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Mahashivratri: सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर बना है देव सोमनाथ मंदिर, 12वीं सदी में रातों रात हुआ तैयार... संगमरमर के 148 पिलर पर है टिका

देव सोमनाथ मंदिर को पत्थरों से बनाया गया है और इसमें किसी तरह के ईंट, रेत, चूना और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. तीन मंजिला मंदिर की इमारत केवल पत्थरों से बनाई गई है.

Mahashivratri: सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर बना है देव सोमनाथ मंदिर, 12वीं सदी में रातों रात हुआ तैयार... संगमरमर के 148 पिलर पर है टिका

Mahashivratri Dev Somnath Temple: महाशिवरात्रि को लेकर देश में उत्साह दिख रहा है और शिवालय सज चुके हैं. महा शिवरात्री पर भगवान शिव की पूजा होती है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की शादी होती है. हमारे देश में कई प्राचीन शिव मंदिर हैं, जिसकी चर्चा होती है. ऐसे ही राजस्थान में एक शिव मंदिर है जो देश विदेश में प्रसिद्ध है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यह मंदिर 12वीं सदी में सोमनाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया था. इतना ही नहीं इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यह मंदिर एक रात में बनाया गया था. इस मंदिर का नाम है देव सोमनाथ मंदिर जो राजस्थान में उदयपुर और डूंगरपुर की सीमा पर सोम नदी के तट पर बना हुआ है.

बताया जाता है कि देव सोमनाथ मंदिर को पत्थरों से बनाया गया है और इसमें किसी तरह के ईंट, रेत, चूना और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. तीन मंजिला मंदिर की इमारत केवल पत्थरों से बनाई गई है.

12वीं सदी में रातों रात बना मंदिर

डूंगरपुर जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर सोम नदी के तट पर स्थित देव सोमनाथ मंदिर वागड़ ही नहीं देश-विदेश में प्रसिद्ध है. मंदिर से कई लोगों की आस्था जुड़ी हुई हैं. सोम नदी के तट पर स्थित देव सोमनाथ मंदिर को लेकर मान्यता है कि 12वी सदी में रातों-रात यह मंदिर बना है. वहीं यहां मिले शिलालेख और इतिहासविद मंदिर को लेकर एक राजपूत शासक की ओर से इसे बनाने की बात कहते है, लेकिन बरसों से मंदिर की पूजा करने वाले सेवक समाज के पुजारी मंदिर और शिवलिंग के स्वयं भू होने की बात कहते है.

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संगमरमर के 148 पिलर पर टिका है मंदिर 

देव सोमनाथ मंदिर तीन मंजिला है और 148 पत्थरों के पिलर पर टिका हुआ हैं ओर यह पत्थर एक-दूसरे से इस तरह जुड़े हुए है. इस मंदिर अपनी बेजोड़ बनावट और स्थापत्य कला के कारण हर किसी को आकर्षित करता है. मंदिर सफेद संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है, हालांकि कालांतर में मंदिर का पत्थर अब पिला पड़ गया है. मंदिर के हर एक पिलर के पत्थर पर आकर्षक कलाकृतियां और देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई है. मंदिर के सभा मंडप ओर गुंबद में भी आकर्षक कलाकृतियां हैं, जिसे देख हर कोई अचंभित रह जाए.

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मंदिर का शिवलिंग खुद ब खुद हो रहा बड़ा

मंदिर के पुजारी  बताते हैं कि देव सोमनाथ मंदिर के गर्भगृह में 2 शिवलिंग है, जिसमें एक मुख्य शिवलिंग रुद्राक्ष आकार का है तो वहीं उसके पास ही दूसरा स्फटिक शिवलिंग है. पुजारी बताते है कि दोनों की शिवलिंग का आकार धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है. वे बताते है कि कुछ सालों पूर्व स्फटिक शिवलिंग एक नींबू के आकार का था लेकिन अब यह एक नारियल के आकार का हो गया हैं. वे बताते है मंदिर की पूजा-अर्चना गांव के पुजारी सेवक समाज की ओर से की जाती है.

मंदिर के जानकार बताते हैं कि देव सोमनाथ मंदिर गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर ही बना हुआ है. इसे कुछ लोग सोमनाथ का छोटा रूप मानते हैं. मंदिर के पुजारी यह भी बताते है कि गुजरात का सोमनाथ मंदिर समझकर मुगलों ने देव सोमनाथ मंदिर पर भी आक्रमण किया था. हालांकि इस बारे में कोई ठोस प्रमाण अब तक नहीं मिला है. देव सोमनाथ मंदिर और भगवान शिवजी के प्रति आस्था के कारण यहां दर्शनों को लेकर देश और विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां भगवान भोले के दरबार में माथा टेकते है और मनोकामनाएं मानते हैं. मान्यता है कि भगवान भोले के दरबार में जो भी मुराद लेकर आते है वे उसे पूरी करते है इसलिए यहां मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. हर महीने पूर्णिमा पर यहां मेले का माहौल रहता है. जबकि महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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