Rajasthan Politics: बेनीवाल के बयान पर मदन राठौड़ बोले- यह कुंठित मानसिकता, पढ़ेंगे नहीं तो ज्ञान कैसे बढ़ेगा

Rajasthan: जयपुर में एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग के लिए धरने के दौरान बेनीवाल ने राजस्थान के इतिहास पर बयान दिया था. इस पर विवाद शुरू हो गया है.

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बेनीवाल के बयान पर मदन राठौड़ ने प्रतिक्रिया दी.

Madan Rathore reaction on Hanuman Beniwal's statement: आरएलपी सुप्रीमो और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के बयान पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बेनीवाल के बयान का विरोध जाहिर करते हुए कहा कि यह कुंठित मानसिकता है. उन्हें ऐसा बोलना नही चाहिए था. साथ ही मदन राठौड़ ने नागौर सांसद को राजस्थान का गौरवशाली इतिहास पढ़ने की नसीहत भी दी. दरअसल, बेनीवाल जयपुर में एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग के लिए धरना दे रहे हैं. धरनास्थल पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि राजस्थान में एक-दो लोगों ने ही लड़ाइयां लड़ी हैं, बाकी तो लोग मुगलों के आगे जाकर दंडवत लेट जाते थे. उनके इसी बयान के बाद सामाजिक और राजनीतिक तौर पर विरोध सामने आया है. 

राठौड़ बोले- पढ़ेंगे नहीं तो ज्ञान कैसे बढ़ेगा

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, "यदि इतिहास पढ़ेंगे तो राणा सांगा, राणा कुम्भा, पृथ्वीराज चौहान, अमरसिंह राठौड़ और दुर्गादास राठौड़ जैसे कई वीर योद्धा मिलेंगे. पढ़ेंगे तो मिलेंगे, पढ़ेंगे नही तो कैसे ज्ञान बढ़ेगा लेकिन पढ़ेंगे कब? उन्हें (बेनीवाल) मेरी-तेरी करने से समय ही नहीं मिलता. उनको पढ़ना चाहिए"

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मारवाड़ राजपूत सभा ने भी दर्ज कराया विरोध

वहीं, मारवाड़ राजपूत सभा के अध्यक्ष हनुमान सिंह खांगटा ने भी विरोध जताया. खांगटा ने कहा कि इस तरह की ओछी मानसिकता रखने वाले संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के दिमाग का दिवालियापन निकल चुका है. हनुमान बेनीवाल खुद पर्दे के पीछे पैर पकड़कर सौदेबाजी और समझौता करता है. सभा के अध्यक्ष ने कहा कि हिंदुस्तान के इतिहास में से अगर राजस्थान का इतिहास निकाल दिया जाए तो पीछे कुछ नहीं बचता. राजस्थान के शूरवीर लड़ाके नहीं होते तो यह लोग भी हरी टोपी पहनकर कही बैठे होते. यह राजस्थान में ही नहीं होते. 

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जानिए नागौर सांसद का पूरा बयान

उन्होंने कहा, "मुगल जब आक्रमण करने आते थे तो 60- 70 किलोमीटर पहले ही जाकर कह देते थे कि आप लोग इधर मत आइए. वो अपनी बेटियों को भी आगे कर देते थे. महाराणा प्रताप और राजा सूरजमल  ने ही लड़ाइयां लड़ी थी." उनके इसी बयान के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें जबरदस्त ट्रोल भी किया गया.  

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