Rajasthan News: राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. संभावना है कि चुनाव आयोग आज तारीखों की घोषणा कर देगा। प्रदेश की रामगढ, दौसा, झुंझुनूं, देवली उनियारा, खींवसर, चौरासी और सलूंबर विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं. इन सात में से केवल एक सीट सलूंबर भाजपा के पास थी. बाकी 4 पर कांग्रेस और 2 पर दूसरी पार्टियों का कब्जा है. अब जबकि भाजपा सत्ता में है तो उसे इन सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। भजनलाल सरकार की लोकसभा के बाद यह दूसरी परीक्षा है.
ख़ास बात यह है कि इस उपचुनाव में कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार नजर आ रहे हैं. दो दलों के वर्स्चव वाले राजस्थान के सियासी मैदान में यह अलग बात होगी। आइये जानते हैं इन सात सीटों का हाल.
1. दौसा
दौसा सीट कांग्रेस विधायक रहे मुरारीलाल मीणा के सांसद बनने से खाली हुई है. कांग्रेस अपने गढ़ की इस सीट को बचाए रखना चाहती है. मुरारीलाल मीणा सचिन पायलट के करीबी माने जाते हैं. वहीं बीजेपी नेता किरोड़ी लाल मीणाका भी यहां प्रभाव है. किरोड़ी दौसा लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में मुरारी ने शंकर लाल शर्मा को 31,204 मतों से हराया था.
2. खींवसर
नागौर जिले में आने वाले खींवसर सीट काफी चर्चित सीट रही है. RLP से विधायक रहे हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने बाद यह सीट खाली हुई थी. यह सीट उन में से यह जहां त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है. हालांकि लोकसभा चुनाव हनुमान बेनीवाल ने INDIA गठबंधन के बैनर तले लड़ा था. लेकिन उनका कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हुआ है. यह सीट हनुमान बेनीवाल का दबदबा रहा है. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव वो बहुत कम अंतर से जीत पाए थे. बेनीवाल ने रवतराम डांगा को 2059 वोटों से हराया था.
3. देवली- उनियारा
टोंक जिले में आने वाली देवली- उनियारा सीट कांग्रेस विधायक रहे हरीश मीणा के सांसद बन जाने के बाद खाली हुई है. कांग्रेस इस सीट को किसी भी कीमत पर जीतना चाहेगी। यह सीट सचिन पायलट के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि सचिन पायलट खुद टोंक से विधायक हैं, सांसद हरीश मीणा को पायलट का करीबी माना जाता है. पिछले चुनाव में हरीश मीणा ने भाजपा उम्मीदवार विजय बैंसला को 19,175 वोटों से हराया था.
4. झुंझुनूं
कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला के सांसद बनने से यह सीट खाली हुई. यह परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट मानी जाती रही है. कांग्रेस के सामने सीट पर विजय का सिलसिला बरकरार रखना और बीजेपी के सामने कांग्रेस का गढ़ ढहाना चुनौती है. इस सीट पर सचिन पायलट के साथ दांव पर है, क्योंकी बृजेंद्र ओला भी पायलट के करीबी माने जाते हैं. ओला ने पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बबलू चौधरी को 28,863 वोटों से हराया था.
5. रामगढ़
अलवर की रामगढ़ सीट कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन से खाली हुई है. यहां कांग्रेस और भाजपा के बराबर का मुकाबला रहा है. रामगढ़ सीट से 3 बार भाजपा के ज्ञान देव आहूजा और 4 बार जुबैर खान विधायक रहे हैं. करीब 3 दशक से यहां दो ही परिवारों का राज रहा है. यहां हिंदू- मुस्लिम सामाजिक समीकरण चुनाव में हावी रहते हैं, ऐसे कांग्रेस के लिए यह सीट बचाना चुनौती हुई। पिछले विधानसभा चुनाव में जुबैर खान ने आजाद समाज पार्टी के सुखवंत सिंह को करीब 19 हजार वोटों से हराया था. भाजपा यहां तीसरे स्थान रही थी. ऐसे में यहां एक बार फिर त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है.
6. चौरासी सीट
भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के विधायक रहे राजकुमार रोत के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई. यहां भी त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मेद है. इस सीट पर लगातार दो बार से BAP जीतती आ रही है. पिछले चुनाव में रोत ने सुशील कटारा को करीब 70 हजार वोटों से हराया था. कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी.
7. सलूम्बर
उदयपुर की सलूम्बर सीट बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के कारण खाली हुई है. उपचुनाव वाली 7 सीटों में से केवल सलूम्बर ही बीजेपी के पास थी. ऐसे में बीजेपी के सामने सीट बचाने की बड़ी चुनौती है. पिछले चुनाव में अमृत लाल मीणा ने कांग्रेस के रघुवीर मीणा को करीब 14 हाजर मतों से हराया था.
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