राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी बिल: मंत्री अविनाश गहलोत बोले- 'यह देश का सबसे सख्त कानून'

सामाजिक न्याय मंत्री अविनाश गहलोत ने इसे देश का सबसे सख्त कानून बताया है. इस बिल में जबरन धर्मांतरण कराने वालों को 7 से 20 साल तक की सजा का प्रावधान है. मंत्री ने धर्मांतरण के बाद आरक्षण के लाभ पर भी सवाल उठाए हैं.

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धर्मांतरण के बाद आरक्षण का लाभ मिलेगा या नहीं? मंत्री के इस बयान पर मचा हंगामा!

Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को जबरन धर्मांतरण विरोधी बिल 2025 पर चर्चा होने वाली है. इस बिल के सदन में पेश होने से पहले ही सरकार और विपक्ष के बीच बहस तेज हो गई है. सामाजिक न्याय मंत्री अविनाश गहलोत ने इस बिल को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार का एक बड़ा कदम बताया है और दावा किया है कि यह पूरे देश का सबसे सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून होगा.

'यह कानून समय की जरूरत है'

मंत्री अविनाश गहलोत ने इस बिल को लाने के पीछे के कारणों को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि कई बार लोग दबाव, धोखे या आर्थिक प्रलोभन के कारण अपना धर्म परिवर्तन कर लेते हैं. इस बिल का मुख्य मकसद ऐसे मामलों पर लगाम लगाना है. गहलोत ने कहा, 'कोई भी धर्म या समाज जबरन धर्मांतरण की अनुमति नहीं देता. कुछ संस्थाएं लोगों को टारगेट करके उन पर दबाव डालती हैं, और यह बिल ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेगा.' गहलोत के अनुसार, यह कानून समय की जरूरत है, ताकि समाज में सद्भाव और व्यवस्था बनी रहे.

20 साल तक की सजा के कड़े प्रावधान

यह बिल अपने कड़े प्रावधानों के कारण चर्चा में है. इसमें जबरन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण कराने वालों के लिए 7 से 20 साल तक की सख्त सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही, भारी जुर्माने का भी प्रावधान है, जो इसे पहले के कानूनों से कहीं ज्यादा कठोर बनाता है. 

'आरक्षण का लाभ मिले ना नहीं, चर्चा करेंगे'

मंत्री गहलोत ने बिल पर चर्चा के दौरान एक और संवेदनशील मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि जो लोग किसी विशेष वर्ग के आरक्षण का लाभ लेते हैं और बाद में प्रलोभन से दूसरे धर्म को अपना लेते हैं, तो क्या उन्हें आरक्षण का लाभ मिलना जारी रखना चाहिए? गहलोत ने कहा, 'हम इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा करने के पक्ष में हैं, क्योंकि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोग आरक्षण का फायदा लेते हैं और बाद में धर्म बदल लेते हैं.' उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर आज कई विधायक विधानसभा में अपनी राय रखना चाहते हैं. इस बयान के बाद विधानसभा में एक नई बहस शुरू होने की संभावना है.

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