नेता का चेहरा, फ्रीबीज़ और शिक्षा व्यवस्था, विधानसभा चुनाव में क्या होंगे उदयपुर के युवाओं के मुद्दे ?

सरकारों की मुफ्त योजनाओं के बारे में युवाओं ने कहा कि सरकार को मुफ्त में चीजें नहीं देनी चाहिए. इससे जनता पर ही बोझ बढ़ता है. वहीं, कुछ युवा इससे असहमत नजर आए. एक युवती ने कहा कि अगर लड़कियों को स्कूटी मिलती है तो वे पढ़ने के लिए निकल पाती हैं.

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चेहरा देखकर नहीं, युवा स्थानीय मुद्दों पर करेंगे वोट

Rajasthan Election: राजस्थान में सवा 5 करोड़ मतदाता अगली सरकार चुनेंगे. इनमें डेढ़ करोड़ युवा मतदाता है. करीब एक तिहाई युवा वोटरों पर सभी दलों की निगाहें हैं. अपने-अपने तरीके से वे इन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच युवाओं के अपने मुद्दे क्या हैं? वे क्या सोचते हैं? इसको लेकर NDTV राजस्थान की टीम ने उदयपुर में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं से बातचीत की.

कैसी सरकार चाहते हैं आप? 

इस सवाल के जवाब में ज्यादातर युवाओं ने कहा, हम ऐसी सरकार चाहते हैं जो पेपर लीक पर रोक लगाए. भर्ती परीक्षाओं को नियमित करे. आरपीएससी का कैलेंडर सही करे ताकि विद्यार्थियों को पर्याप्त मौके मिल पाए. युवाओं का साफ तौर पर कहना था कि सरकार किसी को हो, इन मुद्दों को प्राथमिकता देना जरूरी है.

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स्थानीय विधायक का चेहरा महत्वपूर्ण, बड़े नेता नहीं

ज्यादातर युवाओं ने कहा कि वे किसी बड़े नेता या मुख्यमंत्री का चेहरा देखकर नहीं, बल्कि स्थानीय विधायक का चेहरा ध्यान में रखकर वोट डालेंगे, क्योंकि स्थानीय विधायक ही क्षेत्र की समस्या जानता है. साथ ही, किसी समस्या के समाधान के लिए उन तक पहुंचना आसान है. इसलिए विधायक को ध्यान में रखकर वोट करना जरूरी है. 

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फ्रीबिज पर बंटी युवाओं की राय

सरकारों की मुफ्त योजनाओं के बारे में युवाओं ने कहा कि सरकार को मुफ्त में चीजें नहीं देनी चाहिए. इससे जनता पर ही बोझ बढ़ता है. वहीं, कुछ युवा इससे असहमत नजर आए. एक युवती ने कहा कि अगर लड़कियों को स्कूटी मिलती है तो वे पढ़ने के लिए निकल पाती हैं. वरना कई मां-बाप अपने बेटियों को पढ़ने नहीं भेजेंगे. अनुप्रति योजना से भी लड़कियों को आगे बढ़ने का मौका मिला है. तो यह देखना जरूरी है कि योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचे.

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महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी मुखर हुए युवा

इसके अलावा महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी मौजूद युवाओं ने ठोस कदम उठाने की मांग की. चिरंजीवी योजना की तारीफ करने वाले विद्यार्थियों ने भी पेपर लीक पर सरकार के प्रति असंतोष जाहिर किया. उन्होंने प्रतिनिधि के पढ़े-लिखे होने को जरूरी बताया ताकि पॉलिसी बनाने में उनकी भूमिका हो पाए.

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