NGT notice on groundwater exploitation: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने बिना एनओसी भूजल निकलने पर कलेक्टरों को कार्रवाई के निर्देश दिए है. केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछले 5 साल में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट भी मांगी है. एनजीटी की सेंट्रल जोन बेंच के न्यायिक सदस्य शिवकुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य सुधीर कुमार चतुर्वेदी ने ताहिर हुसैन की याचिका पर आदेश दिए. बेंच ने सभी जिला कलक्टरों को बिना एनओसी भूजल निकासी के मामलों में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही भूजल संकट और दोहन को रोकने के लिए तत्काल उचित कदम उठाने को कहा है.
19 नवंबर तक पेश करनी होगी रिपोर्ट
गौरतलब है कि वर्ष 2020 में एनजीटी ने केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण को सभी राज्यों में बिना एनओसी भूजल निकासी पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद भूजल प्राधिकरण ने कार्रवाई की जिम्मेदारी कलक्टरों पर डाल दी थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में 409 से अधिक औद्योगिक क्षेत्रों में बिना अनुमति भूजल की निकासी की जा रही है. इस पर अब तक की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट एनजीटी ने 19 नवम्बर तक पेश करने के आदेश दिए हैं.
जयपुर में हर साल ढाई गुना भूजल दोहन
जल शक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, जयपुर में हर साल भूजल का 222 प्रतिशत है यानी हर साल जितना ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है. उससे दोगुना से अधिक भूजल की खपत हो जाती है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 दशकों में जयपुर में 49% बारिश बढ़ी है. इसके बावजूद ग्राउंड वाटर का लेवल घटता जा रहा है. वजह है पेयजल के साथ-साथ सिंचाई के लिए भूजल के पानी पर निर्भरता. रिपोर्ट के मुताबिक, जयपुर के 73% इलाके में भूजल ही पानी का एकमात्र स्रोत है.
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