Kuchaman Dalit murder Case: डीडवाना के कुचामन में दलित युवकों की बोलरो से कुचलकर की गई निर्मम हत्या को लेकर बीते पांच दिनों से गतिरोध जारी था. पीड़ित परिवार के लोग मामले की जांच सीबीआई से कराने, 50 लाख रुपए का मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे. प्रशासन की ओर से कई बार धरने पर बैठे लोगों से बातचीत हुई थी, लेकिन इसका निदान नहीं हो रहा था. लेकिन शनिवार शाम बंद कमरे में हुई प्रशासन और पीड़ित परिजनों की बैठक के बाद समझौता हो गया है. कुचामन थाने के बाहर धरने पर बैठे लोग अपना आंदोलन समाप्त कर चुके हैं. मारे गए दोनों दलित युवकों की की लाश का छठे दिन पोस्टमार्टम कराया गया. जिसके बाद उनकी डेडबाडी परिजनों को दे दी गई है. परिजन अब दोनों के दाह-संस्कार की तैयारी में लगे हैं.
मिली जानकारी के अनुसार शनिवार शाम परिजनों के साथ पुलिस और प्रशासन की वार्ता सफल रही. दोनों पक्षों से सहमति बनने के बाद पांच दिनों से चल रहा धरना समाप्त हुआ. इस मामले में बीते पांच दिनों से चला आ रहा गतिरोध समाप्त होने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली है. वहीं पीड़ित भी अब युवकों के दाह-संस्कार में लगे हैं.
इन मुद्दों पर सहमित के बाद धरना समाप्त
1. दिनेश एमएन के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर जांच होगी.
2. मृतकों को 15-15 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा.
3. मृतकों के परिवार के एक-एक सदस्य को संविदा पर सरकारी नौकरी मिलेगी.
4. इसके अलावा बाकी राशि राजनीतिक पार्टियों और जन सहयोग से मृतकों को दी जाएगी.
समझौते के बाद पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है. समझौते के दौरान जिला कलक्टर सीताराम जाट, एसपी प्रवीण नुनावत, एडीएम श्योराम वर्मा रहे मौजूद रहे. इसके अलावा पीड़ित परिजनों के साथ-साथ बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी मौजूद रहे.
कैबिनेट मंत्री मेघवाल ने भी की थी बातचीत
मालूम हो कि इस मामले को लेकर पांच दिनों से गतिरोध जारी था. सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों और संघर्ष समिति के लोगों से लगातार कई दौर की वार्ताएं की गई और मांगों पर सहमति बनाने का प्रयास किया गया. सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल भी कुचामन पहुंचे थे, जिन्होंने वार्ता कर सहमति के प्रयास किए, मगर परिजन अपनी मांगों पर खड़े रहे। जिससे कई दौर के वार्ताएं बेनतीजा रही.
दलितों की हत्या से गरम हो गया था सियासी पारा
इस मामले को लेकर दलित समाज में आक्रोश बना हुआ था, वहीं राजनीति भी जोरों पर थी. चुनावी साल में भाजपा इस मामले के बहाने गहलोत सरकार पर निशाना साथ रही थी और सरकार पर कानून व्यवस्था में विफल होने का आरोप लगा रही है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मामले की जांच के लिए पांच सांसदों की एक टीम भी कल कुचामन भेजी थी, जिसने कल कुचामन पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी और घटनास्थल का जायजा लिया था.
जबकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल अपने तीनों विधायकों के साथ कल धरने पर पहुंचे थे और देर रात तक परिजनों के साथ धरने पर बैठे रहे। इसके अलावा बसपा के प्रदेश पदाधिकारी भी धरने में पहुंचे थे.
जानिए क्या है दलितों की हत्या का यह मामला
डीडवाना जिले की राणासर गांव में धार्मिक मेले में भाग लेकर लौट रहे तीन दलित युवकों की बदमाशों ने हाईवे किनारे गाड़ियों से कुचलकर हत्या कर दी थी. इस मामले में दो युवकों राजूराम और चुन्नीलाल की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि तीसरा युवक किशनाराम गंभीर रूप से घायल हो गया था. पुलिस जांच में सामने आया था कि बदमाशों ने इन युवकों की गफलत में हत्या कर दी, क्योंकि उनका झगड़ा किसी अन्य गैंग से था. बदमाशों ने इन मृतक युवकों को अपनी रेकी करने वाला बदमाश समझ लिया और गाड़ियों से पीछा कर कुचलकर मार डाला.
यह भी पढ़ें - डीडवाना : दलित युवकों की हत्या मामले में बड़ा खुलासा, ADG लॉ एंड ऑर्डर ने बताई पूरी कहानी