Rajasthan News: जोधपुर में एक ऐसी संस्था... अब तक 25 बच्चियों की जीवन भर चुकी खुशियों के रंग

राजेंद्र परिहार ने बताया कि जो बच्चियों को लावारिस छोड़कर चले जाते हैं, उनका लालन-पालन करने के साथ-साथ उनके पुनर्वास तक का कार्य उनकी संस्था देखती है. अब तक वे 27 अनाथ बच्चियों की शादी करा चुके हैं.

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Rajasthan News: जोधपुर की एक संस्था है, नवजीवन. जो ना केवल अनाथ और बेसहारा को सम्बल देती है, बल्कि उनके लालन पालन से लेकर शादी लायक होने तक उनकी देखभाल करती है. अपने बच्चो की तरह ही उनका पालन पोषण कर उनके हाथ पीले कर विदा भी करती है. आज भी ऐसा ही मौका था, जब नवजीवन संस्था ने दो बच्चियों को ना केवल पाल-पोष कर बड़ा किया. बल्कि आज उनका कन्यादान भी किया जा रहा है. संस्थान के अध्यक्ष राजेन्द्र परिहार ने बताया कि अब तक 25 बच्चियों के जीवन में खुशियों के रंग भरे गए हैं. आज दो और बच्चियों का कन्या दान कर उनको नए जीवन की सौगात दी जा रही है. इन दो के साथ कुल 27 बच्चियों की शादी हो चुकी हैं.

अनाथ बच्चियों का करती पालन-पोषण


राजेंद्र परिहार ने बताया कि जो बच्चियों को लावारिस छोड़कर चले जाते हैं, उनका लालन-पालन करने के साथ-साथ उनके पुनर्वास तक का कार्य उनकी संस्था देखती है. अब तक वे 27 अनाथ बच्चियों की शादी करा चुके हैं. उन्होंने कहा कि उनकी संस्था उन बच्चियों की इस तरह देखभाल करती है, जैसे कोई मां-बाप अपने बच्चों की देखभाल करते हैं. यहां तक की बच्चियों के पुनर्वास के लिए उनका संस्था भी समाज के रीति-रिवाज की तरह ही उन्हें विदा करती है और बारात आती है तो उनका स्वागत भी किया जाता है.

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आज दो बच्चियों की कराई शादी

मंगलवार को हुई दो बच्चियों की शादी में पूर्व में संस्था में रहने वाली 25 में से करीब 20 बच्चियों इस शादी समारोह में अपने परिवार और बच्चों के साथ शामिल हुईं. यहां आकर वे  भी काफी खुश हुईं. संस्था की शादीशुदा बेटियों का मायका होने से उन्हें भी शादी का निमंत्रण दिया गया था. वह भी अपने पति, बच्चों के साथ अजरा व  सोनू के विवाह समारोह में भाग लेने के लिए आई.

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वैसे अजरा बोल और सुन नहीं सकती तो उसके लिए उसका वर भी उसी तरह का देखा गया. दूल्हा विमल भी मूक बधिर है, लेकिन वह टूर और ट्रेवल का बिजनेस करता है. वहीं सोनू का वर नंदकिशोर ने एमकॉम किया है और किराने का व्यापार करता है. दोनों बच्चियों की शादी में उनके ससुराल से भी सभी लोग बाराती बनकर आए. जिनका संस्थान द्वारा रीति रिवाज के साथ स्वागत किया गया और फिर शादी के फेरे के बाद दोनों बच्चियों की विदाई दी गई.

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