राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने कहा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान की बीजेपी सरकार प्रदेश की विरासत के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने आज, 24 दिसंबर को एनडीटीवी राजस्थान के कॉन्क्लेव में सरकार की ओर से इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. दिया कुमारी ने झुंझुनूं के मंडावा कैसल में एनडीटीवी के विशेष आयोजन ‘राइजिंग राजस्थान: विकास भी, विरासत भी' में वर्तमान समय में राजस्थान की समृद्ध विरासत की रक्षा के साथ भविष्य के लिए इसके अनुकूल होने के बारे में अपने विचार साझा किए.
यूनेस्को में भेजा जाएगा आवेदन
उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान की हवेलियों के संरक्षण को लेकर संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को से संपर्क करने की तैयारी कर रही है. दिया कुमारी ने कहा,"राजस्थान की हवेलियों को यूनेस्को के संरक्षित धरोहरों की सूची में शामिल करने के लिए सरकार आवेदन करेगी. हमने अभी 600 से ज़्यादा हवेलियों की पहचान की है. हमने ऐसे क्षेत्रों की भी पहचान की है जहां ऐसी बहुत सारी ऐतिहासिक विरासत हैं. इसके बाद हम यूनेस्को के पास जाएंगे और कहेंगे कि इनका संरक्षण बहुत ज़रूरी है. हमें लगता है कि यूनेस्को भी इसे समझेगा. अभी राजस्थान में ऐसी 9 इमारतें हैं जो यूनेस्को की संरक्षित इमारतों की सूची में शामिल हैं, और देश में सबसे ज़्यादा यूनेस्को संरक्षित इमारतें राजस्थान में ही हैं."
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हवेलियों के संरक्षण का प्रयास
दिया कुमारी ने साथ ही स्वीकार किया कि हवेलियों के संरक्षण में सरकार की भूमिका बहुत सीमित हो जाती है क्योंकि इनमें से कई निजी हवेलियां हैं. उन्होंने कहा,"सरकार उनके संरक्षण के लिए ज़ोर नहीं दे सकती क्योंकि ज़्यादातर हवेलियां निजी हैं. लेकिन हम उनके संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा कर सकते हैं और यह किया जा रहा है. साथ ही प्रशासन भी इसमें कुछ हद तक भूमिका निभा रहा है कि अगर कोई हवेली के मूल स्वरूप के साथ परिवर्तन करता है तो उसे ऐसा करने से रोका जाए."
हवेलियों के बेहतर इस्तेमाल की कोशिश
दिया कुमारी ने कहा कि हवेलियों को बेचने पर कोई रोक नहीं है और सरकार ऐसा नहीं करवा सकती. लेकिन उनके मूल स्वरूप को बिगाड़ा नहीं जाना चाहिए, और इसलिए सरकार का ये प्रयास है कि इन हवेलियों का असल स्वरूप बरकरार रहे. साथ ही सरकार यह प्रयास भी कर रही है कि अगर संभव हो तो इन हवेलियों का होम स्टे, पर्यटन, संग्रहालय या कला-संस्कृति के लिए इस्तेमाल किया जाए ताकि उनका बेहतर रखरखाव हो सके.
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