IIT जोधपुर का नया अविष्कार, अब लैब की बजाय मोबाइल पर मिलेगी 'ऑन द स्पॉट' रिपोर्ट

एंड्रॉइड ऐप का उपयोग करके पूरा तंत्र किसी भी स्मार्टफोन से एक पेपर- आधारित विश्लेषणात्मक उपकरण जोड़ता है, जो ग्लूकोज के नमूने का पता लगाने के लिए सक्षम है.

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फाइल फोटो

IIT Jodhpur New Invention: भारत में डिजिटलाइजेशन पर तेज गति से कार्य हो रहा है और शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा होगा जो डिजिटलाइजेशन से अछूत हो. इसी बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान 'IIT' जोधपुर भी लगातार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई नई तकनीकों को भी विकसित कर रहा है. जहां मेडिकल के क्षेत्र में आईआईटी जोधपुर में एक अनूठी डिवाइस को विकसित किया है. जिससे अब कुछ ही मिनटों में ग्लूकोज स्तर के परीक्षण के साथ ही कहीं जांच रिपोर्ट भी बिना प्रयोगशाला में जाए ऑन द स्पॉट मिल सकेगी. IIT जोधपुर के शोधकर्ताओं द्वारा बनाई गई चिकित्सा प्रणाली के जरिए स्मार्टफोन का उपयोग मरीजों में ग्लूकोज के स्तर का परीक्षण करने के लिए किया जा सकता है, ताकि परीक्षण परिणाम जल्दी से उपलब्ध किए जा सके.

मोबाइल से ही लगा सकेंगे डायबिटीज का पता

आपको बता दे कि कागज-आधारित विश्लेषणात्मक उपकरण (PAD - Paper-based Analytical Device) पोर्टेबल उपकरण हैं जिसने आवश्यकता-बिंदु परीक्षण (Point-of-need testing) में क्रांति ला दी है. अब जैव रासायनिक (Biochemical) नमूनों का तुरंत आकलन किया जा सकता हैं. यह उपकरण एक लैब-आधारित कार्यात्मक बायोडिग्रेडेबल पेपर के साथ आता है, जो मौजूद ग्लूकोज के स्तर और मात्रा के आधार पर अपना रंग बदल देता है. इसे स्मार्टफोन से जोड़कर शोधकर्ताओं ने ग्लूकोज के स्तर को ट्रैक करने की पूरी प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बना दिया है.

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लोग कर सकेंगे पर्सनल यूज

इस उपकरण को जनता के निजी उपयोग के लिए विकसित करने का लक्ष्य है. यह उपकरण तकनीकी या प्रयोगशाला(लेब) सेटिंग्स की आवश्यकता के बिना ऑन-द-स्पॉट ग्लूकोज परीक्षण परिणाम प्रदान कर सकता है. इसके अलावा इसे किफायती और बायोडिग्रेडेबल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस डिवाइस में की जाने वाली जांच की वर्तमान लागत प्रयोगशाला में केवल लगभग 10 रु. है. वहीं टीम को उम्मीद है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन के दौरान इसे और भी सस्ता बनाकर 5 रु. तक लाया जा सकता है.

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शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है स्मार्टफोन

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान 'IIT' जोधपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंकुर गुप्ता ने बताया कि स्मार्टफोन आसानी से अन्य डिवाइस और प्लेटफॉर्म्स के साथ जुड़ जाता है. स्मार्टफोन आधारित डिटेक्शन फ्रेमवर्क आपको बड़े नेटवर्क या डेटाबेस से जोड़ने में मदद करता है और आसानी से निगरानी करने, डेटा संग्रहण करने और परिणाम साझा करने की सुविधा प्रदान कर सकता है. यह कनेक्टिविटी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है.

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PAD को जोड़ा जा सकता है किसी स्मार्टफोन से

आईआईटी द्वारा विकसित PAD (Paper-based Analytical Device) एक कागज-आधारित विश्लेषणात्मक उपकरण है जिसकी एक बड़ी समस्या यह है कि इसे काम करने के लिए विशिष्ट प्रकाश स्थितियों की जरूरत होती है. स्मार्टफोन ऐप विकसित करने के लिए कृत्रिम ग्लूकोज नमूनों का उपयोग करके, रंगीन नमूनों की विभिन्न छवियों को मशीन लर्निंग एप्लिकेशन का उपयोग करके संसाधित किया गया. इससे यह सुनिश्चित हुआ कि PAD से रंग की तीव्रता प्रकाश की स्थिति और स्मार्टफोन में कैमरे के प्रकार से प्रभावित नहीं हुई. इस प्रकार PAD को अलग-अलग कैमरा ऑप्टिक्स वाले किसी भी स्मार्टफोन से जोड़ा जा सकता है. यह शोध कार्य ACS प्रकाशन में प्रकाशित हो चुका है.

अब लग सकेगा किसी भी बीमारी का सटीक अनुमान

डॉ. अंकुर गुप्ता ने आगे बताया कि इस शोध में दूरगामी क्षमता है," यह अध्ययन दर्शाता है कि यह विकसित प्रणाली उपयोगकर्ता के लिये प्रारंभिक रोग जांच के लिए सहायक है. मशीन लर्निंग तकनीकों को शामिल करके प्लेटफॉर्म विश्वसनीय और सटीक परिणाम प्रदान कर सकता है, इस प्रकार किसी भी बीमारी की बेहतर प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच और निदान के लिए परिणामों की सटीकता का अनुमान लगाने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है.

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