पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ प्रभु श्रीनाथ जी की हवेली में धूमधाम से दो दिवसीय श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया. जिसमें विशेष रूप से जन्माष्टमी के दिन प्रातः श्रीजी प्रभु की मंगला के पश्चात प्रधान पीठ के तिलकायत श्री के सुपुत्र गो. ची. 105 श्री विशाल बाबा ने श्रीजी प्रभु को पंचामृत स्नान कराया तत्पश्चात श्रीजी प्रभु को विशेष श्रृंगार करा कर श्रृंगार के दर्शन में प्रभु के सम्मुख श्री कृष्ण जन्म पत्रिका, श्रीजी मंदिर के पंड्या जी द्वारा बांची गई.
रात्रि में श्रीजी प्रभु के 9:00 बजे जागरण के दर्शन खुले. जो रात्रि के 11:30 बजे तक दर्शन हुए तत्पश्चात रात्रि के 12:00 बजे जो कि श्री कृष्ण का जन्म समय माना जाता है. श्री कृष्ण के जन्म की इस शुभ वेला में श्रीजी प्रभु में विश्व की एकमात्र अनूठी परंपरा का निर्वाह 350 वर्षों से किया जा रहा है. जिसमें 21 तोपों की सलामी के रूप में प्रभु का सम्मान और स्वागत किया जाता है.
श्रीनाथजी की हवेली में धूमधाम से प्रभु श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया
प्रातः नंद महोत्सव की शुभ वेला में गो. चि.105 श्री विशाल बाबा ने श्री नवनीत प्रिया जी और श्रीजी प्रभु के छठी की पूजा की. प्रभु के सम्मुख स्वर्ण पलने में बिराज कर नंद बाबा और यशोदा के रूप में बने श्रीजी और लाडले लाल प्रभु के मुखिया जी द्वारा प्रभु को स्वर्ण एवं रजत से निर्मित खिलौनों से रिझाया गया और पलना झुलाया गया.
ग्वाल और गोपी बने मंदिर सेवकों ने नृत्य गान किया. इस अवसर पर संपूर्ण हवेली और नगर में दूध दही एवं केसर से युक्त रस का छिड़काव कर सभी वैष्णव जन को सराबोर किया.
इस तरह बड़े धूमधाम से श्री कृष्ण जन्मोत्सव और नंद महोत्सव मनाया गया. इस अवसर पर गो.ची. 105 श्री विशाल बाबा ने संपूर्ण पुष्टि सृष्टि और वैष्णव जन को श्री कृष्ण जन्मोत्सव की ढ़ेर सारी बधाई दी.