Kyrgyzstan Violence: किर्गिस्तान में फंसे कोटा के छात्रों के परिजनों ने ओम बिरला से लगाई गुहार, सुरक्षित देश वापस लाने की अपील

Kyrgyzstan Violence: वहीं परिजनों ने बच्चों को वापस सुरक्षित लाए जाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मदद करने का अनुरोध किया. इस वक्त 12 से ज्यादा के करीब बच्चे किर्गिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. 

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Kyrgyzstan Violence: मध्य एशियाई देश किर्गिस्तान भारतीय छात्रों के साथ हुई हिंसा के बाद से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे कोटा के छात्रों के परिजन काफी चिंता में हैं. वह अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं. साथ ही लगातार उनसे वीडियो कॉल कर हौसला दे रहे हैं. इस वक्त 12 से ज्यादा के करीब बच्चे किर्गिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. 

परिजनों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बच्चों के लिए लगाई गुहार

वहीं परिजनों ने बच्चों को वापस सुरक्षित लाए जाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मदद करने का अनुरोध किया है. इसमें परिजनों ने कहा है कि, उनके बच्चों को सुरक्षित देश वापस लाने, फ्लाइट के टिकट के दामों को कम करने और बच्चों के ऑनलाइन एग्जाम करवाने की अपील की गई है. 

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कमरों में कैद होकर रह गई जिंदगी

इस मामले में किर्गिस्तान में फंसे कोटा के छावनी इलाके के रहने वाले विशु के पिता देवेश तिवारी, जो निगम वार्ड पार्षद भी है. उन्होंने बताया कि, उनका बेटा विशु, उसका  दोस्त यश शर्मा सहित 12 से ज्यादा बच्चे हिंसा में फंसे हुए है. हालात यह है कि वह कमरों में कैद होकर रह गए है. देवेश लगातार बेटे से वीडियो कॉल के जरिए बात कर रहे है. विशु ने पिता देवेश को बताया था कि इस सप्ताह परीक्षा होनी है, इससे पहले ही वे मुसीबत में फंस गए. और अब कमरों से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है. इधर, देवेश तिवारी ने कहा भारत सरकार किर्गिस्तान में मौजूद छात्र छात्राओं को सुरक्षा मुहैया करवाकर उन्हें भारत लाए.

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500 मीटर दूर एक छात्र का काट दिया था हाथ

वहीं दूसरी तरफ, कोटा के ही बोरखेड़ा के पुष्पेंद्र तंवर भी विशु की तरह किर्गिस्तान के बिश्केक में फंसे हुए हैं. वे एमबीबीएस के अंतिम वर्ष में पढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि, वहां उनके साथ अधिकांश जूनियर स्टूडेंट्स हैं. उनका कोर्स पूरा नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी वे सब घर आना चाहते है. आगे कहा वे 2019 में यहां आया था. उसका एमबीबीएस जून में पूरा होना था. इसके बाद डिग्री लेकर ही कोटा आना था कि हिंसा शुरू हो गई. सरकार और कॉलेज से नोटिस मिला की 7 दिन तक कमरे से नहीं निकलना है. 17 मई से एक मिनट के लिए वह बाहर नहीं निकला. स्थानीय लोगों के साथ तो कुछ नहीं कर रहे, लेकिन बाहर के स्टूडेंट्स दिखते ही उन पर टूट पड़ते हैं.

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उसने आगे बताया कि, रविवार को ही 500 मीटर दूर एक छात्र का हाथ काट दिया था, जिसके बाद गेट अंदर से लॉक किया हुआ है. हम राजस्थान के चार दोस्त साथ रहते हैं. वहीं यहां कोटा में पुष्पेंद्र  के पिता राजेंद्र गुर्जर और मां भगवानी बाई काफी परेशान हैं. वे सुबह- शाम  वीडियो कॉल कर हालचालले रहे है. साथ ही, बड़े भाई संजय तंवर ने भी एंबेसी में पुष्पेंद्र को सुरक्षा दिलाने की मांग की है. 

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