Rajasthan News: राजस्थान की राजनीति में अपने बेबाक अंदाज और 'आंदोलनकारी' छवि के लिए मशहूर कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा (Kirodi Lal Meena) के हालिया बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. दौसा में दिए अपने बयान में उन्होंने न केवल एक-दो साल में राजनीति से रिटायरमेंट लेने की बात कही, बल्कि इसके पीछे की 'शारीरिक असमर्थता' को भी खुलकर स्वीकार किया. उनका यह बयान एक ओर युवा नेतृत्व को मौका देने के पार्टी के कदम की तारीफ करता है, तो दूसरी ओर एक जुझारू नेता की बढ़ती उम्र और संघर्ष की सीमा को भी दर्शाता है.
'आप मेरे बयान को पूरा पढ़िए', किरोड़ी ने क्यों दी सफाई?
दरअसल, अपने मूल बयान के बाद जब मीडिया ने डॉ. किरोड़ी लाल मीणा से संपर्क किया, तो उन्होंने सबसे पहले अपने कथन पर सफाई दी. उन्होंने मजाकिया लहजे में पत्रकारों से कहा, 'देखो मैंने ऐसा इसलिए कहा था, क्योंकि हम युवा पीढ़ी को आगे बढ़ा रहे हैं. आप मेरे बयान को पूरा पढ़ो. आप मेरी ऐसी बात निकालकर रख दोगे, ऊपर पहुंचा दोगे तो रही-सही भी चली जाएगी.' मीणा ने स्पष्ट किया कि उनके बयान का मुख्य उद्देश्य युवा नेताओं को आगे बढ़ाने के पार्टी के दृष्टिकोण की तारीफ करना था.
युवा नेतृत्व और 'एक-दो साल में रिटायरमेंट' का गणित
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने युवा नेतृत्व के बारे में बात करते हुए उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा का उदाहरण दिया. किरोड़ी मीणा ने कहा, 'मेरा उसमें कहने का दृष्टिकोण यह था कि हमारी पार्टी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ा रही है. प्रेमचंद बैरवा युवा हैं, 2 बार जीते हैं. मैं 6 बार जीता हूं, लेकिन उनको उप मुख्यमंत्री बनाया. यह सच्चाई है, नई टीम आनी चाहिए. हम कब तक राजनीति करेंगे? मैं तो एक-दो साल में रिटायर हो जाऊंगा.'
शरीर साथ नहीं दे रहा: 'अब आमागढ़ नहीं चढ़ सकता'
जब पत्रकारों ने मीणा से यह पूछा कि रिटायरमेंट की बात उनकी 'मंशा' है या 'आशंका', तो किरोड़ी लाल मीणा ने बड़े ही सीधे तरीके से शारीरिक सीमाओं को स्वीकार किया. उन्होंने कहा, 'जब शरीर साथ नहीं देगा तो फिर एक समय तो आएगा ही.' अपने बयान को पुष्ट करते हुए, उन्होंने एक महत्वपूर्ण और भावनात्मक उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि मैं पहले आमागढ़ चढ़ सकता था, अब आमागढ़ की पहाड़ी नहीं चढ़ सकता.
आमागढ़ पहाड़ी का जिक्र क्यों महत्वपूर्ण है?
आमागढ़ पहाड़ी का जिक्र महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्र मीणा समाज और उनके आंदोलनों से जुड़ा रहा है. मीणा का यह कहना कि वह अब वह पहाड़ी नहीं चढ़ सकते, सिर्फ शारीरिक कमजोरी नहीं, बल्कि एक आंदोलनकारी नेता के संघर्ष की सीमाओं को भी दर्शाता है. उन्होंने स्वीकार किया कि 4 साल पहले अलग बात थी. हर चीज की एक मियाद (समय सीमा) होती है.
सियासी मायने: क्या यह सिर्फ़ 'बयान' है?
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का यह बयान, सिर्फ एक व्यक्तिगत इच्छा नहीं है, बल्कि इसके गहरे सियासी मायने हैं. यह साफ संकेत है कि पार्टी और वरिष्ठ नेता युवा, अनुभवहीन नेताओं को भी बड़े पद (जैसे उपमुख्यमंत्री पद) पर प्रमोट करने के पक्ष में हैं. किरोड़ी मीणा लंबे समय तक अपनी मांगों को लेकर मुखर रहे हैं. रिटायरमेंट की बात करके वह शायद बढ़ते राजनीतिक दबाव से खुद को दूर करने का संकेत दे रहे हैं. भले ही वह रिटायर होने की बात कर रहे हों, लेकिन इस बयान से उनके समर्थकों में एक भावनात्मक लहर पैदा होती है, जो उनकी 'सादा जीवन उच्च विचार' वाली छवि को और मजबूत करती है.
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