Rajasthan Politics: बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा सीट के लिए जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) और भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) की घोषणा होने से पहले ही अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. वहीं कांग्रेस (Congress) पार्टी ने अभी तक कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. इस सीट को भाजपा की झोली में नहीं जाने के लिए जहां कांग्रेस का आलाकमान क्षेत्रीय पार्टी भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन के लिए विचार कर रहा है. वहीं स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधि इसके फेवर में दिखाई नहीं देते, जिसको लेकर स्थानीय विधायक दो-तीन दिन से जयपुर में डेरा डाले हुए हैं.
एन वक्त पर पाला बदलने से बिगड़ा गणित
कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे और वर्तमान में भाजपा प्रत्याशी महेंद्रजीत सिंह मालवीय (Mahendrajeet Singh Malviya) का लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले पाला बदल देने से कांग्रेस की चुनावी चौसर गड़बड़ा गया, क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने बांसवाड़ा से भेजे पैनल में मालवीय का नाम शामिल किया था और किसी अन्य नेता का नाम नहीं था. एन वक्त पर मालवीय द्वारा पार्टी बदल देने से सारा समीकरण बिगड़ गया और पार्टी को नए सिरे से प्रत्याशी की खोज शुरू करनी पड़ी. वहीं अन्य नेताओं द्वारा लोकसभा चुनाव में खड़ा नहीं होने के ऐलान के बाद पार्टी द्वारा भारत आदिवासी पार्टी के साथ गठबंधन पर विचार विमर्श शुरू हुआ. इसके चलते कांग्रेस पार्टी द्वारा अभी तक बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए ना तो कोई पैनल बनाया है और नहीं प्रत्याशी की घोषणा की है.
त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस मजबूत नहीं
हालांकि बांसवाड़ा डूंगरपुर के विधायक भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन करने के फेवर में नहीं है. बावजूद इसके आला कमान द्वारा गठबंधन को लेकर जयपुर में विचार विमर्श का दौर जारी है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा बांसवाड़ा और डूंगरपुर के विधायकों के साथ दो-तीन दिन से चर्चा की जा रही है और उनको पार्टी की रणनीति के बारे में भी बताया जा रहा है. पार्टी आलाकमान का मानना है कि यदि भारतीय जनता पार्टी की झोली में इस सीट को जाने से रोकना है तो गठबंधन करना मजबूरी है. त्रिकोणीय मुकाबला होने की स्थिति में कांग्रेस की स्थिति मजबूत नजर नहीं आ रही है. इसको लेकर गठबंधन पर विचार किया जा रहा है.
यहां समझें बांसवाड़ा सीट का पूरा गणित
बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 7 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें से कांग्रेस के चार विधायक गत चुनाव में निर्वाचित हुए हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी के दो विधायक और भारत आदिवासी पार्टी का एक विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचा है. इस आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस पार्टी का पलड़ा मजबूत नजर आता है, लेकिन लोकसभा का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा जा रहा है, जिसके चलते इसके समीकरण जुदा नजर आ रहे हैं, और कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा मजबूत नजर आ रहा है. जिसके चलते कांग्रेस को भारत आदिवासी पार्टी से समझौता कर गठबंधन के लिए अपना मानस बनाना पड़ रहा है. भारत आदिवासी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. ऐसे में गठबंधन का पूरा दारोमदार अब कांग्रेस पार्टी पर ही निर्भर करता है. ऐसे में कांग्रेस की रणनीति क्या होती है? वह अगले दो-तीन दिन में स्पष्ट हो पाएगी, की वह इस सीट से अपना प्रत्याशी घोषित करता है या फिर वह बाप पार्टी को अपना समर्थन देता है.
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