मकर संक्रांति पर इस जगह होती है मगरमच्छ की पूजा, जानिए इसके पीछे क्या है वजह? 

देशभर में आज मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया गया, राजस्थान के कोटा शहर में भी बंगाली समाज ने आज मकर संक्रांति का पर्व रीति रिवाज के साथ मनाया.

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Makar Sankranti: देशभर में आज मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया गया, राजस्थान के कोटा शहर में भी बंगाली समाज ने आज मकर संक्रांति का पर्व रीति रिवाज के साथ मनाया. नया गांव रोजड़ी क्षेत्र में मिट्टी का विशाल मगरमच्छ बनाया. इष्टदेव के रूप में मगरमच्छ की पूजा अर्चना की. परंपरा को निभाते हुए वाले बंगाली समाज ने विधि विधान से पूजा की. ऐसे में मकरध्वज के रूप में मगरमच्छ की पूजा का विधान पीढ़ियों से चला आ रहा है.

पूजा अर्चना कर मगरमच्छ भगवान की परिक्रमा कर एक दूसरे को पर्व की शुभकामनाएं दी. मगरमच्छ की पूजा करने के लिए अलग-अलग कथाएं प्रचलित है. बंगाली समाज के लोगों का मानना है कि धरती पर मात्र मगरमच्छ ही एक ऐसा जीव है जो पानी और धरती दोनों पर समान रूप से रह सकता है.

इससे जुड़ी हुई एक किवंदती है कि एक व्यक्ति मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर तांत्रिक के पास विद्या सीखने गया, जब वह मकर संक्रांति पर घर लौटा तो उसके परिवार ने उससे पूछा कि उसने क्या सीखा, इस पर वह अपने परिवार को नदी के तट पर ले गया.

वहां पर मिट्टी का मगरमच्छ बनाया, मंत्र बोलकर उसे जीवित किया. मगरमच्छ जीवित होकर नदी में चला गया, तब से लोग मकर संक्रांति पर मगरमच्छ की पूजा करते हैं. बंगाली समाज के लोगों ने बताया कि इसके अलावा गंगा जी का वाहक होने की वजह से भी मगरमच्छ को पूजा जाता है.

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