Rajasthan High Court: गर्मी की छुट्टियों के बाद राजस्थान हाईकोर्ट का कामकाज सोमवार यानी 1 जुलाई से शुरू हो गया. हाईकोर्ट ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट पर चिंता जताई. हाईकोर्ट ने कहा कि हम रोजमर्रा के कामों में इतना बिजी रहते हैं कि खाने के बारे में जानने के लिए हम समय ही नहीं देते. हमें यह भी पता नहीं है कि हम जो खा रहे हैं, वह सुरक्षित है कि नहीं.
मिलावट की वजह से किडनी और हृदय पर प्रभाव पड़ता है
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. मिलावट की वजह से किडनी, ह्रदय और लीवर आदि अंगों पर प्रभाव पड़ता है, इसकी वजह से कुपोषण के शिकार हो रहे हैं. मिलावट और घटिया खाना समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है. कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं. इसके बाद व्यापारी कम लागत पर अधिक मुनाफा कमाने के लिए सस्ती और घटिया चीजें मिलाकर खाद्य पदार्थ बेच रहे हैं.
खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006 इसे रोकने के लिए पर्याप्त नहीं
हाईकोर्ट ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006 इसे रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है. क्योंकि, यह कानून असंगठित क्षेत्र और हॉकर्स आदि पर लागू नहीं होता है. यह सिर्फ प्रोसेसिंग पर लागू होता है. सैंपल जांच के लिए लैब भी कम हैं. तकनीक के अभाव में खाद्य प्राधिकारी उचित निगरानी नहीं रख पाते हैं.
नागरिकों का जीवन रक्षा करना सरकार का दायित्व है
केंद्र सरकार इस मामले में सजग है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2020 में खाद्य सुरक्षा मानक बिल तैयार भी किया. उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. नागरिकों का जीवन रक्षा करना सरकार का दायित्व है. यह विषय समवर्ती सूची में होने के कारण केंद्र और राज्य सरकार प्रभावी कानून बनाकर मिलावट रोकने के लिए कदम उठाएं.
20% खाद्य पदार्थ मिलावटी या असुरक्षित गुणवत्ता के बिक रहे
कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार 20% खाद्य पदार्थ मिलावटी या असुरक्षित गुणवत्ता के बिक रहे हैं. खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के सर्वे के अनुसार 70% दूध में पानी मिला होता है. दूध में डिटर्जेंट मिला होने के प्रमाण भी हैं.
हाईकोर्ट ने दिए ये निर्देश
- राज्य सरकार शुद्ध के लिए युद्ध अभियान को त्योहार या शादी के सीजन तक सीमित नहीं रखें
- मिलावट पर नियंत्रण और मॉनिटरिंग के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य और कलक्टरों की अध्यक्षता में जिला स्तर पर कमेटियां बनाई जाए
- केंद्र और राज्य सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2006 को पुख्ता बनाने के लिए कदम उठाए
- राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकारी मिलावट को लेकर हाई रिस्क एरिया और समय चिह्नित करें
- लैब को पर्याप्त एक्युपमेंट और संसाधन उपलब्ध कराएं
- केंद्र और राज्य सरकार की वेबसाइट पर खाद्य सुरक्षा अधिकार सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के नंबर और टोल फ्री नंबर जारी किए जाएं
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के गृह, स्वास्थ्य, कृषि व खाद्य आपूर्ति मंत्रालय से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के गृह, स्वास्थ्य, कृषि व खाद्य आपूर्ति मंत्रालय, खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण तथा राज्य के मुख्य सचिव, गृह, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिवों सहित अन्य को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है. इसके अलावा खाद्य पदार्थों के नियमित सैंपल लेकर हर महीने के अंत में कोर्ट में जांच रिपोर्ट और मिलावट रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी.
आदेश की कापी स्वास्थ्य मंत्रालय और मुख्य सचिव को भेजी
हाईकोर्ट ने जोधपुर और जयपुर के सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं, बार काउंसिंल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित अन्य वकीलों से कोर्ट का सहयोग करने का आह्वान किया. आदेश के पालन के लिए कॉपी स्वस्थ्य मंत्रायल और मुख्य सचिव को भेजी गई है.