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Arjun Ram Meghwal: कौन हैं टेलीफ़ोन ऑपरेटर से कैबिनेट मंत्री का सफर तय करने वाले अर्जुनराम मेघवाल? Modi 3.0 में फिर बने मंत्री

Narendra Modi Cabinet 3.0: इससे पहले मेघवाल जल संसाधन राज्य मंत्री, वित्त कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम राज्य मंत्री, संसदीय कार्य राज्य मंत्री और विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जैसे महत्वपूर्व मंत्रालय संभाल चुके हैं. 

Arjun Ram Meghwal: कौन हैं टेलीफ़ोन ऑपरेटर से कैबिनेट मंत्री का सफर तय करने वाले अर्जुनराम मेघवाल? Modi 3.0 में फिर बने मंत्री
अर्जुन राम मेघवाल चौथी बार सांसद बने अब एक बार फिर केंद्रीय मंत्री बनेंगे

Narendra Modi Cabinet 3.0: लगातार चौथी बार बीकानेर लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए अर्जुनराम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) एक बार नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार में मंत्री गए हैं. मेघवाल राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी का प्रमुख दलित चेहरा माने जाते हैं. बीजेपी अब उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का दलित चेहरा बना रही है. इससे पहले मेघवाल मोदी सरकार के टर्म में भी मंत्री रह चुके हैं. 

इससे पहले मेघवाल जल संसाधन राज्य मंत्री, वित्त कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम राज्य मंत्रीसंसदीय कार्य राज्य मंत्री और विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जैसे महत्वपूर्व मंत्रालय संभाल चुके हैं. 

टेलीफ़ोन ऑपरेटर से कैबिनेट मंत्री का सफर  

20 सितम्बर, 1953 को बीकानेर में उपनगर किसमीदेसर में जन्मे अर्जुन राम मेघवाल शुरू से ही मेधावी रहे हैं और शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने टेलीफ़ोन ऑपरेटर के पद से अपना करियर शुरू किया. अर्जुन राम ने साल 2009 में अपना राजनीतिक सफ़र शुरू किया और अब यानी 2024 में चौथी बार बीकानेर से लोकसभा चुनाव जीता है. मेघवाल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों में हासिल की और बाद में बीकानेर के डूंगर कॉलेज से एमए और एलएलबी की डिग्रियां प्राप्त कीं. सन 1974 में टेलीफ़ोन ऑपरेटर के रूप में दूरसंचार विभाग में चयन होने के बाद उनकी तरक्की के रास्ते खुलते गए.

कलेक्टर के पद से इस्तीफा देकर बने सांसद 

1982 में उनका चयन राजस्थान उद्योग सेवा में हो गया. उसी कैडर में आगे बढ़ते हुए अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान प्रशानिक सेवा में प्रोमोट हुए और साल 2006 में स्पेशल प्रोमोशन पाकर वे आईएएस कैडर में आये. सन 2009 में चुरू कलेक्टर रहते हुए उन्होंने सरकरिसेवा से इस्तीफ़ा देकर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी ने उन्हें बीकानेर सुरक्षित सीट लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बना कर दांव खेला. पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए अर्जुनराम मेघवाल ने काँग्रेस के रेवंतराम पँवार को 19 हज़ार 653 वोटों से हरा कर अपने सियासी सफ़र की शुरूआत की. 

कभी मांगा था कांग्रेस से टिकट !

2009 के लोकसभा चुनाव में UPA की सरकार एक बार देश की सत्ता पर लौटी थी. उस समय ही मेघवाल ने कलेक्टर के पद से इस्तीफ़ा दिया था. बीकानेर के सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा रहती है कि इस्तीफा के बाद चुनाव से पहले वो टिकट के लिए कांग्रेस के पास गए थे. लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया. उसके बाद उन्होंने भाजपा से टिकट लिया और चुनाव जीते.

2014 में बने मुख्य सचेतक 

सन 2014 में भाजपा ने फिर से उन पर यक़ीन जताते हुए बीकानेर से ही चुनाव मैदान में उतारा और इस बार उन्होंने कांग्रेस के शंकर पन्नू को रिकॉर्ड 3 लाख 9 हजार वोटों से मात दी. यही वो साल था जब भारत की राजनीतिक दिशा बदलने लगी थी और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबन्धन ने लोकसभा चुनाव में यूपीए एलायन्स को ज़बरदस्त मात दी. नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने और उनकी सीधी निगाह मेघवाल पर पड़ी. अर्जुन राम मेघवाल को चीफ़ व्हिप यानी लोकसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक और आवास समिति का अध्यक्ष बनाया.

संभाले कई महत्वपूर्ण मंत्रालय 

2016 में वित्त राज्य मंत्री और कॉरपोरेट अफ़ेयर्स मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी. साल 2018 में उनके विभाग बदल कर जल संसाधन और संसदीय कार्य मंत्री बनाया गया. साल 2019 में पार्टी ने तीसरी बार विश्वास क़ायम रखते हुए अर्जुनराम मेघवाल को फिर बीकानेर से लोकसभा उम्मीदवार बनाया और इस बार उन्होंने 2 लाख 63 हज़ार,860 वोटों से जीत हासिल करते हुए कांग्रेस के प्रत्याशी मदन मेघवाल को मात दी. इस जीत का इनाम उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारी उद्योग मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्री बना कर मिला. 

इस चुनाव में मिली कड़ी चुनौती 

अर्जुनराम मेघवाल को हालिया लोकसभा चुनावों में को कड़ी चुनौती मिली और इस बार कांग्रेस ने क़द्दावर उम्मीदवार गोविन्द राम मेघवाल को मैदान में उतार कर अर्जुन के रथ को रोकने का पूरा इंतजाम कर लिया था. लेकिन अपने बेहतर चुनावी प्रबन्धन के चलते अर्जुन राम मेघवाल चुनाव जीत तो गए.

मगर इस बार उनकी जीत सिमट कर सिर्फ़ 55 हज़ार 711 वोटों तक रह गई. लेकिन बावजूद इसके पार्टी में उनके क़द की लम्बाई बरक़रार है और आने वाली कैबिनेट में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने की पूरी सम्भावना है. 

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