NDTV World Summit 2025: राजस्थान में जड़ से ब्रिटेन के बिज़नेस टाइकून तक...अनिल अग्रवाल ने NDTV को बताया सफलता का मंत्र

अनिल अग्रवाल ने कहा कि दुनिया में तमाम बड़े देशों जैसे, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और मध्य पूर्व के देशों ने अपने प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से ही विकास किया है.

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Anil Agarwal in NDTV World Summit 2025
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अनिल अग्रवाल आज के दौर के सबसे कामयाब भारतीय उद्योगपतियों में से एक हैं. अनिल अग्रवाल माइनिंग या खनन की दुनिया की जानी-मानी कंपनी वेदांता ग्रुप के चेयरमैन हैं. लंदन में बस चुके अनिल अग्रवाल एनडीटीवी के विशेष आयोजन एनडीटीवी वर्ल्ड समिट (NDTV World Summit 2025) में हिस्सा लेने भारत आए हुए हैं. दिल्ली के भारत मंडपम में एक इस दो दिवसीय समिट के पहले दिन अनिल अग्रवाल ने एक विशेष परिचर्चा में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के योगदान और भूमिका पर अपने विचार साझा किए. अनिल अग्रवाल ने इस दौरान भारत में अपने शुरुआती दिनों को भी याद किया और अपनी कहानी सुनाई.

एनडीटीवी प्रॉफिट की तमन्ना इनामदार के साथ एक विशेष परिचर्चा में अनिल अग्रवाल ने बताया कि वह अपने आपको अभी भी बिहार के उस लड़के की तरह याद करते हैं जिसके मन में बस तमन्नाएं थीं. उन्होंने कहा,"ऐसा लड़का जो कभी एयरोप्लेन में नहीं बैठा, जिसने डबल डेकर बसों को केवल टीवी पर देखा था. लेकिन फिर यात्रा चलती चली गई."

"हमें हमेशा कहा जाता रहा कि प्राकृतिक भंडारों का खनन नहीं करना है, लेकिन पिछले 30 वर्षों से मैं लगातार यह कहता रहा हूं, कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता खनन है" - 

राजस्थान को किया याद

अग्रवाल ने कहा,"हमारा परिवार मूलतः राजस्थान का रहनेवाला है. हम राजस्थान वाले देशभर के कोने-कोने में चले गए. मैं पटना में बड़ा हुआ. फिर मुंबई गया और फिर विदेश गया क्योंकि मैं बड़े कारोबार के लिए पैसे जुटाना चाहता था. भारत में मुझे बैंकों से एक-दो करोड़ रुपये मिलते थे जबकि मुझे कारोबार के लिए अरबों डॉलर की ज़रूरत थी. बाहर से मुझे निवेश के लिए पैसे मिले जो मैं लेकर आया."

अनिल अग्रवाल ने कहा कि अपने अनुभव से उन्होंने सीखा कि अगर किसी कारोबार में सफल होना है तो एक ही लाइन में प्रयास करते रहना चाहिए. उन्होंने कहा, मैं हमेशा एक ही, एक ही और एक ही बिज़नेस में रहा, जो ज़मीन के अंदर (माइनिंग) का बिज़नेस था."

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खनन विकास के लिए ज़रूरी

अग्रवाल ने कहा कि दुनिया में तमाम बड़े देशों जैसे, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और मध्य पूर्व के देशों ने अपने प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से ही विकास किया है.

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अग्रवाल ने कहा,"हमें हमेशा कहा जाता रहा कि प्राकृतिक भंडारों का खनन नहीं करना है, लेकिन पिछले 30 वर्षों से मैं लगातार यह कहता रहा हूं, कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता खनन है, ताकि हमारे पास अपना तेल और गैस हो, सोना हो, चांदी हो, ज़िंक हो, तांबा या उर्वरक हो, यह सब ज़मीन के अंदर है. मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि जो मुहिम मैंने छेड़ी थी उसे आज की परिस्थिति में प्रोत्साहन मिल रहा है. मैं यही कहना चाहता हूं कि आप जिस भी एक क्षेत्र में काम करने का चुनाव करें, उस काम को लगातार करते रहें." 

अनिल अग्रवाल ने बताया कि आज देश की चांदी की आधी से ज्यादा मांग को उनकी कंपनी पूरा कर रही है. अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने निजी तौर पर खनन को उपयोगी बनाने के लिए काम किया और इस वजह से आज 60 प्रतिशत चांदी की बचत हो पा रही है जो पहले बर्बाद हो जाया करती थी. उन्होंने कहा कि अभी AI की वजह से खनन का काम और भी आसान हो गया है और पहले जहां 10 किलोमीटर की खुदाई करनी होती थी अब वहां सिर्फ आधे किलोमीटर का खनन करने से काम चल जाता है.

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