Mayor Munesh Gurjar Suspend: यूडीएच मिनिस्टर झाबर सिंह खर्रा ने मुनेश गुर्जर के निलंबन में हुई देरी का कारण बताया. उन्होंने कहा कि पिछले साल उसे दो बार निलंबित किया गया था. दोनों बार राजस्थान हाईकोर्ट से उसे राहत मिली. हम बात को सुनिश्चित करना चाहते थे कि पिछली बार के जांच और निलंबन में जो कमियां रहीं, वो इस बार न रहे. जिसका फायदा उठाकर हाई कोर्ट या किसी अन्य कोर्ट से कोई राहत मिल सके.
एसीबी जांच के बाद उठाया कदम
उन्हेंने कहा, "इसके लिए हमने पहले ACB की जांच को पूरा होने दिया. जब एसीबी ने आरोप प्रमाणित मान लिए, चालान पेश करने की अनुमति दी गई. उसके बाद हमने प्रशासनिक जांच का निर्णय लिया. पहले हमने डीडीआर से जांच करवाई. डीडीआर ने उसे तीन दिन का नोटिस दिया. तीन दिन में जो जवाब आया उसका अध्ययन कराया गया. इसके बाद पिछले दोनों निलंबन के पत्रावली और राजस्थान के हाई कोर्ट के आदेश का अध्ययन के बाद हमने यह तय किया कि एक बार उसे मौका फिर दिया जाए."
डीएलवी से जारी कराया नोटिस
खर्रा ने कहा, "इसके बाद हमने डायरेक्टर डीएलवी से नोटिस जारी कराया गया. डायरेक्टर स्तर पर भी उसे अपनी सफाई का मौका दिया जाए. 18 सितंबर को उसे नोटिस जारी किया गया. 21 सितंबर तक जवाब देने का समय दिया गया था. 21 सितंबर को शनिवार था. हमने डीएलवी का कार्यालय खुलाया. उसके लिए आदेश जारी कराया. उसके दो व्यक्ति 21 सितंबर को डीएलवी कार्यालय के हाते तक आए. पांच मिनट तक टहले. शायद वीडियो बनाया. प्रमाणित करने के लिए कि हम डीएलवी गए थे. लेकिन, वहां कोई नोटिस नहीं लिया. शायद उन्हें ये पता नहीं था कि वहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं."
22 सितंबर को निलंबन का अनुमोदन हुआ
खर्रा ने कहा, "जब उनका जवाब नहीं आया तो कल (22 सितंबर) को उनकी पत्रावली तैयार की गई. निलंबन का अनुमोदन हो गया. उसी दौरान जानकारी हुई कि उसने ई-मेल डायरेक्टर डीएलवी को किया है. उसने आरोप लगाया कि मेरे आदमी डीएलवी कार्यालय गए थे. उनको कार्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया गया. प्राप्ति शाखा ने उनसे कागजात लेने से इनकार कर दिया."
ई-मेल के जवाब के बाद सीसीटीवी कैमरे चेक करवाए
मंत्री ने कहा, "ई-मेल की जानकारी होने के बाद हमने सीसीटीवी कैमरे चेक करवाए. उनकी हलचल कैद थी. निलंबन का अनुमोदन तैयार करवाने के बाद डीएलवी डायरेक्टर से निलंबन आदेश को रोकने के लिए कहा क्योंकि, उसने ई-मेल में 23 सितंबर को अपना जवाब देने के लिए लिखा था. ई-मेल पर आए जवाब में वही तथ्य दोहराए गए थे, जो डीडीआर के जांच के दौरान दिए गए थे. उसको पत्रावली पर लेकर अध्ययन कराया गया. दोबारा से पत्रावली प्रस्तुत हुई. साढ़े पांच बजे पत्रावली पर अनुमोदन हुआ. पांच मिनट पर उसके निलंबन के आदेश जारी हुए और न्यायिक जांच के आदेश दिया गया."
25 सितंबर को नया मेयर मिलने की उम्मीद
कांग्रेस पार्षदों का समर्थन लेने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महापौर के भ्रष्टाचार कार्यप्रणाली के खिलाफ जिन जिन कांग्रेस के पार्षदों ने संघर्ष किया. अगर वो बिना किसी शर्त के इस भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करते हुए चाहेंगे कि जयपुर नगर निगम हेरीटेज में पारदर्शी तरीके से काम हो. बिना भेद भाव के विकास हो. बिना भ्रष्टाचार के विकास हो. अगर इसके लिए कांग्रेस के पार्षद आना चाहेंगे तो हम उनका सहयोग लेंगे.उन्होंने बताया उम्मीद है कि बुधवार (25 सितंबर) को नया मेयर दे देंगे.
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