1 महीने में 10 गुना बढ़ा बिजली बिल, कंज्यूमर फोरम का फैसला- दोषी कर्मचारी को चुकाना होगा बिल

नेत्रहीन उपभोक्ता को बिजली विभाग द्वारा गलत बिल जमा करने के लिए मजबूर करने के मामले में केस दर्ज किया गया. जिसके बाद जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग मामले में उपभोक्ता को निर्दोष पाया और कर्मचारी के उपर जुर्माना लगाया. 

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उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग झुंझूनू

Rajasthan News: अनाप-शनाप बिजली बिल की शिकायत कई लोगों के पास आती रहती है. इससे परेशान होकर ग्राहक को बिजली ऑफिस का चक्कर लगाना पड़ता है. लेकिन कंज्यूमर फोरम में इसकी शिकायत कर न्याय प्राप्त कर सकते हैं. ताजा मामला राजस्थान के झुंझनू जिले से सामने आया है, जहां एक नेत्रहीन ग्राहक की शिकायत पर उपभोक्त फोरम ने बिजली विभाग के दोषी कर्मचारी को जुर्माना चुकाने का आदेश दिया है.    

दरअसल झुंझनू जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मनोज मील और सदस्य नीतू सैनी ने नेत्रहीन रामस्वरूप के हक में फैसला दिया. फैसले में एवीवीएनएल के दोषी कार्मिक को मानसिक टार्चर करने के लिए 25 हजार रुपए  और 7,500 रुपए परिवाद में खर्चे के लिए हर्जाना अपने वेतन से उपभोक्ता को चुकाने के आदेश दिए हैं. उपभोक्ता आयोग ने निर्देश दिए हैं कि नियमित रूप से बिल चुकाने और सद्भावना से मामले का निस्तारण चाहने वाले सद्भावी उपभोक्ता को कानूनी मकड़जाल में न फंसाया जाए.

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क्या है पूरा मामला

दरअसल झूंझनू जिले के नवलगढ़ के जाखल के रहने वाले रामस्वरूप खेदड़ ने जिला आयोग में परिवाद दायर किया था. रामस्वरूप के भाई केशर देव पुत्र मामराज खेदड़ के नाम से विद्युत कनेक्शन है. केशरदेव के रोजगार के सिलसिले में पं. बंगाल रहते हैं. परिवादी रामस्वरूप और उनकी माता द्वारा ही विद्युत उपभोग किया जाता है और नियमित रूप से बिल भी चुकाया जाता है. 

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पिछला विद्युत मीटर खराब होने पर परिवादी रामस्वरूप ने मार्च 2022 में एवीवीएनएल से नया मीटर लगवाया था, तब मार्च 2022 का बिल 1146 रुपए आया तो कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते समय पर बिल जमा नहीं करवाने की वजह से पेनल्टी सहित 1186/- रुपए का हो गया. इसके ठीक अगला बिल यानी मई 2022 का बिल एवीवीएनएल ने 12699 रुपए का भेजा, जबकि बिल में मई माह में उपभोग की गई यूनिट की संख्या शून्य अंकित थी. 

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अन्य उपभोक्ता का भी बिल जोड़कर भेजा

इस पर परिवादी ने एवीवीएनएल कार्यालय गुढ़ा गोड़जी में संपर्क किया, तो यह पीछे का बकाया बताया गया. इसके बाद परिवादी द्वारा पड़ताल करवाने पर पता चला कि जिस पुराने मीटर का हवाला एवीवीएनएल द्वारा दिया जा रहा है, वह मीटर नम्बर परिवादी के नहीं है, बल्कि किसी अन्य उपभोक्ता का हैं. परिवादी का पुराना मीटर नं 2513259 था, जो विद्युत बिल में भी अंकित था, जबकि अन्य विद्युत मीटर नं. 8381666 की बकाया यूनिट को बिल में जोड़ा गया था. यानी किसी अन्य उपभोक्ता के विद्युत मीटर के बिल की बकाया राशि परिवादी के खाते में जोड़कर बिल भेजा गया. 

अधिकारियों ने उपभोक्ता मानने से किया इंकार

परिवादी ने अधिकारियों से कई बार मौखिक और लिखित निवेदन किया, लेकिन अधिकारियों द्वारा कहा गया कि बिल जमा नहीं करवाने की स्थिति में कनेक्शन काट दिया जाएगा. अंत में परिवादी ने जिला आयोग में परिवाद दायर किया. यहां एवीवीएनएल के अधिकारियों ने पहले तो दायर किए हुए वाद को ही गलत बताते हुए रामस्वरूप को उपभोक्ता मानने से इनकार करने की बात कही, क्योंकि कनेक्शन रामस्वरूप के नाम से नहीं था. वहीं मीटर नंबर गलत होने की गलती लिपिकीय भूल मानी. 

कोर्ट ने कर्मचारी को फटकारा

दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने फैसला दिया कि चूंकि विद्युत उपभोग रामस्वरूप कर रहा है, एवं उसका नियमित बिल भी चुकाता रहा है, ऐसे में वे उपभोक्ता हैं. एवीवीएनएल गुढ़ा गोड़जी के कार्मिक द्वारा नेत्रहीन और सदभावी उपभोक्ता को कानूनी मकड़जाल में उलझाकर उपभोक्ता के मामले का निस्तारण करने का सद्प्रयास नहीं करना अक्षम्य कृत्य के साथ सेवा में दोष है. नेत्रहीन रामस्वरूप के हक में फैसला देते हुए एवीवीएनएल के दोषी कार्मिक को हर्जाना अपने वेतन से उपभोक्ता को चुकाने के आदेश दिए हैं.

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