Rajasthan News: राजस्थान सिर्फ लापता महिलाओं के संकट से ही नहीं जूझ रहा, बल्कि यह बाल तस्करी (Child Trafficking), विशेषकर बंधुआ मजदूरी (Bonded Labour) का एक बड़ा केंद्र बनता जा रहा है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 की रिपोर्ट के आंकड़े इस कड़वे सच को उजागर करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में मानव तस्करी के 81 मामले दर्ज किए गए, जिनमें कुल 363 पीड़ितों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया. चिंता की बात यह है कि इन पीड़ितों में से 358 (लगभग 98%) नाबालिग थे.
बंधुआ मजूदर, निशाने पर लड़के
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, इन 363 पीड़ितों में से 321 को जबरन मजदूरी (Bonded Labour) के लिए तस्करी कर लाया गया था. यह कुल मामलों का लगभग 88% है. इससे पता चलता है कि प्रदेश में ऐसे संगठित गिरोह सक्रिय हैं जो मासूमों को बहला-फुसलाकर या जबरन उठाकर उन्हें बंधुआ मजदूरी के नर्क में धकेल रहे हैं. आमतौर पर मानव तस्करी में लड़कियों को निशाना बनाया जाता है, लेकिन राजस्थान के आंकड़े एक अलग और खतरनाक ट्रेंड दिखाते हैं.
कुल नाबालिग पीड़ित: 358
- पीड़ित लड़के: 343
- पीड़ित लड़कियां: 15
यह स्पष्ट है कि बंधुआ मजदूरी के लिए तस्करों के निशाने पर लड़के हैं, जिन्हें शायद कारखानों, खेती या अन्य खतरनाक कामों में लगाया जाता है. इसके अलावा 33 बच्चों को छोटे-मोटे अपराध करने के लिए और 2 को जबरन विवाह के लिए तस्करी का शिकार बनाया गया.
पुलिस की कार्रवाई शत प्रतिशत
राजस्थान पुलिस के लिए यह एक सकारात्मक पहलू है कि मानव तस्करी के मामलों में चार्जशीट दर 100% रही है. इसका मतलब है कि पुलिस ने हर दर्ज मामले में जांच पूरी कर अदालत में चार्जशीट दाखिल की. हालांकि, यह सवाल बना हुआ है कि ये तस्करी के रैकेट कहां से संचालित हो रहे हैं और इनके सरगना कब कानून की गिरफ्त में आएंगे.
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Photo Credit: NCRB
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