Rajasthan News: राजस्थान में लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को आएंगे, लेकिन 13 सीट जीतने का दावा करने वाली कांग्रेस में क्रेडिट लेने का खेल अभी से शुरू हो गया है. इस वक्त कांग्रेस (Congress) के बड़े नेताओं और उनके समर्थकों बीच बयानबाजी दौर चल रहा है. खासतौर पर किस नेता ने चुनाव में कितनी मेहनत की और कितने दौरे किए? इन दौरों से कांग्रेस के फेवर में कितना माहौल बना? बाकायदा इसके लिए नेताओं की टीम के सोशल मीडिया पर अलग अलग दावे भी शुरू हो गए हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि अशोक गहलोत, सचिन पायलट और डोटासरा ने लोकसभा चुनाव में कितना दम लगाया है? किसका किस सीट पर खास फोकस रहा है?
'NDTV राजस्थान' के पास मौजूद डेटा के मुताबिक, इस बार नेताओं ने जिन सीटों पर प्रत्याशियों के टिकट की पैरवी की है, वहां चुनाव प्रचार में अपने हिसाब से पूरी ताकत लगाई है. लेकिन कुछ सीटे ऐसी हैं, जिन्हें बड़े नेताओं ने अवॉयड भी किया है. खासतौर पर गहलोत और डोटासरा दोनों ही नेता जयपुर ग्रामीण चुनाव प्रचार करने नहीं गए. वहीं सचिन पायलट ने भी जालौर-सिरोही और नागौर की सीट पर चुनाव प्रचार से परहेज किया.
डोटासरा ने 22 संसदीय सीट पर किए 45 दौरे
राजस्थान में चुनाव लड़वाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी पीसीसी चीफ के रूप में गोविंद सिंह डोटासरा के पास रही और इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस बार कांग्रेस के कार्यकर्ता को चार्ज करने में उनका रोल सबसे अधिक रहा है. पीसीसी चीफ ने 26 मार्च से लेकर 24 अप्रैल के बीच 45 चुनावी दौरे किए, जिसमें 22 लोकसभा सीटों को कवर किया गया. PCC चीफ का विशेष फोकस शेखावाटी की तीनों लोकसभा सीट चूरू, सीकर और झुंझुनू पर रहा है. इसके अलावा बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, बांसवाड़ा और टोंक-सवाईमाधोपुर सहित कुल 22 लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार किया. डोटासरा नागौर और जयपुर ग्रामीण में चुनाव प्रचार करने नहीं गए.
गहलोत के 53 में से 21 दौरे जालोर-सिरोही में
इस चुनाव में बतौर कैंपेन कमेटी चेयरमैन अशोक गहलोत के पास सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी. अशोक गहलोत ने चुनाव में 26 मार्च से 24 अप्रैल के बीच 53 चुनावी दौरे किए, जिसमें 22 लोकसभा सीट को कवर किया गया. लेकिन सबसे अधिक फोकस जालोर-सिरोही सीट पर रहा. बेटे वैभव गहलोत के चुनाव लड़ने की वजह से गहलोत ने सबसे अधिक 21 चुनावी दौरे जालोर-सिरोही सीट के किए. अशोक गहलोत ने अपने चुनावी दौरे की शुरुआत सीकर से की थी. इसके बाद गहलोत ने चूरू, बीकानेर, उदयपुर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, भीलवाड़ा, जयपुर, गंगानगर, झुंझुनूं, धौलपुर, अलवर, जैसलमेर, करौली-धौलपुर, झालवाड़, चितौड़गढ़, दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर और नागौर में चुनावी जनसभा की थी.
पायलट के 28 दौरों से 15 सीटों पर हुआ असर
चूंकि इस चुनाव में सचिन पायलट के पास छत्तीसगढ़ का भी प्रभार था, लेकिन इसके बाद भी पायलट ने राजस्थान में 28 चुनावी दौरे किए, जिसमें 15 लोकसभा सीटों पर असर डाला. पायलट का खासतौर पर फोकस टोंक-सवाईमाधोपुर, जयपुर ग्रामीण, दौसा, झुंझुनू, धौलपुर-करौली, अलवर, भरतपुर, जोधपुर और बाड़मेर सीट पर रहा. राजस्थान में कांग्रेस के बड़े नेताओं के चुनाव प्रचार के आंकड़े इस बात पर इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि राजस्थान कांग्रेस इस बार भाजपा से अधिक सीटों का दावा कर रही है. ऐसे में अगर परिणाम आशा अनुकूल रहेंगे तो फिर कांग्रेस के बड़े नेता अपनी अपनी पसंद वाली सीटों पर जीत का क्रेडिट लेने से भी नहीं चूकेंगे.
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