राजसमंद में स्थित है करीब 1000 साल पुराना स्वयंभू शिवलिंग, मुगल आक्रमण के समय हुआ था चमत्कार!

Mahashivratri 2025: राजसमंद के गुप्तेश्वर महादेव मंदिर को लेकर मान्यता है कि कुवारी कन्याएं इस मंदिर में सोलह सोमवार का व्रतकर पूजन कर मनवांछित वर की प्राप्ति करती हैं. हजारों श्रद्धालुओं के आने जाने का केवल एक ही मार्ग है जो इस गुफा से होकर गुजरता है.

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राजसमंद का गुप्तेश्वर महादेव मंदिर

Mahashivratri 2025:  कल यानी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व है, इसको लेकर अलग-अलग मंदिरों में तेजी के साथ तैयारी चल रही है. राजस्थान के राजसमंद में कांकरोली बाजार के गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में भी शिवरात्रि की सभी तैयारी पूरी कर ली गई. इस मंदिर में हर सोमवार और शिव पूजन के विशेष दिनों पर भारी भीड़ रहती है. सैंकड़ों लोग हर दिन स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आता है. गुप्तेश्वर महादेव का करीब 975 वर्ष पुराना स्वयंभू शिवलिंग है. कहा जाता है कि राजसमंद जिले के संस्थापक राणा राज सिंह की इस मंदिर में विशेष आस्था थी.

135 फीट लंबी गुफा में विराजमान शिवलिंग 

मुख्य बाजार के बीच करीब 135 फीट लंबी गुफा के बाद यहां शिव परिवार विराजमान है. गुफा के बाहर बजरंगबली और संतोषी माता का भी मंदिर बना हुआ है. समय बदलने के साथ इस गुफा में बिजली और हवा की व्यवस्था की गई. इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग की यह विशेषता है कि एशिया की दूसरी मीठे पानी की कृत्रिम झीलों में शुमार राजसमंद झील का जलस्तर बढ़ने के साथ ही स्वत यहां पर जलाभिषेक होता है.

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इस विशाल गुफा के ऊपर वर्षों से सैकड़ों परिवार निवासरत हैं, जो आज भी रेती मोहल्ला और सूरजपोल इलाका कहलाता है.

अपने आप शिवलिंग का होता जलाभिषेक

करीब 33 फीट पानी की क्षमता वाली इस झील में जब पानी लबालब होता है तो यह शिवलिंग भी जलमग्न हो जाता है. वर्षों से यह जन-जन की आस्था का केंद्र रहा है. मंदिर के बाहर एक प्रसिद्ध पौराणिक बावड़ी बनी हुई थी जो अब एक कुएं में तब्दील हो गई. मंदिर के पुजारी लोकेश गिरि बताते हैं कि गुप्तगिरि जी महाराज थे, जो गोमती नदी के किनारे पहाड़ी ऊपर तपस्या कर रहे थे. उनको भोलेनाथ ने स्वपन्न में दर्शन दिया और इसके बाद महाराज ने शिवलिंग को प्राप्त किया.

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450 वर्ष पुरानी है मंदिर की गुफा

इस पर महाराज ने शिवलिंग की नदी के किनारे पहाड़ी के ऊपर बालेश्वर महादेव के नाम पूजा अर्चना शुरू कर दी. शिवलिंग 975 वर्ष पुराना है और 450 वर्ष पुरानी गुफा महाराणा राज सिंह द्वारा बनाई गई है. जब पाल का निर्माण करवाया गया तो पाल के बीच में गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर का आ गया था. इसके बाद एक बार तो मिट्टी से पाट दिया गया.

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मुगल आक्रमण के समय चमत्कार का दावा

पुजारी का कहना है कि जब गाय का दूध अपने आप ऊपर गिरने लगा तो राजा ने शिवलिंग को बाहर निकालने की कोशिश की. ज्यों-ज्यों खुदाई करते गए. वैसे ही शिवलिंग जमीन के नीचे चला गया तो राजा को भी गुप्तेश्वर महादेव ने स्वपन्न में आकर कहा कि मेरा स्थान हटाओगे तो निर्माण नहीं हो पायेगा. मेरी 500 वर्ष पूजा हो चुकी है. आप आने जाने का रास्ता छोड़ दीजिए. तब गुफा बनाई गई थी. पुजारी का दावा है कि मुगलों द्वारा जब आक्रमण किया गया तो गुफा के अंदर साधु-संत बैठ गए और अपने योग विद्या से पूरी सेना के पेट के अंदर दर्द चालू किया, जिसके बाद मुगल सेना को भागना पड़ा. 

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