कोटा में बच्चों से रूबरू हुए परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेन्द्र, बोले, 'योद्धा कभी हारता नहीं'

कोटा के निजी इंस्टीट्यूट में एक मोटिवेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया. कोचिंग संस्थान की ओर से विद्यार्थियों के मोटिवेशन के लिए आयोजित स्पेशल सेशन ‘योद्धा' में कैप्टन यादव ने विद्यार्थियों को जिंदगी को सकारात्मकता के साथ जीने का संदेश दिया.

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कोटा:

जिले में कोचिंग स्टूडेंट के बढ़ते सुसाइड मामलों के बीच लगातार बच्चों को स्ट्रेस फ्री रखने के लिए कई आयोजन किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में गुरूवार को कोटा में परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र सिंह बच्चों के बीच पहुंचे. कोचिंग संस्थान की ओर से विद्यार्थियों के मोटिवेशन के लिए आयोजित ‘योद्धा' सेशन में कैप्टन यादव ने विद्यार्थियों को जिंदगी को सकारात्मकता के साथ जीने का संदेश दिया.

टाइगर हिल के बारे में बच्चों को जानकारी देते कैप्टन

कारगिल युद्ध में टाइगर हिल के लिए हुई जंग के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित देश सबसे कम उम्र के सैनिक कैप्टन योगेंद्र सिंह ने कहा, मेरी तरह आप लोग भी योद्धा ही हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि मैं मां भारती की रक्षा के लिए योद्धा बना और आपको अपने सपनों को साकार करने के लिए योद्धा बनना है. यकीन मानिए एक योद्धा कभी हारता नहीं है. उसे अपनी मंजिल एक न एक दिन मिल ही जाती है. 

मेरी तरह आप लोग भी योद्धा ही हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि मैं मां भारती की रक्षा के लिए योद्धा बना और आपको अपने सपनों को साकार करने के लिए योद्धा बनना है. यकीन मानिए एक योद्धा कभी हारता नहीं है. उसे अपनी मंजिल एक न एक दिन मिल ही जाती है. 

कैप्टन योगेंद्र सिंह 

सैनिक, भारतीय सेना

लाइफ में तीन ‘पी' होना है जरूरी

ऑनरेरी कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि लाइफ में तीन ‘पी' होना जरूरी है. इसके आधार पर आगे बढ़ोगे तो कभी पीछे देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. पहला ‘पी' है परपज यानी उद्देश्य, आप जो भी काम कर रहे हैं, उसका उद्देश्य आपको पता होना चाहिए कि आप किसलिए इस काम को कर रहे हैं.

कैप्टन योगेंद्र सिंह ने कहा, जैसे मुझे बचपन से मेरा उद्देश्य स्पष्ट था कि मुझे सेना में जाना है. दूसरा ‘पी' है पैशन यानी जुनून, आप डॉक्टर-इंजीनियर, जो भी बनना चाहते हैं उस लक्ष्य को पाने के लिए आप में जुनून होना जरूरी है. जैसे कारगिल युद्ध के दौरान मेरे दिल-दिमाग पर जुनून सवार था कि टाइगर हिल पर तिरंगा फहराना है.

तीसरा पी है ‘परफॉर्मेन्स' यानी प्रगति, आपकी प्रगति के लिए पैशन के साथ काम करेंगे तो परफॉर्मेंस अपने आप आ जाएगी. ये तीनों पी एक-दूसरे के पूरक हैं.

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मोबाइल से दूर रहिए

ऑनरेरी कैप्टन यादव ने कहा कि आप लोगों को सफलता प्राप्त करनी है तो मोबाइल से दूर रहना होगा. युवा लोग दिनभर सोशल मीडिया पर चैटिंग आदि में व्यस्त रहते हैं. देर रात तक रील देखते रहते हैं. इससे सिर्फ आपका समय बर्बाद होगा. ऐसे कोई भी साधन जो आपका ध्यान भटकाते हैं, उनसे दूर रहिए.

सुबह जल्दी उठिए

सुबह जल्दी उठिए लेकिन उसके लिए रात्रि में जल्द सोना जरूरी है. देर रात तक मोबाइल चलाएंगे तो सुबह जल्दी कहां से उठेंगें. सोशल साइट्स के अंधाधुंध इस्तेमाल से आप ना केवल दिग्भ्रमित होते हैं, बल्कि इससे आपका दिमाग भी थका हुआ रहता है.

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खुद को ऊर्जावान बनाए रखिए

यादव ने विद्यार्थियों से कहा कि हमेशा मन में सकारात्मक विचार रखिए. इसके लिए आपको ऊर्जावान बनना होगा और इसके लिए जरूरी है. दिनचर्या को व्यवस्थित करना. रात्रि में 11 बजे तक सोकर सुबह 4 बजे उठने का प्रयास करें. शुरूआत में परेशानी होगी लेकिन, दो-चार दिन में बॉयोलॉजिकल क्लॉक अपने आप सेट हो जाएगी.

इसके बाद पढ़ाई की शुरुआत करिए

सुबह उठकर मात्र 10 मिनट योगा कर लीजिए. इससे बाद पढ़ाई की शुरुआत करिए. इससे परफॉर्मेंस सुधरने के साथ ही पूरे दिन आप ऊर्जावान बने रहेंगे. इससे आपका मन भी नियंत्रण में रहेगा. आप लोग सब्जेक्ट या टॉपिक को रटने की जगह समझिये. यदि एक बार समझ लिया पूरे जीवन वो टॉपिक आपको याद रहेगा.

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परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन

19 वर्ष की आयु में परमवीर चक्र

4 जुलाई 1999 को सूबेदार मेजर यादव ने जो बहादुरी दिखाई, वह भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षर में अंकित है. कारगिल युद्ध में योगेन्द्र सिंह यादव को 15 गोलियां लगी थी, इसके अलावा उनके शरीर पर दो हैंड ग्रेनेड के घाव थे और एक हाथ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था. बावजूद इसके यादव ने अपनी यूनिट के साथ टाइगर हिल पर तिरंगा फहराकर फतह हासिल की थी. उनका करीब एक साल तक सैन्य अस्पताल में इलाज चला था.

गौरतलब है देश में अब तक 21 परमवीर चक्र दिए गए हैं. इनमें से 14 को मरणोपरांत और सात को जीवित रहते हुए यह सम्मान मिला था. वर्तमान में ऐसे तीन ही जीवित योद्धा हैं, जो परमवीर चक्र से सम्मानित हैं. जिनमें से योगेन्द्र सिंह यादव एक मात्र ऐसे सैनिक हैं. जिन्हें कारगिल वार में टाइगर हिल पर कब्जा कर तिरंगा फहराने के लिए परमवीर चक्र प्रदान किया गया था.

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