Modi Cabinet Rajasthan: नरेंद्र मोदी ने अपनी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है. नरेंद्र मोदी अब एनडीए सरकार की नेतृत्व करने के लिए तैयार है. रविवार (9 जून) को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ ग्रहण समारोह का भव्य आयोजन किया गया जिसमें नरेंद्र मोदी समेत 72 सांसदों ने मंत्री पद के लिए शपथ लिया. वहीं इनमें राजस्थान के चार सांसद हैं, जिन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है. इसमें से दो सांसदों को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाया गया. जबकि एक को स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री और एक को राज्य मंत्री के तौर पर शपथ दिलाया गया है.
मोदी कैबिनेट में शामिल होने वाले चार सांसदों में गजेंद्र सिंह शेखावत, भूपेंद्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल और भागीरथ चौधरी का नाम शामिल है. इन चारों सांसदों को कैबिनेट में जगह मिलना इत्तेफाक नहीं बल्कि पूरी तरह से राजनीतिक और जातीय समीकरण पर आधारित है. और यह चारों नेता इसमें फिट भी होते दिखते हैं.
गजेंद्र सिंह शेखावत और भूपेंद्र यादव बने कैबिनेट मंत्री
जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार तीसरी बार कैबिनेट मंत्री बने हैं. वैसे तो गजेंद्र सिंह शेखावत मोदी और शाह दोनों के नजदीकी मानें जाते हैं. लेकिन राजस्थान की राजनीति में गजेंद्र सिंह शेखावत राजपूत समाज से आने वाले सौम्य छवि के नेताओं में आते हैं. वह राजपूत समाज के बड़े नेता हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान गुजरात के पुरुषोत्तम रुपाला द्वारा दिए गए बयान के बाद देश में राजपूत समाज में जो नाराजगी दिखी थी. उसे कम करने में गजेंद्र सिंह शेखावत और राजनाथ सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में मारवाड़ की सियासी समीकरण साधने के लिए गजेंद्र सिंह शेखावत को मंत्री बनाना सही फैसला है.
जबकि भूपेंद्र यादव की बात करें तो भूपेंद्र भी मोदी शाह के नजदीकी है. भूपेंद्र यादव को मिस्टर भरोसेमंद के रूप में भी जाना जाता है. भूपेंद्र यादव ने पहली बार अलवर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है. भूपेंद्र यादव संगठनात्मक रणनीतियां तय करने के लिए जाने जाते हैं. इसका प्रमाण वह कई बार दे चुके हैं. उन्होंने कई चुनावों को जिम्मेदारी से संभाला है.
अर्जुन राम मेघवाल और भागीरथ चौधरी बने राज्य मंत्री
अर्जुन राम मेघवाल लगातार चौथी बार बीकानेर से सांसद बने हैं. वहीं उन्हें इस बार स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया है. अर्जुन राम मेघवाल मारवाड़-नहरी क्षेत्र के अकेले प्रमुख दलित चेहरा हैं. ऐसे में राजस्थान की राजनीति में वह बिल्कुल फिट बैठते हैं. अर्जुन राम मेघवाल का विरोध भी सबसे कम है. ऐसे में दलित समुदाय को खुश करने के लिए मेघवाल को मंत्री पद मिलना निश्चित था.
वहीं भागीरथ चौधरी पहली बार मंत्री बने हैं. भागीरथ चौधरी अजमेर से सांसद हैं. हालांकि इससे पहले विधानसभा चुनाव में हार मिलने से वह जब फूट-फूट कर रोए थे तो तभी नरेंद्र मोदी ने उन पर भरोसा जताया था और उन्हें आगे बढ़ने को कहा था. भागीरथ चौधरी ने इसे सिद्ध करके भी दिखाया है. आपको बता दें भागीरथ चौधरी जाट समाज से आते हैं. वहीं राजस्थान में आरक्षण के मुद्दे पर कुछ जाट समाज पहले से ही नाराज है. ऐसे में भागीरथ चौधरी को मंत्री पद देना लाजमी है और वह साफ छवि के नेता हैं.