पशुओं में तेजी से फैल रहा है लम्पी वायरस, जानें क्या है इसके लक्षण और कैसे करें बचाव

राजस्थान में गोवंश में लंपी रोग (Lumpy Virus) के लक्षण देखे जाने के बाद पशु पालकों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई है. जानिये क्या है लंपी रोग के लक्षण और इस रोग से बचने के उपाय.

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लंपी वायरस से ग्रस्त जानवर (फाइल फोटो)

Tonk News:

राजस्थान में एक बार फिर से पशुपालकों के लिए खतरे की की आहट सुनाई दी है. दरअसल, हाड़ौती के कुछ जिलों में वेटरनरी डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं और इसी बीच गोवंश में लंपी रोग (Lumpy Virus) के लक्षण देखे जाने के बाद पशु पालकों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई है. इस रोग से प्रभावित पशुओं में मृत्यु दर बहुत कम होती है और सामान्य तौर पर 2 से तीन हफ्ते में पशु स्वस्थ हो जाता है. लंपी बीमारी जूनॉटिक नहीं है, इसलिए पशुओं का संक्रमण इंसानों में नहीं फैलता. NDTV संवादाता ने डॉ. ए. के.पांडे से इस सम्बन्ध में बात की. 

डॉक्टर से बातचीत करते संवाददाता

गायों में क्या होते हैं लंपी रोग के लक्षण

राजस्थान में पाकिस्तान से आई लंपी रोग की बीमारी ने पिछले साल बहुत तबाही मचाई थी और पशुपालकों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ा था. एक संक्रामक रोग लंपी का संक्रमण जानवर से जानवर में ही फैलता है. इसके प्रमुख लक्षणों में जानवरों के शरीर का तापमान बढ़ना, तेज बुखार आने के साथ उनकी आंखों और नाक से पानी आने लगना है. 

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इसके अलावा लंपी रोक से संक्रमित जानवर के शरीर के कुछ हिस्सों जैसे पैरों में सूजन आ जाना, शरीर पर गांठे बनना और घाव बन जाना है.इस रोग की वजह से जानवर कमजोर होने लगता है और उसे सांस लेने में तकलीफ होती है, इससे उसका वजन कम होने लगता है. पिछले साल इलाज के अभाव के ज्यादा प्रभावित होने पर हजारों गोवंश की मौत हुई थी. 

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कैसे फैलता है पशुओं में लंपी रोग

भले ही स्वदेशी टीके से लंपी वायरस पर नियंत्रण पाया गया हो पर यह भी जानना आवश्यक है कि आखिर यह रोग कैसे फैलता है. लंपी एक त्वचा रोग है जो वायरस से फैलता है और गाय-भैंसों में प्रमुखता से असर करता है. यह वीषाणु जनित संक्रामक रोग है.

अगर कोई पशु लंपी वायरस से संक्रमित हो जाए तो उसके शरीर पर परजीवी कीट, किलनी, मच्छर, मक्खियों से और दूषित जल, दूषित भोजन और लार के संपर्क में आने से यह रोग अन्य पशुओं में भी फैल सकता है. जानवरो में यह रोग एलएसडी केप्रीपॉक्स से फैलता है और एक दूसरे के संकर्म के साथ ही यह रोग मक्खी ओर मछरों के साथ ही चारे से भी संक्रमण फैलाता है. 

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लंपी रोग में टीकाकरण ही सबसे उचित बचाव है पर फिर भी डॉक्टर की सलाह लेते हुए जानवरो में लंपी के लक्षण चर्म रोग में निशान व घाव आदि दिखने पर पहले घाव पर गर्म पानी और डेटॉल से सफाई करके लाल दवाई का उपयोग करें. जितना जल्दी संभव हो जानवरों का टीकाकरण भी करवायें.

डॉ. ए. के. पांडे

पशु चिकित्सक

लाल दवाई ओर पैरासिटामॉल है प्रभावशाली 

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. ए. के.पांडे कहते है कि वैसे तो लंपी रोग में टीकाकरण ही सबसे उचित बचाव है पर फिर भी डॉक्टर की सलाह लेते हुए जानवरों में लंपी के लक्षण चर्म रोग में निशान व घाव आदि दिखने पर सर्वप्रथम घाव पर गर्म पानी और डिटॉल से सफाई कर लाल दवाई का उपयोग करें व पैरासिटामॉल टेबलेट डॉक्टर की सलाह पर मात्रा तय कर देना चाहिए. जितना जल्दी संभव हो जानवरों का टीकाकरण भी करवाए जाने चाहिए. वहीं, पशु पालक आने पशु बाड़ों में साफ सफाई का ध्यान रखे. अगर किसी जानवर में ऐसे लक्षण दिखाई देते है तो उसे दूसरे अन्य जानवरों से दूर रखें. 

रोकथाम और बचाव के उपाय

जिस क्षेत्र में लंपी वायरस का संक्रमण फैला है, उस क्षेत्र में स्वस्थ पशुओं की आवाजाही रोकी जानी चाहिए. जो पशु संक्रमित हो उसे स्वस्थ पशुओं के झुंड से अलग रखें ताकि संक्रमण न फैले. संक्रमित क्षेत्र में जब तक लंपी वायरस का खतरा खत्म न हो, तब तक पशुओं के बाजार मेले आयोजन और पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगनी चाहिए.

स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना चाहिए ताकि अगली बार उन्हें किसी तरह का संक्रमण न लगे. कीटनाशक और विषाणुनाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किल्ली, मक्खी और मच्छर आदि को नष्ट कर दें. पशुओं के रहने वाले बाड़े की साफ-सफाई रखें. किसी पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.

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