Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे चुनावी संग्राम भी तेज होता जा रहा है. इस बीच राजस्थान की सबसे हॉट सीट बन चुकी नागौर (Nagaur Lok Sabha Constituency) पर एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जिसके अनुसार कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के बीच गठबंधन (RLP-Congress Alliance) लगभग हो चुका है. संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस और आरएलपी के गठबंधन का आज औपचारिक रूप से ऐलान हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो हनुमान बेनीवाल कांग्रेस और आरएलपी के उम्मीदवार होंगे. वहीं यह लगातार तीसरा मौका होगा, जब बेनीवाल ज्योति मिर्धा (Jyoti Mirdha) के सामने चुनाव लड़ेंगे.
दो धड़ों में बट गए हैं नेता
मगर, इसके साथ ही कई बड़े और अहम सवाल भी हैं, जिनका जनता को बेसब्री से इंतजार है. सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि हनुमान बेनीवाल क्या नागौर को फतह कर पाएंगे? और दूसरा कि बेनीवाल से गठबंधन का कांग्रेस को कितना फायदा मिलेगा? क्या हनुमान बेनीवाल से गठबंधन का लाभ कांग्रेस को नागौर के अलावा बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर सहित अन्य सीटों पर भी फायदा होगा? या फिर इस गठबंधन से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के जोश में कमी आएगी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अलग-अलग खेमों में बंट जाएंगे? क्योंकि हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन करने पर कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता दो धड़ों में बंटे हुए साफ नजर आ रहे हैं. एक धड़ा हनुमान बेनीवाल के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है और वह आलाकमान को हनुमान बेनीवाल से गठबंधन पर दबाव डाल रहा है.
गठबंधन के पक्ष में गहलोत
इस पक्ष का कहना है कि हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन का लाभ कांग्रेस का मिलेगा, क्योंकि कांग्रेस के मूल वोटों के साथ ही आरएलपी के वोट भी कांग्रेस-आरएलपी गठबंधन को मिलेंगे, क्योंकि विधानसभा चुनाव में कई जगहों पर आरएलपी के प्रत्याशी दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे थे. बेनीवाल के सबसे बड़े हिमायती बनकर उभरे हैं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जो गठबंधन के पक्ष में खड़े हैं. वे आलाकमान को इस बात पर मनाने में जुटे हैं कि नागौर सीट बेनीवाल को दे दी जाए, ताकि इसका फायदा मारवाड़ अंचल सहित अन्य लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस को मिले.
'अकेले जीत सकती है कांग्रेस'
जबकि दूसरा धड़ा गठबंधन के पक्ष में नहीं है. इस पक्ष का तर्क है कि हालिया विधानसभा चुनाव में नागौर लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभाओं में से चार पर कांग्रेस ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है. वहीं भाजपा केवल दो सीटें ही जीत पाई है, जबकि एक आरपीपी व एक निर्दलीय के खाते में गई है. इस पक्ष का तर्क है कि कांग्रेस मजबूत स्थिति में है और अपने दम पर नागौर की सीट जीत सकती है. इनका कहना है कि आरएलपी का जनाधार खिसक चुका है. आरएलपी विधानसभा चुनाव में खास कमाल नहीं दिखा पाई थी, और 70 सीटों में से केवल हनुमान बेनीवाल अकेले ही चुनाव जीत पाए थे. बेनीवाल खुद भी बेहद कम अंतर से चुनाव जीत सके थे.
क्या गारंटी बेनीवाल बने रहेंगे?
इसके अलावा यह धड़ा हनुमान बेनीवाल की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि हनुमान बेनीवाल कांग्रेस के धुर विरोधी रहे हैं और कई बार खुले मंचों से कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित अनेक कांग्रेसी नेताओं के बारे में बयानबाजी कर चुके हैं. पिछली बार भी हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के साथ गठबंधन करके कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था. फिर भाजपा से उन्होंने गठबंधन तोड़ दिया. ऐसे में अगर कांग्रेस बेनीवाल से गठबंधन करती है तो इसकी क्या गारंटी है कि हनुमान बेनीवाल गठबंधन में बने रहेंगे? कहा जा रहा है कि पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, हरीश चौधरी, हेमाराम चौधरी और दिव्या मदेरणा कांग्रेस आलाकमान को साफ कह चुके हैं कि गठबंधन किसी की सूरत में कांग्रेस के हित में नहीं होगा.
इस बार रोचक होगा मुकाबला
गठबंधन को लेकर पिछले कई दिनों से लगातार चले मंथन और विचार विमर्श के बाद अब यह खबर आई है की हनुमान बेनीवाल के साथ कांग्रेस का गठबंधन लगभग हो चुका है और आज औपचारिक रूप से इसकी घोषणा हो सकती है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि हनुमान बेनीवाल का यह दांव क्या राजस्थान में 'गेम चेंजर' साबित होगा? नागौर पर उनके सामने भाजपा ने ज्योति मिर्धा को उतारा है जो काफी मजबूत प्रत्याशी है. 2014 और 2019 के चुनाव की अपेक्षा अब स्थितियां और समीकरण काफी बदल गए हैं, ऐसे में क्या हनुमान बेनीवाल उन्हें हार पाएंगे?
बेनीवाल की जीत को लेकर सवाल
2019 में हनुमान बेनीवाल ने मोदी लहर पर सवार होकर एनडीए उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी, मगर अब वह इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार होंगे तो क्या वे पिछली बार वाला करिश्मा दोहरा पाएंगे? वहीं इस गठबंधन से कांग्रेस और आरएलपी के कार्यकर्ता क्या संतुष्ट होंगे? और एक जाजम पर आकर क्या एकजुटता दिखा पाएंगे? और सबसे बड़ी बात कि बेनीवाल से गठबंधन से कांग्रेस को कितनी सीटों पर लाभ मिल सकेगा? यह देखना बड़ा दिलचस्प और रोचक होगा.
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