इंस्टाग्राम और X सहित सोशल मीडिया के अश्लील कंटेंट पर लगेगी लगाम, BJP सांसद ने संसद में की कानून बनाने की मांग

राज्यसभा में बीजेपी सांसद मदन राठौड़ ने सोशल मीडिया पर अशोभनीय रील्स और ट्रेंड्स पर सख्त कानून की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति पारिवारिक रिश्तों को तोड़ रही है और युवाओं को गलत दिशा में ले जा रही है.

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राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मदन राठौड़.

Rajasthan News: राज्यसभा के शुक्रवार के सत्र में डिजिटल समाजशास्त्र से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा गूंजा. जिसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मदन राठौड़ ने सोशल मीडिया पर फैलते अशोभनीय कंटेंट पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि मनोरंजन के नाम पर पेश हो रही रील्स और वायरल ट्रेंड्स भारतीय समाज की पारिवारिक संरचना को नुकसान पहुंचा रही हैं. आगे उन्होंने कहा कि यह समाज के लिए जहर की तरह है और रिश्तों की पवित्रता को तार-तार कर रहा है.

रील्स में रिश्तों का मजाक, युवाओं पर बुरा असर

मदन राठौड़ ने बताया कि इंस्टाग्राम और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर ऐसी रील्स अपलोड हो रही हैं जो भाई-बहन, देवर-भाभी, ससुर-बहू और पिता-बेटी जैसे पवित्र रिश्तों को गलत ढंग से दिखाती हैं. इनमें रिश्तों को सस्ते मनोरंजन का माध्यम बनाकर पेश किया जा रहा है.

इससे नाबालिग बच्चे, नौजवान और युवा गलत दिशा में आकर्षित हो रहे हैं. परिणामस्वरूप हमारे सामाजिक संबंध बदनाम हो रहे हैं और युवाओं के मन में रिश्तों को लेकर गलत धारणाएं पैदा हो रही हैं.

सांसद ने चिंता जताई कि यह प्रवृत्ति समाज की गरिमा को गहरी ठेस पहुंचा रही है. अगर इसे रोका नहीं गया तो नई पीढ़ी बर्बाद हो सकती है और रिश्तों की गंभीरता खत्म हो जाएगी.

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कठोर कानून की मांग, प्लेटफॉर्मों पर जिम्मेदारी

सांसद ने सरकार से सख्त कानून बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि आईटी एक्ट में कुछ प्रावधान तो हैं लेकिन अश्लील रील्स और वीडियो बनाने वालों के लिए अलग से कड़ा कानून जरूरी है. ऐसे कंटेंट बनाने और शेयर करने वालों को कठोर दंड मिलना चाहिए.

साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की जिम्मेदारी तय की जाए ताकि नाबालिगों को इस डिजिटल प्रदूषण से बचाया जा सके. मदन राठौड़ ने इसे राष्ट्रीय जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि बिना कड़ी कार्रवाई के समाज का नैतिक ताना-बाना टूट सकता है.

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केंद्रीकृत निगरानी तंत्र करें विकसित

प्रदेशाध्यक्ष ने आगे कहा कि अभद्र कंटेंट अपलोड होते ही तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रीकृत निगरानी तंत्र विकसित किया जाए.

राठौड़ ने चेतावनी दी कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो मनोरंजन के नाम पर फैल रही अशोभनीयता आने वाली पीढ़ी के नैतिक आधार को कमजोर कर देगी. उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आत्मा है, लेकिन इसका उपयोग समाज में विष फैलाने के लिए नहीं हो सकता है.

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