NDTV GROUND REPORT: होटल सूने, बेरौनक़ गलियां, पर्यटन सीजन में बूंदी शहर में नदारद पर्यटक

छोटी काशी बूंदी अपने महलों के साथ-साथ चारों ओर से पहाड़ियों से भी गिरी हुई है और हरियाली की चादर ओढ़ी हुई है. बारिश में तो सौंदर्य देखते ही बनता है. इसके सिटी ऑफ वेल्स, सिटी ऑफ सेनेटॉप्स, लाइट व्यू सिटी सरीखे कई नाम से बूंदी को पुकारते है.

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बूंदी शहर का विहंगम दृश्य
बूंदी:

Bundi RajasthanTourism : छोटी काशी बूंदी को पर्यटन नगरी के नाम से भी जाना जाता है. हर साल हजारों की तादाद में देसी-विदेशी पर्यटक बूंदी की विरासत को देखने के लिए आते हैं. इन दिनों पर्यटन सीजन चल रहा है, लेकिन यह सीजन पिछले कई दिनों से फीका पड़ गया है. पिछले 10 दिनों में केवल 150 विदेशी पर्यटक ही बूंदी आए हैं, जिसके चलते टूरिज्म इंडस्ट्री बुरी तरह से प्रभावित हो गई है.

इतिहासकार पुरुषोत्तम पारीक ने बताया कि इस बार अच्छी बरसात नहीं होने के चलते तापमान में कमी नहीं आई है . वर्तमान में देश भर में कई जगहों पर तापमान गर्मी जैसा हो रहा है. टूरिस्ट जब बाहर से आता है तो वह इन चीजों को काफी नोटिस करता है.

रिपोर्ट के मुताबिक बूंदी शहर में पर्यटकों के कम पहुंचने से टूरिस्ट गाइड, होटल, गेस्ट हाउस चलाने वाले कई लोग प्रभावित हुए हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बढ़ते तापमान को माना जा रहा है. जबकि यूरोपियन कंट्री से आने वाले पर्यटक पिछले दिनों रूस यूक्रेन और अब इजराइल में हुए युद्ध के हालातों की वजह से पर्यटक शहर में नहीं आ रहे हैं.

पर्यटन विभाग भी नहीं दिखा रहा कोई दिलचस्पी 

एनडीटीवी राजस्थान की टीम ने प्रभावित हुए पर्यटन क्षेत्र को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट की. बूंदी में पर्यटन का उपयुक्त समय 30 सितंबर से अगले साल के अप्रैल तक चलता है, लेकिन इस बार पर्यटन विभाग की ओर से कुछ ऐसे आयोजन भी नहीं किए गए और न ही पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं चलाया गया.

बूंदी में हर साल हजारों की तादाद में देसी-विदेशी पर्यटक यहां की विरासत को देखने आते हैं. सबसे ज्यादा फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इटली, अमेरिका और बाकी देशों के पर्यटक आते हैं. दिल्ली पहुंचने के बाद टूरिस्ट कंपनियों के जरिए इनके ग्रुप घूमने आते हैं.

होटल सूने, बेरौनक़ हो रहीं बूंदी की गलियां 

टूरिस्ट गाइड अश्विनी कुक्की ने बताया कि टूरिस्ट नहीं आने के चलते क्षेत्र की होटल सूनी पड़ी हुई हैं . गलियों में रौनक दिखाई नहीं दे रही है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में हालात सामान्य होने पर यूरोपियन देशों के जो पर्यटक बूंदी में आते थे वह आएंगे तो बूंदी में रौनक देखने को मिलेगी.

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चित्रशैली से जुड़े युग प्रसाद को उम्मीद बूंदी आएंगे पर्यटक

चित्रशैली से जुड़े युगप्रसाद ने बताया कि इंग्लैंड, हालैंड, फ्रांस, कनाडा के पर्यटकों से सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क में बने हुए हैं. वे बूंदी चित्रशैली के बारे में जानकारी लेते रहते हैं. जब वह बूंदी आएंगे तो हमारी पेंटिंग्स को जरूर खरीदेंगे. शहर में 40 से ज्यादा होट्ल्स, पेइंग गेस्टहाउस हैं. इसके अलावा बहुत से रेस्टोरेंट पर्यटकों से ही चलते हैं. अधिकांश पेइंग गेस्ट हाउस पुराने शहर में हैं. बहुत से परिवारों की रोजी-रोटी पर्यटकों से ही चलती है. 

पर्यटन अधिकारी प्रेम शंकर सैनी ने बताया कि बूंदी में हर साल हजारों की तादाद में देसी विदेशी पर्यटक यहां की विरासत को देखने आते हैं. पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार बूंदी में हर साल करीब 15 हजार विदेशी और 50 हजार देशी पर्यटक आते हैं. एक पर्यटक से 15 लोगों को रोजगार मिलता है. पर्यटकों से सालाना 20 करोड़ का टर्नओवर होता है. पर्यटकों का पीक सीजन अक्टूबर से अप्रैल तक रहता है. 

बूंदी क्यों है खास

छोटी काशी बूंदी अपने महलों के साथ-साथ चारों ओर से पहाड़ियों से भी गिरी हुई है और हरियाली की चादर ओढ़ी हुई है. बारिश में तो सौंदर्य देखते ही बनता है. इसके सिटी ऑफ वेल्स, सिटी ऑफ सेनेटॉप्स, लाइट व्यू सिटी सरीखे कई नाम से बूंदी को पुकारते है. 800 साल पुराने चित्रशैली, 2 हजार पुराने शैलचित्र, 84 खम्बों की छतरी, ऐतिहासिक तारागढ़, मोन्यूमेंट्स, वाटरफॉल्स, वाइल्डलाइफ, पुराने शहर की हवेलियां, तंग गलियां, बाजार बूंदी की पहचान है.

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हर साल 15 हज़ार से अधिक पर्यटक आते हैं बूंदी

पर्यटन अधिकारी प्रेम शंकर सैनी ने बताया कि बूंदी में हर साल हजारों की तादाद में देसी विदेशी पर्यटक यहां की विरासत को देखने आते हैं. पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार बूंदी में हर साल करीब 15 हजार विदेशी और 50 हजार देशी पर्यटक आते हैं. एक पर्यटक से 15 लोगों को रोजगार मिलता है. पर्यटकों से सालाना 20 करोड़ का टर्नओवर होता है. पर्यटकों का पीक सीजन अक्टूबर से अप्रैल तक रहता है. 

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