Nagaur Lok Sabha Seat: तीसरी बार आमने- सामने होंगे हनुमान बेनीवाल और ज्योति मिर्धा, 'INDIA' गठबंधन के लिए कितनी मजबूत नागौर सीट ?

Lok Sabha Election 2024: नागौर लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत के लिए बार-बार प्रयोग किए हैं. इसके बावजूद भाजपा को 1997 के उपचुनाव, 2004 और 2014 के चुनाव में ही जीत मिली. वहीं पिछले चुनाव में भाजपा और आरएलपी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल यहां से चुनाव जीते थे. जबकि कांग्रेस यहां से 10 बार जीत दर्ज कर चुकी है.

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Hanuman Beniwal News: लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और प्रदेश की सबसे हॉट सीट नागौर (Nagaur Lok Sabha Seat) पर कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के बीच गठबंधन पर मुहर लग गई है. आज कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से अपने उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी की, जिसमें इंडिया गठबंधन के अंतर्गत नागौर सीट हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को दी गई है.

नागौर से हनुमान बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया गया है. इससे अब नागौर सीट पर मुकाबले की तस्वीर साफ हो गई है. अब हनुमान बेनीवाल का मुकाबला भाजपा की प्रत्याशी ज्योति मिर्धा से होगा.

तीसरी बार होंगे आमने-सामने 

लेकिन इस बार भूमिकाएं और स्थान बदल गए हैं. बेनीवाल जहां कांग्रेस के समर्थन से चुनावी मैदान में हैं. तो मिर्धा भाजपा के पाले में. इससे पहले यह विपरीत होता रहा है. ज्योति मिर्धा और हनुमान बेनीवाल एक दूसरे के प्रतिद्वंदी होंगे. इससे पहले 2014 और 2019 में भी दोनों आमने-सामने चुनाव लड़ चुके हैं.

'मोदी सरकार ने किसान, जवान और मजदूरों के हित कुचले'

गठबंधन का प्रत्याशी बनने के बाद हनुमान बेनीवाल ने अपना पहला बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाकर स्वतंत्र संस्थानों पर दबाव डालकर उनका दुरुपयोग करने, किसान, जवान और मजदूरों के हितों को कुचलने का आरोप लगाया है.

इंडिया गठबंधन उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल ने कहा, देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा के लिए हमने एक कदम बढ़ाया और एक कदम कांग्रेस पार्टी ने बढ़ाया और उसी के परिणामस्वरूप आज नागौर लोक सभा की सीट इंडिया गठबंधन में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को दी गई है.

'ईडी, इनकम टैक्स संस्थाओं का हो रहा दुरूपयोग'

 उन्होंने कहा कि अमीर और गरीब के मध्य खाई बढ़ती जा रही है. सरकार द्वारा ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स विभाग जैसी स्वतंत्र संस्थाओं पर दबाव बनाकर उनका दुरुपयोग करवाया जा रहा है. सत्ता के अहंकार में मदमस्त केंद्र की भाजपा सरकार को किसान, जवान और मजदूर के हितों की कोई परवाह नहीं रही है.

कांग्रेस को 10 तो भाजपा को 4 बार मिली जीत

नागौर लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत के लिए बार-बार प्रयोग किए हैं. इसके बावजूद भाजपा को 1997 के उपचुनाव, 2004 और 2014 के चुनाव में ही जीत मिली. वहीं पिछले चुनाव में भाजपा और आरएलपी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल यहां से चुनाव जीते थे. जबकि कांग्रेस यहां से 10 बार जीत दर्ज कर चुकी है.

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जाट राजनीति के केंद्र है नागौर

नागौर परंपरागत रूप से जाट राजनीति का प्रमुख गढ़ माना जाता है. नागौर के जातिगत समीकरण पर गौर करें तो नागौर में जाट सर्वाधिक हैं. उसके बाद मुस्लिम मतदाताओं की तादाद है. इसके अलावा राजपूत, एससी और मूल ओबीसी के मतदाता भी अच्छी खासी तादाद में हैं. 

मिर्धा परिवार का रहा है दबदबा

नागौर लोकसभा सीट पर मिर्धा परिवार का लंबे समय तक वर्चस्व रहा है. नाथूराम मिर्धा परिवार जाट समुदाय से ताल्लुक रखता हैं, जिसका जाट समाज में बड़ा दबदबा माना जाता है. नागौर से सर्वाधिक बार सांसद बनने का रिकॉर्ड पूर्व केंद्रीय मंत्री और किसान नेता नाथूराम मिर्धा के नाम है, जिन्होंने नागौर से छह बार जीत दर्ज की थी.

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2004 के चुनाव में पहली बार जीती भाजपा 

भाजपा ने भी जाट राजनीति को साधने के लिए और मिर्धाओं के गढ़ को भेदने के लिए जाटों को प्रत्याशी बनाया था. भाजपा ने पहली बार 1991 में सुशील कुमार चौधरी को उम्मीदवार बनाया. इसके बाद 1998 में डेगाना के विधायक रहे रिछपाल मिर्धा को भी चुनाव लड़ाया. लेकिन वे चुनाव नहीं जीत सके. इसके बाद भाजपा ने फिर से विधायक भंवरसिंह डांगावास पर दांव खेला. इस दफा भाजपा को सफलता मिली और डांगावास 2004 में नागौर में कमल खिलाने में कामयाब रहे.

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