कोटा में स्टूडेंट्स को कलेक्टर ने दी बड़ी सीख, बताया - 'आज भी दिन में कई बार फेल होता हूं'

कोटा में कलेक्टर ने कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच जाकर उन्हें मोटिवेट किया. उन्हें खुद के जिंदगी का उदाहरण देते हुए कई बाते कहीं. साथ ही मां-बाप से हर छोटी-छोटी बात शेयर करने की सलाह दी.

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कोटा में स्टूडेंट्स को मोटिवेट करते कलेक्टर की तस्वीर

Kota Student Motivation: कोटा में सुसाइड के मामलों को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में कामयाब कोटा मुहिम के तहत कलेक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी लगातार कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच जाकर उन्हें मोटिवेट कर रहे हैं. शुक्रवार को जवाहर नगर निजी कोचिंग के कैम्पस में पहुंचे और नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को मोटिवेट किया. उन्होंने स्टूडेंट्स के सवालों के जवाब भी दिए और उन्हें स्वयं के जीवन के अनुभवों को समझाते हुए सकारात्मक रहने की बात कही. 

एक स्टूडेंट के सवाल के जवाब पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि हमें हमारे अटेंशन स्पान को समझना चाहिए, हम कितनी देर पढ़ सकते हैं. सबकी अपनी-अपनी क्षमता होती है. इस अटेंशन स्पान से 10 या 15 मिनट कम पढ़ें. यदि आप सेचुरेशन पर चले जाते हैं तो दिमाग का रेस्पोंस अलग होता है. यदि कुछ बाकी रह जाता है तो दिमाग हमें वहीं ले जाता है, जहां से छोड़ा था.

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'आज भी दिन में कई बार फेल-पास होता हूं'

एक सवाल पर कलक्टर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि अपनी च्वाइस को हमेशा जिंदा रखें, इसलिए नहीं पढ़ें कि आपका साथ वाला पढ़ रहा है या कोचिंग ने कहा है, पढ़ें इसलिए क्योंकि आपका मन कर रहा है. गाने सुनो, मोटिवेशनल कोट्स लिखकर रखो ताकि आपमें ऊर्जा बनी रहे. 

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उन्होंने कहा कि मैं आज भी दिन में कई बार फेल-पास होता हूं. जीवन हार-जीत का ही नाम है. हम अगर सफल नहीं हुए हैं तो इससे हमें सीखना चाहिए. गलतियां कहां हुई, गलतियां अगली बार नहीं हो इसके लिए क्या ध्यान रखें. 

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'रोजाना मम्मी-पापा से बात करो'

जिला कलक्टर कोटा डॉ.रविन्द्र गोस्वामी ने स्टूडेंट्स को परीक्षा की तैयारियों के कुछ बेसिक टिप्स देने के साथ-साथ माता-पिता और अन्य परिजनों के साथ नियमित संवाद करने के लिए भी प्रेरित किया. 

उन्होंने स्टूडेंट्स से बातचीत करते हुए बताया कि रोजाना पापा-मम्मी से बात किया करो. उन्हें रोज जो हुआ उसके बारे में बताया करो. क्या पढ़ा, क्या समझ आया, क्या समझ नहीं आया, सबकुछ उनसे शेयर करो. हो सकता है आपके सब्जेक्ट की बातें उन्हें समझ नहीं आएं लेकिन आपकी समस्या का समाधान वो दे सकते हैं.

पापा की बात आज भी काम आती है: कलेक्टर

मैं भी उन्हें अपनी प्रॉब्लम्स बताता था. एक बार मैंने पापा से कहा कि तीन-चार दिन से कुछ समझ नहीं आ रहा, कोशिश भी करता हूं लेकिन कुछ गड़बड़ हो जाती है. इस पर पापा ने मुझे कहा कि सुबह नहाकर रोजाना भगवान का पूजन करो और फिर पढ़ाई करो. मैं इस बात को आज भी फॉलो करता हूं. मुझे ध्यान लगाने में सहायता मिली, मेरा मन लगने लगा. हो सकता है आपकी समस्या का आपके परिजन कुछ अलग तरीके से समाधान बताएं. लेकिन ये तय है कि आपकी समस्या का समाधान उनके पास है, क्योंकि वो आपको अच्छी तरह से जानते हैं कि आप किस परिस्थिति में क्या कर सकते हैं.

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