया जो चुनाव हार चुके थे उन्हें हरियाणा प्रभारी बनाकर प्रदेश की राजनीति से उन्हें भी दूर कर दिया गया है. अब ऐसा माना जा रहा है कि किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे के बाद उन्हें शीर्ष नेतृत्व से ज्यादा सहानुभूति नहीं मिलने की संभावना है. 

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