कोर्ट का चक्कर... औपनिवेशिक मानसिकता से आजादी, PM मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें

प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान हाई कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर जोधपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि दशकों से कोर्ट के सामने चक्कर शब्द मैंडेटरी हो गया था. दशकों बाद आम नागरिकों की पीड़ा को खत्म करने के लिए देश ने प्रभावी कदम उठाए हैं. 

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PM Modi Jodhpur Visit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को राजस्थान हाई कोर्ट के प्लैटिनम जुबली समारोह में शामिल हुए. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि देश के ‘विकसित भारत' के सपने की ओर बढ़ने के साथ ही सबके लिये सरल, सुलभ और सहज न्याय की गारंटी हो, यह बहुत जरूरी है. दशकों से 'कोर्ट के सामने चक्कर' शब्द मैंडेटरी हो गया था. आम नागरिकों की पीड़ा को खत्म करने के लिए देश ने प्रभावी कदम उठाए हैं. 

  1. प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि जितना ज्यूडिशियरी सिस्टम मजबूत होगा उतना ही हमारा देश भी मजबूत होगा. न्याय हमेशा सरल व स्पष्ट होता है, लेकिन कई बार प्रक्रियाएं उसे मुश्किल बना देती हैं. यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम न्याय को ज्यादा से ज्यादा सरल और स्पष्ट बनाएं.
  2. राजस्थान हाई कोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हम सबकी एकता का विषय भी जुड़ा हुआ है. सरदार वल्लभभाई पटेल ने जब 500 से ज्यादा रियासतों को जोड़कर देश को एक क्षेत्र में पिरोया था, उसमें भी राजस्थान की कई रियासतें थी. जयपुर, जोधपुर, कोटा और उदयपुर इनके हाई कोर्ट भी थे. इनके एक होने के बाद राजस्थान हाई कोर्ट का अस्तित्व आया. राष्ट्रीय एकता हमारे ज्यूडिशल सिस्टम का फाउंडेशन स्टोन है. 
  3. पीएम मोदी ने कहा कि आज देश के सपने भी बड़े हैं, देशवासियों की आकांक्षाएं भी बड़ी हैं. इसलिए जरूरी है कि हम नए भारत के हिसाब से नए नवाचार करें और अपनी व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाएं. ये ‘जस्टिस फॉर ऑल' के लिए भी उतना ही जरूरी है.
  4. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें संतोष है कि देश ने इस दिशा में कई ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाये हैं. उनकी सरकार ने पूरी तरह से अप्रासंगिक हो चुके सैकड़ों अप्रासंगिक (कोलोनियल) कानूनों को रद्द किया है. आजादी के इतने दशक बाद गुलामी की मानसिकता से उबरते हुए देश ने भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता को अपनाया है. 
  5. पीएम मोदी ने कहा कि दंड की जगह न्याय, यह भारतीय चिंतन का आधार भी है. भारतीय न्याय संहिता इस मानवीय चिंतन को आगे बढ़ाती है. भारतीय न्याय संहिता हमारे लोकतंत्र को औपनिवेशिक (कोलोनियल) मानसिकता से आजाद कराती है. न्याय संहिता की यह मूल भावना ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बने, यह दायित्व सभी लोगों पर है.
  6. नरेंद्र मोदी ने संबोधन में कहा कि हमारे कानून के छात्र और अन्य विधि विशेषज्ञ इस अभियान में हमारी मदद कर सकते हैं. इसके अलावा देश में स्थानीय भाषाओं में कानूनी दस्तावेज और अदालतों के फैसले लोगों को मिल सकें, इसके लिए भी काम होने हैं. हमारे उच्चतम न्यायालय ने इसकी शुरुआत की है. शीर्ष अदालत के मार्गदर्शन में एक सॉफ्टवेयर बना है, जिससे न्यायिक दस्तावेज 18 भाषाओं में ट्रांसलेट हो सकते हैं.
  7. आज टेक्नोलॉजी हमारे ज्यूडिशरी सिस्टम में कितना अहम रोल निभा रही है. आईटी रिवॉल्यूशन से कितना बड़ा बदलाव हो सकता है. हमारा ई कोर्ट प्रोजेक्ट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. आदेश में आज देश में 18000 से ज्यादा कोर्ट कंप्यूटराइज्ड हो चुके हैं.
  8. मुझे बताया गया है कि नेशनल डाटा ग्रिड से 26 करोड़ से ज्यादा मुकदमों की जानकारी एक सैटेलाइट ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुड़ चुकी है. आज पूरे देश की 3000 से ज्यादा कोर्ट परिसर 1200 से ज्यादा जिले वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़ गए. आज राजस्थान की सभी जिला अदालतों में इस इंटीग्रेशन प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है.
  9. अदालतों के चक्कर में अब न्याय की उम्मीद जगी है. 10 सालों में चक्कर की प्रवृत्ति को बंद किया है. लगातार हमें इन्हें रिफॉर्म करना है. कानून में बदलाव करके नए प्रावधान जोड़कर सरकार ने कई कदम उठाए हैं. न्यायपालिका के सहयोग से यह व्यवस्थाएं और ज्यादा सतत होगी. हमारी न्यायपालिका ने निरंतर राष्ट्रीय विषय पर सजगता में भूमिका निभाई है.
  10. जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 पर राष्ट्रीय हित में स्वाभिक न्याय क्या कहता है. यह हमारी के न्याय अदालतों ने न्याय के जरिए साबित किया है. ऐसे विषयों पर राष्ट्रप्रथम 15 अगस्त को मैंने सेकुलर सिविल कोर्ट की बात कही थी. हमारी सरकार पहली बार मुखर हुई. 21वीं सदी में देश को आगे ले जाने में 'एकीकरण' शब्द की अहम भूमिका होने जा रही है.

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