भीलवाड़ा की 'गंगा' कोठारी नदी की पूजा कर लोगों ने ओढ़ाई चुनरी, मांगी यह मन्नत

पूजन करके कोठारी नदी से कामना की गई कि बरसाती बहाव में कोई अनहोनी नहीं हो. नदी में जल निर्मल और सुगमता से बेहता रहे. नदी के पूजन के साथ ही ओढ़नी ओड़ाने के बाद इंद्र देवता से भी अच्छी बरसात की कामना की गई है.

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भीलवाड़ा में कोठारी नदी की पूजा करते स्थानीय लोग.

Bhilwara News: राजस्थान में इस बार मानसून मेहरबान है. बीते एक-डेढ़ महीने से राजस्थान के बारिश का दौर जारी है. इससे राजस्थान की नदियां लबालब हो चुकी है. बांधें भी भर चुके हैं. लगातार हो रही बारिश से बरसाती नदियों में भी उफान है. इस बीच प्रदेश के अलग-अलग जिलों से नदियों में पानी आने के बाद उसकी पूजा किए जाने की खबरें भी सामने आ रही है. अब इसका ताजा उदाहरण भीलवाड़ा जिले से सामने आया है. जहां कोटड़ी में कोठारी नदी की पूजा कर लोगों ने यह संदेश दिया कि तमाम आधुनिकता के बावजूद प्रदेश में जल देवता का स्वागत और पूजा करने की परंपरा कायम है. 

12 महीनों नदी में बनी रहे पानी की आवक

दरअसल कोटड़ी के ग्रामीणों के गंगा के स्वरूप कोठारी नदी की पूजा कर ओढ़नी (चुनरी) ओढ़ाई. साथ ही कोठारी नदी को 12 महीनों बहने की प्रार्थना की. कोठारी नदी में पानी की आवक लगातार बनी हुई है. कोटड़ी व सवाईपुर से सालरिया मार्ग पर बने पुलिया पर पहुंचकर ग्रमीणों ने गंगा के स्वरूप कोठारी नदी का अभिषेक किया. पंडित अनिल श्रोत्रिय ने वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजा-अर्चना कर कोठारी नदी को ओढ़नी ओढ़ाकर 12 महीनों शीतल बहने की प्रार्थना की.

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नदी से मांगी मन्नत- नहीं हो अनहोनी घटना

पंडित अनिल श्रोत्रिय ने बताया कि मंदिर में जिस तरह पूजा अर्चना की जाती है इस तरह हम जल देवता की पूजा करते हैं. पूजन के पीछे पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया जाता है. पानी की बर्बादी लोग नहीं करें और पानी के महत्व को समझ कर नई पीढ़ी ध्यान रखे. इसलिए गांव वालों के साथ सामूहिक रूप से आकर कोठी नदी का पूजन किया गया. 

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कोठारी नदी की पूजा करते लोग.

पूजन करके कोठारी नदी से कामना की गई कि बरसाती बहाव में कोई अनहोनी नहीं हो. नदी में जल निर्मल और सुगमता से बेहता रहे. नदी के पूजन के साथ ही ओढ़नी ओड़ाने के बाद इंद्र देवता से भी अच्छी बरसात की कामना की गई है. ताकि किसानों को फसलों के लिए जल मिलता रहे. 

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गांव में घाटा पूजन की रही है परंपरा

लोग जल स्रोतों में किसी तरह की लापरवाही नहीं करें, जल देवता का सम्मान करें. यही नदी पूजन का उद्देश्य है. सवाईपुर गांव के ही पंडित राजाराम शर्मा ने बताया कि गांव में घाटा पूजन की परंपरा है. पूजन की परंपरा का उद्देश्य नई पीढ़ी की नदी, नालों व जल स्तोत्रों के प्रति आस्था कायम रखने का उद्देश्य है. जिस तरह भगवान व आराध्य को पूजा जाता है इस तरह नदी और जल स्रोतों के प्रति आस्था रहे.

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