New Year 2024: साल 2023 खत्म होने में कुछ ही घंटे बच गए हैं. जबकि साल 2024 का इतंजार पूरी दुनिया बेसब्री से कर रही है. भारत समेत पूरी दुनिया में नए साल की तैयारी शुरू हो गई है. सभी लोग न्यू ईयर (New Year) के जश्न की तैयारी (New Year Wish) में सभी डूब गए हैं. 31 दिसंबर की रात जैसे ही घड़ी की सुईयों का काउंट डाउन शुरू होगा वैसे ही हम सभी साल 2023 से 2024 में प्रवेश करेंगे और नए साल 2024 का आगाज होगा. हालांकि, विविधताओं का देश भारत में केवल 1 जनवरी को एक बार नहीं बल्कि पूरे साल में 5 बार न्यू ईयर सेलिब्रेट (New Year Celebrate) किया जाता है.
मजे की बात यह है कि अगर आप किसी कारण से 1 जनवरी को नए साल का स्वागत नहीं कर सके तो आपको नए साल मानाने के और भी मौके मिलेंगे. वैसे तो अंग्रेजी के ग्रिगेरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल एक जनवरी को नया साल मनाया जाता है. जिसकी धूम पूरे देश में जोश और हर्ष से देखने को मिलती है.
इस दिन लोग अपने खास लोगों को मिलकर बधाई देते हैं. वहीं जिनसे मिलना सम्भव नहीं हो पाता है उन्हें ऑनलाइन सन्देश या व्हाट्सअप कर देते हैं. आजकल तो 5 G नेटवर्क होने के कारण लोग सीधे वीडियो कॉल करके अपनों से जुड़ जाते हैं. हमारे देश में इतने धर्म, इतनी भाषा, इतने पंथ, इतने लोग हैं कि नया साल मानाने का हमारे पास सिर्फ इकलौता ही मौका नहीं होता है.
यह देश विविधता में एकता का देश है. इसी विविधता के कारण हमारे देश के लोग दिवाली भी उतनी ही जोश से मनाते हैं जितनी की जोश से अन्य धर्मों के त्यौहार, भारत में साल में 5 बार आप चाहें तो नया साल मना सकते हैं. ये नए साल बस कहने को तो 1 जनवरी से शुरू नहीं होंगे मगर इतना जरूर कुछ न कुछ प्रकृति से जुड़ा हुआ कारण जरूर होता है.
आइए ऐसे में आज हम जानते हैं कि कब किस रिलिजन के लोग नया साल मनाते हैं.
ईसाई न्यू ईयर (1 जनवरी)
1 जनवरी से नए साल की शुरुआत हो जाती है. मगर इसकी शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 से हुई थी. ईसाई कैलेंडर का नाम ग्रिगोरियन कैलेंडर के नाम पर है. दरअसल सबसे पहले रोमन शासक जूलियस सीजर (Julius Caesar) ने ईसा पूर्व (BC) 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर बनाया था. लेकिन बाद में पोप ग्रेगरी (Pope Gregory) ने इसमें भी कुछ संशोधन करते हुए अपने धर्म गुरु से चर्चा कर लीप ईयर (29 फरबरी- 2024) को जोड़ते हुए नए ग्रेगोरियन कैलेंडर को बनाया.
तब से 1 जनवरी को नववर्ष मनाते हैं. आपको एक बात और बताते चलें कि देश में ईसाईयों की कुल जनसंख्या 2.3% ( 2011 के अनुसार) है. जो कि तकरीबन 2 करोड़ 80 लाख होती है.
पारसी नववर्ष (19अगस्त )
पारसी लोग नवरोज के रूप में नववर्ष मनाते हैं. इस साल को नवरोज 19अगस्त को पड़ेगा. ऐसा माना जाता है कि 3000 वर्ष पूर्व इसे सबसे पहले शाह जमशेदजी ने मनाया था. हमारे देश में पारसियों की कुल जनसंख्या 57,264 (2011 के अनुसार) है. शाह जमशेदजी ने करीब 3 हजार साल पहले पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की थी.
जैन धर्म नववर्ष (02 नवम्बर)
दीपावली के अगले दिन से जैन समाज के लोग नववर्ष मनाते हैं. इसे वीर निर्वाण सम्वत भी कहा जाता है. इस साल लीप ईयर होने के कारण दिवाली (01 नवम्बर, शुक्रवार) मनाई जाएगी. वहीं उसके अगले दिन जैन नववर्ष मनाया जायेगा. ऐसा कहां जाता है कि इसी दिन महावीर स्वामी को मोक्ष प्राप्त हुआ था.हमारे देश में जैन समाज की कुल जनसंख्या 0.37% (2011 के अनुसार) है. इसी दिन से जैनी अपना नया साल मनाते हैं.
पंजाबी नववर्ष (13 अप्रैल)
पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है. जो अप्रैल में आती है. सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होली के दूसरे दिन से नए साल की शुरुआत मानी जाती है. इस साल 25 मार्च को होली है. सिख धर्म के लोगों का नया साल बैसाखी पर्व 13 अप्रैल से शुरू होता है. सिख धर्म के लोग बैसाखी के दिन परंपरा के अनुसार भांगड़ा और गिद्दा (लोक नृत्य) करते हैं. इस दिन शाम को आग के आस-पास इकट्ठे होकर लोग नई फसल की खुशियां भी मनाते हैहमारे देश में सिख समाज की कुल जनसंख्या 1.72% (2011 के अनुसार) है.
हिंदू नववर्ष (9 अप्रैल)
हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है. इसे हिंदू नव संवत्सर या नया संवत भी कहते हैं. इसके पीछे की मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी. इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत होती है. इसीलिए इस दिन को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अप्रैल में आती है. इसे गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से भारत के कई क्षेत्रों में मनाया जाता है. हमारे देश में सिख समाज की कुल जनसंख्या 79.8% (2011 के अनुसार) है.
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