राजस्थान में कंपनियों को अलॉट किये जा रहे 'ओरण' क्षेत्र, विरोध में महिलाएं 70 किलोमीटर चलकर पहुंची जैसलमेर

सरहदी जिले जैसलमेर में पर्यावरण को बचाने की जदोजहद लगातार जारी है. ओरण को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने और कम्पनियों से बचाने के प्रयास दिनों दिन तेज होते जा रहे है.

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जैसलमेर में ओरण बचाने महिलाएं उतरी.

Rajasthan News: केंद्र से लेकर राजस्थान सरकार द्वारा पर्यावरण बचाने की बात की जाती है. लेकिन दूसरी तरफ पर्यावरण को ध्यान में रखे बिना ही बड़ी-बड़ी कंपनियों को ऐसी जमीनें अलॉट किये जाते हैं, जो पर्यावरण के लिहाज से काफी खतरनाक है. पशु-पक्षियों के बचाने के लिए सरकार की ओर से अभियान का ऐलान किया जाता है. लेकिन दूसरी ओर ओरण क्षेत्र को तबाह होने से बचाने के लिए कोई काम नहीं किया जाता है. ऐसा ही एक मामला जैसलमेर में आया है. जहां ओरण क्षेत्र को बचाने के लिए महिलाएं सड़क पर उतर आईं हैं. यह महिलाएं गांव से 70 किलोमीटर पैदल चलकर जैसलमेर पहुंची है और ओरण क्षेत्र में सीमेंट प्लांट लगाने का विरोध कर रही हैं.

सरहदी जिले जैसलमेर में पर्यावरण को बचाने की जदोजहद लगातार जारी है. ओरण को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने और कम्पनियों से बचाने के प्रयास दिनों दिन तेज होते जा रहे है. लेकिन यह ओरण लगातार कंपनियों को गलत तरीके से अलॉट किया जा रहा है. जबकि इसकी सुध भी लेने वाला कोई नहीं है.

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70 किलोमीटर चल कर महिलाएं पहुंची जैसलमेर

मंगलवार को रामगढ़ इलाके के पारेवर गांव की ओरण की जमीन को वंडर सीमेंट को अलॉट करने का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. ओरण बचाओ टीम व गांव की महिलाओं-युवतियों सैकड़ो की तादात में 2 दिन में 70 किमी की पदयात्रा कर जैसलमेर पहुंची. वहीं, कलेक्टर ऑफिस के बाहर पुलिस व प्रशासन द्वारा उन्हें रोक लिया गया. लेकिन गेट के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के बाद यह सिलसिला ज्यादा देर नही चल पाया. युवतियां अंदर घुस आई और अपने डेलिगेशन के साथ जैसलमेर कलेक्टर प्रतापसिंह को ज्ञापन सौंपा. 

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युवतियों ने NDTV से बातचीत करते हर बताया कि सरकार व प्रशासन बड़े बड़े दावे करती है, लेकिन हमारा कोई सम्मान नही है. हम न जाने कब से पैदल चलकर बाहर आ गए हमें रोका गया इससे ज्यादा क्या अपमान होगा. हमारी मांग भी जायज है. हम और हमारे गाँव के लोग केवल हमारी ओरण की जमीन को छोड़कर वंडर सीमेंट कंपनी अपना प्लांट लगाए ताकि पेड़-पौधों, वनस्पति और जीव जंतुओं को नुकसान न हो.

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पर्यावरण प्रेमियों ने यात्रा के दौरान लोगो को जागरूक करते हुए अपने साथ जोड़ा और बताया कि साल 2022 में सरकार ने पारेवर गांव की करीब 2400 बीघा जमीन वंडर सीमेंट के प्लांट के लिए अलॉट कर दी. जबकि उस जमीन में ओरण की जमीन भी शामिल है. ग्रामीणों ने बताया कि अलॉटमेंट खारिज करके प्रशासन ओरण कि जमीन को राजस्व रिकॉर्ड में ओरण के नाम से दर्ज करवाए. बस इतनी सी मांग के लिए हमें दर दर भटकना पड़ रहा है.

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