AI Cyber Fraud: डीपफेक से नेता-अभिनेता की आवाज चुराकर बेची जा रही नकली दवाइयां, शुगर पेशेंट्स बन रहे निशाना

जयपुर साइबर क्राइम ऑफेंस के ACP सोन चंद ने इस खतरे को उजागर करते हुए बताया कि ठग अब एक नया ट्रेंड अपना रहे हैं. वे मशहूर हस्तियों के फर्जी वीडियो बनाते हैं, जिनमें यह दावा किया जाता है कि उस सेलिब्रिटी ने एक खास दवा की खुराक ली और तुरंत ठीक हो गया.

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देश में 'AI ठगी' का सबसे खतरनाक जाल! डीपफेक से नेता-अभिनेता की आवाज़ चुराकर बेची जा रही नकली दवाइयाँ; साइबर पुलिस अलर्ट
NDTV Reporter

Rajasthan News: देश में साइबर क्राइम एक नए और बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. अब साइबर ठग पारंपरिक तरीकों को छोड़कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक (Deepfake) तकनीक का सहारा ले रहे हैं. इन ठगों ने राजनेताओं (Politicians) और बॉलीवुड सितारों (Bollywood Celebrities) के चेहरे और आवाज का क्लोन (Voice Clone) बनाकर, खासकर शुगर (डायबिटीज) के मरीजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. ये अपराधी डीपफेक ऑडियो और वीडियो का इस्तेमाल करके नकली दवाइयां और 'चमत्कारिक' इलाज बेच रहे हैं, जिससे करोड़ों लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं.

डायबिटीज के मरीज क्यों बन रहे निशाना?

देश में डायबिटीज (शुगर) के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिसने साइबर ठगों को एक आसान 'टारगेट ऑडियंस' दे दिया है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोग अक्सर जल्दी ठीक होने की उम्मीद में ऐसे विज्ञापनों पर भरोसा कर लेते हैं. साइबर ठग इसी मानसिक कमजोरी का फायदा उठा रहे हैं.

'सेलिब्रिटी देख झांसे में जा जाते हैं लोग'

जयपुर साइबर क्राइम ऑफेंस के ACP सोन चंद ने इस खतरे को उजागर करते हुए बताया कि ठग अब एक नया ट्रेंड अपना रहे हैं. वे मशहूर हस्तियों के फर्जी वीडियो बनाते हैं, जिनमें यह दावा किया जाता है कि उस सेलिब्रिटी ने एक खास दवा की खुराक ली और तुरंत ठीक हो गया. इन नकली क्लिप्स को सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है, और नीचे एक लिंक दिया जाता है, जिस पर क्लिक करके लोग दवा खरीद सकते हैं. चूंकि वीडियो में एक बड़ा सेलिब्रिटी नजर आता है, इसलिए लोग बिना सोचे-समझे उनके झांसे में आ जाते हैं.

AI से कैसे बन रहे हैं नकली वीडियो?

यह पूरा गोरखधंधा बेहद जटिल तरीके से AI तकनीक का इस्तेमाल करके चल रहा है. ACP सोन चंद ने पूरा प्रोसेस समझाते है. 

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  1. सबसे पहले साइबर अपराधी किसी मशहूर शख्स—जैसे किसी मुख्यमंत्री, अक्षय कुमार या हेमा मालिनी जैसे बॉलीवुड एक्टर—के सार्वजनिक वीडियो, इंटरव्यू और सोशल पोस्ट से फुटेज और ऑडियो डेटा इकट्ठा करते हैं.
  2. इसके बाद, डीपफेक तकनीक से उस इंसान का चेहरा किसी नए वीडियो पर चढ़ा दिया जाता है, और वॉयस-क्लोनिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके उनकी आवाज हूबहू बना ली जाती है.
  3. नकली आवाज में नए शब्द बोलवाए जाते हैं, जिनमें ये सेलिब्रिटीज नकली 'डायबिटीज कंट्रोल कैप्सूल', 'शुगर फ्री गारंटी' जैसे बेकार उत्पादों का प्रचार करते नजर आते हैं. 
  4. आखिर में, नकली वीडियो में "यह दवा लें" या "अभी कॉल करें/पेमेंट करें" जैसे लिंक या WhatsApp नंबर दिए जाते हैं. 

ये फर्जी वीडियो WhatsApp, Facebook और YouTube पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे इनकी विश्वसनीयता पर संदेह करना मुश्किल हो जाता है.

नकली वीडियो को पहचानने के तरीके

साइबर पुलिस ने जनता को इन फर्जी वीडियो की पहचान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण संकेत बताए हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

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  1. AI क्लोनिंग में अक्सर होंठों की हरकत (Lip-sync) और आवाज में बारीक बेमेल या देरी दिखती है.
  2. नकली वीडियो में चेहरे के किनारों पर या त्वचा पर अप्राकृतिक धुंधलापन (Artificial Blur) या अजीब सी चमक दिखाई दे सकती है.
  3. सबसे बड़ी पहचान यह है कि ये वीडियो किसी भी सेलिब्रिटी के आधिकारिक, सत्यापित चैनल (Official Verified Channel) पर उपलब्ध नहीं होते हैं.
  4. इनमें हमेशा तुरंत WhatsApp नंबर या प्राइवेट लिंक पर पैसे भेजने का दबाव दिया जाता है, जबकि कोई भी प्रतिष्ठित कंपनी ऐसा नहीं करती है.

जयपुर साइबर पुलिस ने अपील की है कि लोग सोशल मीडिया पर वायरल इस तरह के किसी भी वीडियो पर यकीन न करें. ऐसे वीडियो पूरी तरह से फेक होते हैं. कोई भी बड़ा सेलिब्रिटी या बड़ा नेता इस तरह से किसी प्रोडक्ट बेचने की मार्केटिंग नहीं करते हैं. ऐसे साइबर ठगों से सावधान रहें. किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करें.

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