राजस्थान में 2 लाख 73 हजार परिवारों को जल्द मिलेगा पक्का घर, सरकार की सौगात से 6 साल का इंतजार खत्म

राजस्थान की भजनलाल सरकार की गरीबी मुक्त गांव बनाने की मुहिम रंग ला रही है. सरकार की कोशिश से 6 साल से अधिक समय से पक्के घर की आस लगाए बैठे परिवारों का इंतजार अब खत्म होने जा रहा है.

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फाइल फोटो

Rajasthan News: राजस्थान में 6 साल से भी अधिक समय से पक्के घर का इंतजार कर रहे परिवारों का सपना अब साकार होने जा रहा है. वर्ष 2018 के आवास प्लस सर्वे में शामिल प्रदेश के 2 लाख 73 हजार 752 परिवारों को जल्द ही पक्के आवासों की सौगात मिलेगी. इसके लिए हाल ही में दिल्ली में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीएम शर्मा ने मुलाकात की थी. इस दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) समेत अन्य योजनाओं संबंध में चर्चा की. 

20 लाख आवास का काम पूरा

जिस पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के अंतर्गत राजस्थान को 2 लाख 73 हजार 752 घरों का लक्ष्य आवंटित कर दिया है. इस तरह राज्य सरकार के प्रयासों से वर्ष 2018 के आवास प्लस सर्वेक्षण की सूची में अब कोई भी प्रतीक्षारत परिवार शेष नहीं रहेगा.

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इससे पहले राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत लगभग 22 लाख 23 हजार आवास बनाने के लक्ष्य का आवंटन किया गया था, जिनमें से करीब 20 लाख आवासों का काम लगभग पूरा हो चुका है.  राजस्थान के ग्रामीण विकास विभाग ने भी जिला कलक्टर्स को पत्र लिखकर सभी पात्र परिवारों को मंजूरी के साथ पहली किश्त जारी करने के निर्देश दे दिए हैं.

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बता दें कि सरकार की तरफ से मकानों के निर्माण के लिए पात्र परिवारों को 1 लाख 20 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है. रकम लाभार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है. इसके अलावा शौचालय के लिए 12 हजार रुपये की सहायता दी जाती है. साथ ही मनरेगा में 90 दिन के काम के लिए पैसा भी दिया जाता है.

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गरीबी मुक्त गांव बनाने के लिए बजट

गरीबी मुक्त गांव बनाने के लिए भजनलाल सरकार भी तेजी के साथ काम कर रही है. इसके लिए बजट में भी प्रावधान किया गया है. पहले चरण में 5000 गांवों का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना के तहत चिन्हित गांवों के सभी बीपीएल परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने के लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. बीपीएल परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इन गांवों में विभिन्न विकास योजनाएं, स्वरोजगार के अवसर, कौशल विकास कार्यक्रम और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएंगी.

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