Rajasthan News: राजस्थान के चूरू जिले में जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है. यदि यह कहा जाए तो शायद गलत न होगा, क्योंकि विभागीय अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से यह महत्वपूर्ण योजना चूरू (Churu) में फेल नजर आ रही है. इस योजना के तहत गांव-गांव में घर-घर तक लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन आज भी जिले की कई सारी ग्राम पंचायतो में यह योजना हांसिए पर है. केन्द्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासो से संचालित हो रही इस योजना में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, लेकिन चूरू जिले के सरदारशहर (Sardarshahar) तहसील के गांव राजास (Rajas) में शासन की जल जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है.
'4 महीने से नहीं आया एक बूंद पानी'
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के अंदर आपको दूध, छाछ, दही, घी मिल जाएगा, लेकिन पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा. 4 हजार के करीब आबादी वाले गांव राजास में ग्रामीण 4 महीने से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. राजास गांव में जल जीवन मिशन योजना सिर्फ कागजों में ही सफलता की कहानी गढ़ रहा है, जबकि हकीकत ठीक विपरीत है. गांव में योजना का हाल बेहाल है. ग्रामीणों का आरोप है कि घटिया निर्माण, अधूरा निर्माण और करोड़ों रुपये के ठेकेदारों को भुगतान एक बड़ा खेल हो गया, लेकिन गांव राजास के ग्रामीणों को पानी नहीं मिला. गांव की महिलाओं ने बताया कि पिछले 4 महीने में एक बार भी नलों में पानी नहीं आया, जिसके चलते हमें टैंकरों से पानी मंगवाना पड़ता है, जिससे आर्थिक नुकसान हो रहा है. टैंकर वाले एक हजार 1 से 1500 रुपए वसूल करते हैं. ऐसे में हमें दूर दराज से सर पर पानी लाना पड़ रहा है.
'सप्लाई चालू होते ही फट जाते हैं पाइप'
सरदारशहर के गांव राजास में जल जीवन मिशन के तहत ठेकेदारों ने पानी की पाइप लाइन बिछाकर हर घर में नल तो लगा दिया, लेकिन उसमें पानी की एक बूंद तक नहीं आ रही है. ऐसे जल जीवन मिशन योजना का क्या मतलब, जिसका लाभ ही नहीं मिल रहा? गांव के रूपचंद सारण ने बताया कि जल जीवन मिशन योजना राजास गांव के लिए जी का जंजाल बन गई है. ग्रामवासी पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. गांव राजास में जल जीवन मिशन योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा घर-घर कनेक्शन दिए गए. जल जीवन मिशन के तहत पंचायत मेलुसर में पीने के पानी की टंकी बनाई गई थी. लेकिन ठेकेदार द्वारा 8 किलोमीटर की पाइप लाइन बिछाते समय लेवलिंग का एवं मापदंडों का ध्यान नहीं रखा गया. जिस कारण सप्लाई चालू होते ही पाइप फट जाते हैं या लीकेज हो जाते हैं.
मेन पानी की टंकी से हो रहा रिसाव
सारण ने कहा कि ठेकेदार जलदय विभाग के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने मिलीभगत करके इस योजना पर पलीता लगा दिया. मेन पाइप लाइन का वॉल गांव के बीच में लगाना था, लेकिन गांव से बाहर ही लगा दिया, जिससे गांव की सप्लाई प्रभावित हो रही है. वहीं पंचायत हेड क्वार्टर पर जो मेन पानी की टंकी बनाई है, उसमें भी घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई है, जिसकी वजह से वह टंकी भी लिकिज है. राजास गांव डार्क जोन में आता है. पूरा बेल्ट खारे पानी का है. इस संबंध में जिला कलेक्टर, मुख्यमंत्री महोदय और जीते हुए प्रतिनिधियों को अवगत भी करवाया, लेकिन आज तक कोई समस्या का समाधान नहीं हुआ. आगामी गर्मी को देखते हुए गांव में बहुत बड़ी पानी की किल्लत होगी और ग्रामीणों ने सरकार द्वारा चलाई जा रही जनसुनवाई कार्यक्रम के तहत भी अवगत करवाया है. लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
जेब से पैसा देकर लगवाए नल
गांव के मनीराम भादू ने बताया कि ग्रामीणों की विशेष मांग है कि पंचायत हेड क्वार्टर से राजास गांव ऊंचाई पर होने की वजह से गांव को अलग लाइन दी जाए. लेकिन बीच में बलाल गांव को इस लाइन में जॉइंट कर दिया, जिससे राजास गांव में पानी की समस्या और बढ़ गई है. अधिकांश महिलाओं ने बताया कि आधे से ज्यादा घरों में तो योजना के तहत मिलने वाले नलों को भी नहीं दिया, उनमें भी भ्रष्टाचार कर दिया. ग्रामीण ने अपनी ओर से नल लगावाए, लेकिन उन नलों में अब पानी नहीं आ रहा है.
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