पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) के फंड वितरण में अनियमितता को लेकर उठे विवाद ने तूल पकड़ लिया है. शिव विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
स्थानीय क्षेत्रों के हक को लेकर उठा
यह मामला खनिज संसाधनों से जुड़े फंड के पारदर्शी वितरण और स्थानीय क्षेत्रों के हक को लेकर उठा है, जो बाड़मेर जैसे खनिज समृद्ध जिले में विकास कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है. डीएमएफटी फंड का कथित दुरुपयोग डीएमएफटी खनन क्षेत्रों में प्रभावित गांवों के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा एकत्रित फंड का प्रबंधन करता है.
फंड का बड़ा हिस्सा काट लिया गया
बाड़मेर जिले में खनिज उत्खनन के जारी किए गए पट्टों के कारण यह फंड करोड़ों रुपये का है, जो स्कूल, अस्पताल, सड़क और जल संरक्षण जैसे कार्यों में खर्च होता है. विधायक भाटी का दावा है कि शिव विधानसभा क्षेत्र के लिए आवंटित फंड का बड़ा हिस्सा काट लिया गया, जबकि नॉन-माइनिंग एरिया (गैर-खनन क्षेत्र) में स्वीकृतियां दी गईं. उन्होंने इसे 'चोरी' करार देते हुए कहा, "यह फंड क्षेत्रवासियों का हक है. अगर प्रशासन ने इसे छीना है, तो जनता के हक को सुरक्षित करने के लिए न्यायालय ही अंतिम विकल्प है."
बाड़मेर जिले की 4 विधानसभा में 103 करोड़ स्वीकृत
डीएमएफटी मीटिंग के बाद जिला कलेक्टर ने 103 करोड़ रुपए पानी, सड़क, शिक्षा और अन्य विकास कार्यों के लिए स्वीकृत किए हैं. सबसे अधिक बजट बाड़मेर को 65 करोड़ रुपए जारी किए हैं. इसके बाद शिव को 18 करोड़, गुड़ामालनी को 15 करोड़ और चौहटन को 5 करोड़ जारी किए हैं.
पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग की
भाटी ने कहा कि शिव विधानसभा में डीएमएफटी का फंड जितना शिव का बनता है. उसका बड़ा हिस्सा काट दिया है. काटने का कारण पूछा तो उनके पास कोई जवाब नहीं रहा. मैंने कोर्ट की शरण ली है. न्यायालय ने स्पष्ट रूप से जिला प्रशासन को कहा है कि आपने फंड का जिस तरीके से बांटा है उसकी पूरी रिपोर्ट हमारे सामने प्रस्तुत करें.
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