Rajasthan News: बूंदी जिला कोर्ट ने पुलिस पर सख्त एक्शन लेते हुए हत्या के सबूत मिटाने के मामले में सीआई समेत 5 पुलिसकर्मियों को निलंबित करने के आदेश दिए हैं. मामला वर्ष 2008 का है, जहां जिले के इंद्रगढ़ थाने के पुलिसकर्मियों ने युवक को हिरासत में लेने के दौरान घर से लेकर थाने तक मारपीट की थी. सिर पर चोट लग जाने से युवक बेहोश हो गया, युवक को पुलिस अस्पताल लेकर पहुंची. जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. युवक की मौत को पुलिस ने सामान्य मौत बता दिया. 16 साल तक चली सुनवाई के बाद आज DJ कोर्ट में अंतिम बहस थी. जहां सबूतों के आधार पर जिला सेशन कोर्ट ने एक एसआई समेत 5 पुलिसकर्मियों को दोषी माना है.
वहीं तत्कालीन थानाधिकारी के खिलाफ सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. दोषी पुलिसकर्मियों का तबादला बूंदी जिले से बाहर करने का आदेश दिया है. 16 साल बाद न्याय मिलने के बाद परिजनों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे.
क्या है पूरा मामला
अधिवक्ता नवेद कैसर ने बताया की मृतक के भाई सलीम ने कोर्ट में दिए बयान में कहा कि 13 मई 2008 को शाम के समय 5 पुलिसकर्मी सादे वर्दी में घर आएं. उन्होंने मेरे भाई शब्बीर को बुलाने के लिए आवाज दी. फिर शब्बीर को पुलिस उस समय ले गई, थोड़ी दूर ले जाने के बाद पुलिसकर्मियों ने मारपीट शुरू कर दी इस दौरान शब्बीर बुरी तरह घायल हो गया. इसके बाद उसको इंद्रगढ़ अस्पताल उपचार के लिए लाया गया, जहां उपचार के दौरान शब्बीर की मौत हो गई. मृतक के भाई सलीम ने इंद्रगढ़ थाने में पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दी, जिसे पुलिस ने झूठा करार दे दिया. बाद में सलीम ने कोर्ट की शरण ली.
कोर्ट ने सुनाई सजा
जिला एवं सेशन न्यायाधीश दिनेशकुमार गुप्ता ने 13 मई 2008 को पुलिस की मारपीट में शब्बीर की मौत के आरोप में दोषी माना है. फरियादी की पैरवी कर रहे वकील नवेद केसर लखपति ने बताया कि 16 साल पुराने मामले के अनुसार महावीर प्रसाद पुत्र जगन्नाथ एएसआई बूंदी निवासी गुमानपुरा कोटा, प्रहलाद पुत्र सावंत सिंह निवासी पीपल्दा सेवानिवृत्त कांस्टेबल, गिरिराज पुत्र जगदीश निवासी देवपुरा करवर हाल कांस्टेबल लाखेरी थाना, हरेंद्र सिंह पुत्र दुर्गा सिंह निवासी सिनसरी डीग भरतपुर हाल पुलिस लाइन बूंदी और रामसिंह पुत्र श्रीराम निवासी नीम का थाना हाल सीआईडी आईबी को दोषी माना है. इन सभी को 143, 147, 300, 302, 149 धारा के तहत दोषी मानकर फैसला दिया गया.
ये भी पढ़ें- लोकसभा चुनावः कौन हैं अमरा राम, जिन्हें कांग्रेस के समर्थन से लेफ्ट ने सीकर से बनाया उम्मीदवार