Rajasthan: मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक बार फिर घूमते नजर आएंगे बाघ, मध्यप्रदेश या महाराष्ट्र से लाने की हो रही कोशिश

Rajasthan News: झालावाड़ के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों को छोड़ने की तैयारी चल रही है. अप्रैल माह तक यहां फिर से बाघों की चहलकदमी देखी जै सकती है.

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Rajasthan: मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक बार फिर घूमते नजर आएंगे बाघ, मध्यप्रदेश या महाराष्ट्र से लाने की हो रही कोशिश
Mukundara Hils Tiger Reserve, Alwar

Mukundara Hills Tiger Reserve News: राजस्थान के झालावाड़ के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट में एक बार फिर बाघों को छोड़ने की तैयारी चल रही है. माना जा रहा है कि अप्रैल माह तक यहां फिर से बाघों को छोड़ा जाएगा. इस बारे में कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि इस माह रिजर्व की गागरोन रेंज में एक जोड़ा बाघ लाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं.

मध्य प्रदेश या महाराष्ट्र से हो सकती है ब्लडलाइन से क्रॉस मैचिंग

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को 2004 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था. अब तक यहां रणथंभौर से बाघ लाए जाते थे, लेकिन इस बार क्रॉस ब्रीडिंग को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश या महाराष्ट्र के बांधवगढ़ की ब्लडलाइन से क्रॉस मैचिंग कर नस्ल को आगे बढ़ाने की योजना है.

कोर एरिया नहीं हुआ खाली

साल 2012 में घोषित मुकुंदरा टाइगर रिजर्व परियोजना के कोर एरिया का पुनर्वास अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. कोर एरिया में आने वाला नारायणपुरा गांव फिलहाल निर्जन है, लेकिन वहां लोगों की कृषि भूमि है, जिसके चलते लोगों का आना-जाना लगा रहता है.

12 से अधिक परिवारों का नहीं हो पाया विस्थापन

वहीं इसी इलाके में आने वाले मशालपुरा गांव में मुआवजे में विसंगतियों के कारण 12 से अधिक परिवारों का विस्थापन नहीं हो पाया है. यहां पहले भी बाघ छोड़े गए थे लेकिन एक-एक करके सभी मर गए और अंत में केवल एक ही बचा जिसे अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया.

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पर्याप्त पानी होने पर बढ़ती है बाघों की चहलकदमी

वहीं, बघिन एमटी-4 का क्षेत्र भी पूर्व में इसी क्षेत्र में रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि मशालपुरा और लक्ष्मीपुरा के तालाबों में पर्याप्त पानी होने तथा कालीसिंध व आहू नदी के निकट होने के कारण एमटी-4 कई बार देखा गया, लेकिन बाद में उसकी मौत हो गई.

वन्यजीव प्रशासन पूरी तरह से है तैयार

इस बार वन्यजीव प्रशासन इस काम के लिए पूरी तरह से तैयार है. चेक पोस्ट बनाए जा रहे हैं और शिकार विरोधी शिविरों के प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेजे गए हैं. इसके बाद एक बार फिर वही सवाल खड़ा होता है कि गांव को विस्थापित नहीं किया गया है और बाघों को फिर से छोड़ने की तैयारी की जा रही है, ऐसे में भविष्य में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि बाघ यहां कैसे रह पाएंगे.

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